“पापा दादी को देखने आए थे, हमें क्या पता था कि सुसाइड कर लेंगे”

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लखीमपुर (उत्तर प्रदेश)। “जब से लॉकडाउन लगा, पापा घर पर ही बैठे थे, होटल में काम करते थे वो बंद हो गया तो कोई काम ही नहीं बचा था। दादी की भी तबियत खराब रहती है, पापा उनके पास मैगलगंज आए थे, हमें क्या पता था कि पापा यहां आकर सुसाइड कर लेंगे, “मृतक भानू गुप्ता की बेटी तनू रोते हुए बताती हैं।

लखीमपुर जिले के मैगलगंज के रहने वाले 50 वर्षीय भानू गुप्ता ने ट्रेन के आगे आ कर आत्महत्या कर ली। भानू गुप्ता ने सुसाइड नोट में लिखा, “मैं यह सुसाइड गरीबी और बेरोजगारी की वजह से कर रहा हूं। गेहूं चावल सरकारी कोटे से मिलता है पर चीनी, पत्ती, दूध, दाल, सब्जी, मिर्च, मसाले परचून वाला अब उधार नहीं देता। लॉक डाउन बराबर बढ़ता जा रहा है। नौकरी कहीं नहीं मिल रही।”

लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया, बेरोजगारी और बीमारी से तंग आकर भानू गुप्ता ने आत्महत्या तो कर ली, लेकिन अपने पीछे 70 वर्षीय बुजुर्ग माँ, पत्नी और पांच बच्चे छोड़ गए।

वैसे भानु प्रकाश गुप्ता अपनी पत्नी और 5 बच्चों के साथ शाहजहानपुर में एक होटल में काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में होटल बंद हो गया तो उसकी नौकरी चली गई। पैसे को लेकर पत्नी गुड्डी देवी से कहासुनी हुई तो वह परिवार को छोड़कर 31 मार्च को मैगलगंज में अपनी 70 वर्षीय बुजुर्ग मां शांति देवी के पास चला आए थे।

यहां मां को बीमार देख भानु और ज्यादा परेशान हो गए। एक तो वह खुद सांस की बीमारी से परेशान था, दूसरे मां की बीमारी देखकर और ज्यादा टूट गए। दवा लेने के लिए इधर-उधर कुछ लोगों से उसने पैसे उधार मांगे, पर उसे यह रकम नहीं मिल पाई।

गाँव कनेक्शन ने भानू गुप्ता की आत्महत्या की खबर को प्रकाशित किया, जिसके बाद से कई राजनीतिक दल उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं। स्थानीय प्रशासन ने भी मजदूर की मौत के बाद उसके परिवार को कुछ पैसे और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई है।

भानु गुप्ता के परिवार में 3 छोटे बेटे और 2 बेटियां हैं। जिनमें से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। दूसरी की शादी की खोज कर रहे थे। भानू के मौसेरे भाई सौरभ गुप्ता बताते हैं कि उनकी मां विधवा हैं, उन्हें पेंशन मिलती है। उसी से काम चल रहा होगा। बाकी उधार-व्यवहार मांग कर काम चला रहे थे।

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