शुभम ठाकुर
सीएमआईई के रिपोर्ट को आधार बनाते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते 4 अगस्त को ट्वीट किया, “आप सबको बताते हुए संतोष हो रहा है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान भी चल रही आर्थिक गतिविधियों के कारण बेरोजगारी की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। सीएमआईई से जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बेरोजगारी की दर जून माह में 14.4 थी जो घटकर जुलाई माह में 9 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है।”
आप सबको बताते हुए संतोष हो रहा है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान भी चल रही आर्थिक गतिविधियों के कारण बेरोजगारी की दर में उल्लेखनीय कमी आयी है।
सीएमआईई से जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बेरोजगारी की दर जून माह में 14.4 से घटकर जुलाई माह में 9 प्रतिशत के स्तर पर आ गयी है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 4, 2020
मुख्यमंत्री के ट्वीट से ऐसा लगता है कि प्रदेश में रोजगार की हालत काफी अच्छी है पर इन आंकड़ों का बारीकी से अध्ययन करने और जमीनी स्तर पर इसकी पड़ताल करने पर असलियत कुछ और ही नज़र आती है। हमने भूपेश बघेल सरकार के इन दावों की पड़ताल प्रदेश में चल रही सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं के आधार पर की।
सीएमआईई के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ की स्थिति बेरोजगारी के मामले में जूलाई माह में कई राज्यों से बुरी है। छत्तीसगढ़ में जुलाई माह में बेरोजगारी की दर 9 फीसदी है। जबकि इसी माह में आंध्रप्रदेश में यह आंकड़ा 8.3 फीसदी, असम में 3.2 फीसदी, गुजरात में 1.9, झारखंड में 8.8, कर्नाटक में 3 6, केरल में 6.8, मध्यप्रदेश में 3.6, महाराष्ट्र में 4.4, मेघालय में 2.1, ओडिशा में 1.9, सिक्किम में 4.5, तमिलनाडु में 8.1, उत्तरप्रदेश में 5.5 और पश्चिम बंगाल में यह 6.8 फीसदी रहा। इस लिहाज़ से देखा जाए तो असल में छत्तीसगढ़ बेरोजगारी दर कम करने के मोर्चे पर कई राज्यों से पीछे रह गया है। हालांकि इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान जैसे राज्यों में छत्तीसगढ़ से भी ज्यादा बेरोजगारी है।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ बेरोजगारी के राष्ट्रीय दर से भी पीछे रह गया है। देश में बेरोजगारी दर जून माह में 10.99 फीसदी थी जो कम होकर जुलाई माह में 7.43 फीसदी के स्तर पर आ गई। जबकि छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 9 फीसदी पर ही अटक गया। राहत की बात यह है कि देश में जुलाई माह में शहरी व ग्रामीण इलाकों में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है। जुलाई माह में शहरी बेरोजगारी दर 12.02 फीसदी से घटकर 9.15 फीसदी पर आ गई वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर का आंकड़ा 10.52 से घटकर लगभग साढ़े छह फीसदी के स्तर पर आ गया है।
इसके साथ ही प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए निकाली गई भर्ती प्रक्रियाएं भी अटकी हुई है। अगस्त 2018 में छत्तीसगढ़ सरकार ने सब इंस्पेक्टर (एसआई), सूबेदार और प्लाटून कमांडर के 655 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए थे। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 1 अक्टूबर 2018 थी। इसी दौरान नवंबर में विधानसभा चुनाव भी होना था, जिसके चलते भर्ती प्रक्रिया बीच में ही रोक दी गई। कांग्रेस की सरकार आने के बाद अब यह दो सालों से अटकी हुई है।
रायपुर के रहने वाले आलोक रॉय बताते हैं कि इसके लिए जब आवेदन मंगाए गए तो हर पोस्ट के लिए अलग-अलग फॉर्म भरना था। उन्होंने सब इंस्पेक्टर, सूबेदार और प्लाटून कमांडर तीनों के लिए आवेदन किया था और इसके लिए उन्हें 1200 रुपये का भुगतान करना पड़ा। इसी तरह चार अलग-अलग पदों के लिए आवेदन करने वालों ने इसके 1600 रुपये दिए। फॉर्म भरने के बाद कई अभ्यर्थी तैयारी में जुट गए। फिज़िकल की तैयारी के लिए वे प्रतिदिन दौड़ भी लगाने लगे। पर जैसे-जैसे समय बीतता गया उनकी उम्मीद भी खत्म होती गई। इसके साथ ही वे सरकार के प्रति अपना गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, “दुख की बात है कि प्रदेश में लगभग सारी भर्ती प्रक्रियाएं अटकी पड़ी हैं और मुख्यमंत्री ट्वीट कर रोजगार की हालत को संतोषजनक बता रहे हैं।”
रायगढ़ के रहने वाले प्रशांत ईजारदार कहते हैं, “बहुत सारे अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनकी अधिकतम आयु सीमा निकलती जा रही है। इसके पहले मैं एक निजी कंपनी में नौकरी करता था। जब मैंने एसआई भर्ती का विज्ञापन देखा तो इसकी तैयारी करने का मन बनाया। तैयारी के लिए मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। अब भर्ती प्रक्रिया अटक गई है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए।” वे आगे बताते हैं, “इस भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हमने आंदोलन-प्रदर्शन भी किए। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल और राज्यपाल अनुसूईया उईके को ज्ञापन भी सौंपे गए हैं। पर हमें आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला।”
प्रशांत ने ही अंजू पटेल नाम की एक अन्य अभ्यर्थी से बात करवाई। अंजू की कहानी से इस मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है। रायगढ़ की रहने वाली अंजू पटेल 30 साल की हैं। जब उन्होंने आवेदन किया था तब 28 साल की थीं। अंजू ने सभी पदों पर आवेदन किया और आवेदन की फीस के तौर पर 1600 रुपये चुकाए। वह दो बच्चों की मां हैं। जिनमें एक 13 साल का व दूसरा 10 साल का है। उनके पिता व पति नहीं चाहते थे कि वह तैयारी करें पर उन्होंने इसके लिए उन्हें मनाया। आवेदन करने के बाद वह तैयारी में जुट गई। फिजिकल की तैयारी के लिए खेल मैदान में पसीना बहाने लगीं। इसके साथ ही लिखित परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने एक कोचिंग संस्थान में भी प्रवेश लिया, जहां की फीस 6000 रुपये थी। उन पर बच्चों की देखभाल का भी जिम्मा था।
वह कहतीं हैं, “दो बच्चों की मां होने के बाद फिजिकल और लिखित परीक्षा की तैयारी करना मेरे लिए आसान नहीं था। अब दो साल हो गए इंतजार करते-करते। वजन बढ़ गए हैं और फिजिकल के लायक शारीरिक क्षमता भी नहीं रह गई है। फिजिकल की तैयारी के दौरान ही मेरी नसों में खिंचाव हो गया था। इसके लिए मुझे फिजियोथेरेपी भी करवाना पड़ा। उसमें 100 से 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अलग देने पड़ते थे।” यह बताते हुए अंजू रुंधे गले से मुझसे ही पूछने लगतीं हैं कि लोग अब ताना देने लगे हैं, आप ही बताइये क्या करें?
इस बातचीत के दौरान प्रशांत हमें बीच में ही रोककर कहते हैं कि यह कहानी केवल अंजू पटेल या उनकी नहीं है। इस भर्ती के लिए 1,27,402 लोगों ने आवेदन किया है। सबकी अपनी पीड़ा है। अपनी कहानी है। कई ऐसी लड़कियां हैं जिनकी शादी हो गई। अब वे ससुराल चलीं गईं हैं। कुछ के तो बच्चे भी हो गए हैं।
इसी तरह सूरजपुर निवासी अंकित तिवारी कहते हैं कि सात सालों के बाद यह भर्ती आई थी। पहले विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श अचार संहिता की घोषणा हुई, फिर लोकसभा चुनाव 2019 आया। इसके बाद नवंबर-दिसंबर 2019 में नगरीय निकाय चुनाव और जनवरी-फरवरी 2020 में पंचायत चुनाव भी संपन्न हो गए, लेकिन अब तक भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। अब तो सरकार के पास कोरोना संकट का भी एक बहाना है।
जून 2020 में प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा था कि कुछ तकनीकी समस्याओं और कनफ्यूजन के चलते इसमें देरी हो रही है। उनका कहना था कि पुरानी सरकार के जो नियम थे, उस नियम में परिवर्तन करके उसे सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को भेजा गया है। यह जीएडी में पेंडिंग है। दो अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। वे कल जीएडी जाएंगे। और इसका निराकरण कर लिया जाएगा। हालांकि रायपुर की पत्रकार रजनी ठाकुर कहतीं हैं, “गृहमंत्री को यह बयान दिए भी लगभग महीने भर से ज्यादा हो गए हैं, पर बात अब भी आगे नहीं बढ़ पाई। शिक्षक भर्ती को लेकर भी स्कूल शिक्षा मंत्री एक ही बात कहते हैं कि बढ़ाएंगे, बढ़ाएंगे। पर कुल मिलाकर इसे रोककर रखा गया है।”
छत्तीसगढ़ में यह अकेली भर्ती नहीं है जो अटकी हुई है। छत्तीसगढ़ पुलिस में आरक्षक के 2259 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी अब तक पूर्ण नहीं हो सकी है। इसका विज्ञापन 29 दिसंबर 2017 को जारी किया गया था। लगभग 55 हजार लोगों ने इसकी शारीरिक दक्षता परीक्षा (फिजिकल) पास की। 30 सितंबर 2018 को इसकी लिखित परीक्षा भी हो गई। इसके बाद वे नतीजे का इंतजार कर रहे थे कि सरकार बदलने के बाद सिंतबर 2019 में कानूनी अड़चनों का हवाला देते हुए इसे निरस्त कर दिया गया। इसके बाद आंदोलनों-प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ। मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भी पहुंचा। हाईकोर्ट ने पहले भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने के सरकार के फैसले को सही माना। लेकिन बाद में यह मामला डिवीजन बेंच में पहुंचा और हाईकोर्ट को अपने ही पुराने फैसले को बदलना पड़ा। 22 फरवरी 2020 को कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि 90 दिनों के भीतर फिर से शारीरिक दक्षता परीक्षा ली जाए। लिखित परीक्षा दे चुके अभ्यर्थियों को इस परीक्षा में शामिल होना है। पर इस बात को भी तीन माह से ज्यादा यानी लगभग 6 माह हो गए हैं।
बिलासपुर के रहने वाले प्रकाश तिवारी बताते हैं कि मार्च 2020 में खबर आई कि आरक्षक भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा 1 अप्रैल से आयोजित की जाएगी। बाद में इस तारीख को आगे बढ़ाते हुए 1 मई कर दिया गया। फिर कोरोना संक्रमण का हवाला देकर इसे भी स्थगित कर दिया गया। फिर कहा गया कि शारीरिक दक्षता परीक्षा को लेकर जल्द ही नई तारीख जारी की जाएगी। अब सरकार का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से प्रक्रिया अटकी हुई है।
हालांकि प्रकाश तिवारी कोर्ट के फिर से शारीरिक दक्षता परीक्षा लिए जाने के फैसले से भी संतुष्ट नहीं हैं। वह बताते हैं कि यह परीक्षा पहले ही हो चुकी है। पहले के नियम के अनुसार 5 मिनट 40 सेकंड के भीतर 1500 मीटर की दौड़ लगानी थी। यह क्वालीफाइंग एग्जाम था और इसमें कोई नंबर नहीं था। लेकिन कोर्ट के नए फैसले के अनुसार इस बार गोला फेंक, लंबी कूद, ऊंची कूद समेत कुल पांच इंवेट होंगे। इसमें अभ्यर्थियों को स्कोर करना होगा। इसके अंक लिखित परीक्षा के परिणाम में भी जोड़े जाएंगे। उसके बाद ही मेरिट बनेगा।
वह आगे कहते हैं कि सरकार ने जिन कानूनी अड़चनों का हवाला देकर इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया था उस हिसाब से या तो प्रक्रिया रद्द होनी चाहिए या परिणाम जारी किया जाना चाहिए। इस आधार पर कोर्ट का फैसला सही नहीं लगता। प्रकाश तिवारी कहते हैं, “कोर्ट ने पुराने नियम के हिसाब से शारीरिक दक्षता परीक्षा लेने की बात कही है। पुराने नियम के मुताबिक लिखित परीक्षा में अनारक्षित वर्ग को 50 अंक और ओबीसी व एससीएसटी को 45 अंक लाने होंगे। लिखित परीक्षा देने वाले लगभग 48000 लोगों में से केवल 14800 अभ्यर्थियों के ही 50 फीसदी से अधिक अंक हैं। इस आधार पर केवल 14800 अभ्यर्थी ही शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए योग्य माने जाएंगे।”
इस तरह देखा जाए तो प्रकाश तिवारी इस पूरे फैसले को ही विवादित मानते हैं। वह चाहते हैं कि फिर से शारीरिक दक्षता परीक्षा लेने के बजाए अब सरकार को इसके नतीजे घोषित कर देने चाहिए। अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। वह कहते हैं कि अभी कोरोना के चलते वीडिया कॉन्फ्रेंसिग के ज़रिए सुनवाई हो रही है इसलिए सुनवाई की तारीख नहीं मिल पा रही है। अगले महीने तक तारीख मिल जाने की उम्मीद है। इसके अलावा वह यह भी कहते हैं कि अभी बरसात का मौसम चल रहा है, इसलिए खेल मैदान में कीचड़ हो जाते हैं। इस लिहाज़ से भी फिलहाल शारीरिक दक्षता परीक्षा होना मुश्किल है।
इसी तरह छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल ने स्कूल शिक्षा विभाग में 14580 रिक्त पदों की भर्ती के लिए मार्च 2019 में विज्ञापन निकाला था। इसके अंतर्गत व्याख्याता, शिक्षक, व्यायाम शिक्षक, सहायक शिक्षक और सहायक शिक्षक विज्ञान प्रयोगशाला के पद शामिल हैं। जुलाई-अगस्त में इसकी परीक्षाएं आयोजित की गई। सितंबर-नवंबर 2019 में परिणाम भी जारी कर दिए गए पर अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई। छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित डीएड-बीएड संघ के प्रांतीय सचिव सुशांत शेखर धराई कहते हैं कि व्याख्याता भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो गई है पर अब तक नियुक्ति के आदेश जारी नहीं किए गए हैं। किसी भी शिक्षक संवर्ग की प्रथम पात्र-अपात्र सूची भी जारी नहीं हुई है। इसकी वजह से सभी चयनित अभ्यर्थी मानसिक तौर पर परेशान हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस मांग को लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ज्ञापन सौंपा है। इसके साथ ही उनका संघ सोशल मीडिया के ज़रिए लगातार सरकार से गुहार लगा रहा है। हालांकि धराई झिझकते हुए यह भी कहते हैं कि वे सरकार के खिलाफ नहीं हैं। वे सरकार से कोई दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहते। वे बस इतना चाहते हैं कि उनकी नियुक्ति हो जाए।
इसी तरह कवर्धा के रहने वाले कौशल खांडे बताते हैं कि अधिकतर पदों पर सत्यापन का कार्य पूरा हो गया है। इस भर्ती के तहत उनका चयन शिक्षक और सहायक शिक्षक दोनों पदों के लिए हुआ है। इसके साथ ही उनकी सत्यापन की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है, पर अब तक विभाग ने पात्रता सूची जारी नहीं की है। पात्रता सूची जारी होने के बाद ही नियुक्ति होनी है। वे कहते हैं कि अब कोविड-19 महामारी की भी अलग समस्या है। इसके चलते उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
भर्ती प्रक्रियाओं में हो रही इस लेटलतीफी को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी के नाम पत्र भी लिखा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए आरक्षक भर्ती की प्रक्रिया को हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक जल्द से जल्द पूरी की जाए। इसके साथ ही शिक्षक भर्ती और सब-इंस्पेक्टर सूबेदार व प्लाटून कमांडर के पदों की भर्ती के लिए भी उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखा है। इतना ही नहीं, शिक्षक भर्ती के सबंध में ही राज्यपाल अनुसुईया उइके ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आग्रह किया है।
इस मामले पर बातचीत के लिए हमने गृहमंत्री कार्यालय से भी संपर्क साधा, जहां नागेंद्र ब्रम्हभट्ट नामक एक व्यक्ति से बात हुई। जानकारी के मुताबिक वे गृहमंत्री के लिए मीडिया व सोशल मीडिया का काम देखते हैं। यह पूछने पर कि एसआई भर्ती प्रक्रिया आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही है, वे कहते हैं कि सरकारी प्रक्रिया में कई चीजें होती हैं। देरी हो जाती है। कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें डिसक्लोज़ नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही वे यह भी कहते हैं, “मैं इसका जवाब देने के लिए सही व्यक्ति नहीं हूं। मंत्री जी दौरे पर हैं। जब आ जाएंगे तो आप उनसे बात कर लीजिएगा।” ब्रम्हभट्ट से ही हमने आरक्षक भर्ती के संबंध में भी सवाल पूछे। इस पर उन्होंने कहा कि आप डीजीपी साहब (पुलिस महानिदेशक) से बात कर लें। वही इसकी जानकारी दे पाएंगे, पर ना तो हमारा मंत्री जी से संपर्क हो पाया और ना ही डीजीपी से।
इसी तरह शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर सरकार का पक्ष जानने के लिए हमने स्कूल शिक्षा विभाग से भी बात करने की कोशिश की, पर हमारी उनसे बात नहीं हो पाई। बात हो जाने पर उसे इस रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा।।
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