कोविड मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर की युवाओं से अपील, कोरोना से लड़ाई में सहयोग देने के लिए तैयार रहें

"इस देश के युवाओं को अपने बड़ों-बुजुर्गों की रक्षा की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि हमारे युवा टिकटॉक, यूट्यूब और सोशल मीडिया की अन्य व्यर्थ चीजों में समय बर्बाद करने की बजाय, अस्पतालों और अन्य सामाजिक सेवाओं में कदम रखें और मदद करने की कोशिश करें।"
Corona crisis

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना वर्ल्ड-ओ मीटर के अनुसार भारत में कोरोना के कुल दो लाख 58 हजार नब्बे मामले आ चुके हैं, जिसमें 7207 की मौत हो चुकी है। भारत में दो महीने का लंबा लॉकडाउन लागू होकर खत्म भी हो गया, लेकिन रोज आने वाली मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो कि सभी के लिए चिंता का सबब है। ऐसे में जब लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल रहा है, कोरोना मरीजों के इलाज करने वाले डॉक्टर्स ने हमें चेताया है।

इन डॉक्टरों के अनुसार भारत में स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो रही हैं और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। इसलिए जब एकदम से ही जरूरत हो तभी बाहर निकलें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने सभी कामों को करें। राजधानी दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डा. असीम गार्गवा ने सोशल मीडिया के जरिये लोगों से एक भावुक अपील की है-

“यह किसी अन्नदाता किसान का हाथ नहीं है जो धान के खेतों में लगातार काम कर रहे हैं। यह एक सैनिक का भी हाथ नहीं है, जो देश को हमलावर दुश्मनों से बचाता है। मेरे प्यारे दोस्तों और देशवासियों, यह एक डॉक्टर का हाथ है जो अभी कोविड मरीजों के इलाज की ड्यूटी में व्यस्त है और संक्रमित लोगों को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।

संक्रमित होने के जोखिम के साथ दिन-रात काम करने के बावजूद भी हमारे माथे पर चिंता की लकीरें नहीं हैं। लेकिन इससे आपको चिंता करने से नहीं रुकना चाहिए क्योंकि अगले कुछ महीनों में जो आने वाला है वह कोरोड़ों लोगों के जिंदगियों का फैसला करेगी। अभी भारत में महामारी के बड़े पैमाने पर प्रकोप की बस शुरुआत भर है। हालांकि हम दुनिया में 6 वें स्थान पर हैं फिर भी मैं इसे शुरुआत ही कहूंगा क्योंकि यह संख्या अधिक और अधिक होती जाएगी। मुंबई इस विस्फोटक ज्वालामुखी का मुंहाना भर है, जहां पर इसकी गर्मी पहले ही महसूस की जा रही है। हालांकि अभी आधी से आबादी आबादी इस बीमारी के संपर्क में भी नहीं है।

इस देश के युवाओं को अपने बड़ों-बुजुर्गों की रक्षा की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है। अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र जल्द ही इस हताशा की स्थिति में वालंटियर सेवाएं देने की मांग कर सकते हैं, क्योंकि सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चल रहे कई वायरल वीडियो से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर की कलई खुल गई है। यहां तक कि अगर अस्पताल अपील नहीं करते हैं तो मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि हमारे युवा टिकटॉक, यूट्यूब और सोशल मीडिया की अन्य व्यर्थ चीजों में समय बर्बाद करने की बजाय, अस्पतालों और अन्य सामाजिक सेवाओं में कदम रखें और मदद करने की कोशिश करें।

यह कहना आसान है कि यह मेरा काम नहीं है, लेकिन एक समय ऐसा आएगा जब स्वास्थ्य क्षेत्र के हमारे मानव संसाधन थक जाएंगे। ईमानदारी से कहूं ऐसा होना शुरू हो गया है। यह अन्य देशों में भी हो रहा है, जहां स्वस्थ युवा हेल्थ वालंटियर्स इस लड़ाई को लड़ने के लिए डॉक्टरों की मदद कर रहे हैं। अगर हम सभी को भारतीय होने और दुनिया का सबसे युवा देश होने पर बहुत गर्व है, तो हमें वालंटियर करने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

डॉक्टरों के साथ-साथ आपातकालीन स्थिति में सेवा देने वाले अन्य लोगों की भी मदद करें ताकि वे राष्ट्र को इस संकट से बाहर लाने में सफल हो सकें। सिर्फ इसलिए कि यह दिखाई नहीं देता इसका मतलब यह नहीं है कि इसका अस्तित्व ही नहीं है। यह महामारी वास्तविक है और आपका बड़ा या छोटा कोई भी योगदान इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा।

उठिए, घर पर रहिए, अपने हाथों को साफ करते रहिए, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखिए, मास्क पहनिए और सुरक्षित रहिए।” 

आप इस पोस्ट को अंग्रेजी में यहां पढ़ सकते हैं-

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