उत्तर प्रदेश में बहुप्रतीक्षित 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में चयनित उम्मीदवारों का जिला आवंटन हो गया। कुल 67867 उम्मीदवारों को उनके मेरिट और चयन के हिसाब से जिलों का आवंटन हुआ। 1133 आरक्षित एसटी सीटें इसलिए खाली रह गए क्योंकि लिखित परीक्षा में निर्धारित मेरिट के आधार पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाएं। अब 3 जून से आवंटित जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में उम्मीदवारों की काउंसलिंग होगी।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट upbasiceduboard.gov.in पर उम्मीदवारों की अंतिम सूची अपलोड की है, जिसे आप http://upbasiceduboard.gov.in/Result.pdf पर जाकर देख सकते हैं। 3 जून से 6 जून के बीच होने वाली काउंसलिंग में अभ्यर्थियों को आवेदन पत्र में दिए गए प्रमाण पत्रों को प्रस्तुत करना होगा। प्रमाण पत्रों को प्रस्तुत करने में असफल रहने वाले अभ्यर्थियों का चयन अंतिम रूप से नहीं होगा। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि काउंसलिंग की सूची में शामिल होने का मतलब यह नहीं है कि उनका चयन पक्का हो गया है।
इससे पहले 12 मई, 2020 को 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम आया था, जिसमें कुल 1.46 लाख अभ्यर्थी सफल हुए थे। इन सफल अभ्यर्थियों में से लगभग 1.37 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया जबकि लगभग नौ हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन नहीं किए। पहली मेरिट लिस्ट में कुल 67,867 अभ्यर्थियों को शामिल किया गया है। काउंसलिंग के दौरान खाली सीटें होने पर दूसरी मेरिट लिस्ट जारी कर सीटें भरी जाएंगी।
काउंसलिंग में ध्यान रखें ये बातें
काउंसलिंग के दौरान उम्मीदवारों को अपने सभी शैक्षणिक योग्यता के प्रमाण पत्र की दो सेट सेल्फ अटेस्टेड फोटोकॉपी पेश करनी होगी। इसके अलावा चार पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ और सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के पदनाम से एक बैंक ड्राफ्ट भी प्रस्तुत करना होगा। सामान्य और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए यह 500 रूपये, एससी-एसटी उम्मीदवारों के लिए 200 रूपये और विकलांगों के लिए नि:शुल्क तय किया गया है।
काउंसलिंग में इसके अलावा 100 रुपये की नोटरी का एक शपथ पत्र भी प्रस्तुत करना होगा, जिस पर घोषणा करनी होगी कि ऑनलाइन आवेदन में दी गई सभी सूचनाएं सही हैं और हम जनपद में नियुक्ति के उपरांत अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग नहीं करेंगे।
6 जनवरी, 2019 को 69,000 सीटों के लिए आयोजित ‘सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा’ में 4 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के एक दिन बाद शासन ने इस परीक्षा का कट-ऑफ निर्धारित किया। शासन द्वारा घोषित इस कट ऑफ के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी कोर्ट में चले गए। तब से यह मामला लगातार कोर्ट में चल रहा था।
मामले की सुनवाई के दौरान अभ्यर्थी लगातार इस बात से दुःखी थे कि सरकार इस मामले की सुनवाई के प्रति गंभीर नहीं है, क्योंकि सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता (अटार्नी जनरल) बहुत कम ही उपस्थित हो रहे थे। इसको लेकर ये अभ्यर्थी लगातार प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और अन्य प्रमुख अधिकारियों से मिल रहे थे।
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