देश में पर्यटन क्षेत्र पर कोविड-19 महामारी का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उत्तराखंड के हिमालयी इलाकों में पर्यटन के लिए सालाना 3 करोड़ से अधिक घरेलू पर्यटक और 13 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं, लेकिन हालिया कोविड-19 महामारी ने इसे भी बुरी तरह प्रभावित किया है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इन सबके इतर, उत्तराखंड सरकार कोविड-19 आपदा को एक अवसर में बदलने की दिशा में काम कर रही है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास केंद्र के पर्यटन सचिव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिलीप जावलकर ने एक सत्र के दौरान कहा, “साल 2020 में कोविड-19 संकट ने पूरी दुनिया को बुरी तरह प्रभावित किया है। उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर अत्यधिक निर्भर करती है। यहां कोविड-19 संकट ने एडवेंचर गतिविधियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आजीविका को भी प्रभावित किया है।”
जावलकर 18 फरवरी से 20 फरवरी तक आयोजित इंडिया टूरिज्म मार्ट के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने आगे कहा, “हर चुनौती अपने साथ अवसर लेकर आती है। हमारे पास आतिथ्य सत्कार क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग थे, जो लॉकडाउन के दौरान अपने भविष्य की अनिश्चितता के चलते राज्य में वापस आ गए।”
19 फरवरी को “नेचुरल एंड रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म इन इंडिया” विषय पर आयोजित वर्चुअल सेशन के दौरान जावलकर ने कहा, “उनकी प्रतिभा और अनुभव का लाभ उठाते हुए हमने उद्यमी विकास योजनाओं, जैसे – ट्रेकिंग थ्रस्टर स्कीम को लॉन्च किया है, जिसके तहत हम जिलों में होमस्टे को बढ़ावा दे रहे हैं। हम इसे एक बड़े रोजगार के अवसर के रूप में देखते हैं। हमारा ध्यान ग्रामीण पर्यटन पर अधिक है।”
Responsible Tourism is all about observing and appreciating nature or traditional cultures of a destination in a natural environment, without disturbing its habitats. (1/2) pic.twitter.com/XSDoN5gT7A
— Uttarakhand Tourism (@UTDBofficial) February 18, 2021
भारत सरकार के केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडिया टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी (FAITH) के साथ संयुक्त रूप से तीसरे भारत टूरिज्म मार्ट- द ट्रैवल ट्रेड का आयोजन किया है। यह एक मेगा वर्चुअल इवेंट है, जिसका मकसद कोविड-19 संकट के बाद भारत में पर्यटन उद्योग को एक बार फिर जीवित करना है। पहली बार ऐसा होगा कि इस तीन दिवसीय इवेंट में दुनिया भर के लोग शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में एग्जीबिटर्स भारत के होंगे।
औली: एक खूबसूरत पर्यटक स्थल
औली, उत्तराखंड में स्थित हिमालयी पहाड़ों में एक खूबसूरत स्की रिसॉर्ट और हिल स्टेशन है। यहां दिसंबर के अंत से मार्च के अंत तक हर साल हजारों पर्यटक घुमने आते हैं। औली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्की ढलानों के लिए भी जाना जाता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 2,800 से 2,900 मीटर है।
जावलकर कहते हैं, “हमें अपने राज्य में औली के होने पर गर्व है और हम इसका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहते हैं। हालांकि यहां लंबे समय तक बर्फ जमी हुई नहीं रहती है। हम कृत्रिम तौर पर बर्फ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह कार्यक्रम की मेजबानी के लिए पर्याप्त नहीं है। हमें इसके पहले कम बर्फ के कारण राष्ट्रीय स्कीइंग कार्यक्रमों को रद्द करना पड़ा है।”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि औली केवल एक स्कीइंग गंतव्य नहीं है, राज्य सरकार इसे विंटर डेस्टिनेशन के रूप में भी बढ़ावा दे रही है। यहां सबकुछ काफी रोमांचकारी हैं। हमने परामर्श के लिए एक आंतरिक कमेटी बनाई है जो इस विषय पर ध्यान देगी।”
पर्यटन सचिव ने आगे कहा, “केंद्र सरकार और सहयोगियों के साथ मेरी बातचीत के आधार पर मैं कह सकता हूं कि हर कोई पर्यटन को तेजी से पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकारें सुरक्षा कौशल विकास सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे बढ़ावा देने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाए।”
कल आयोजित ‘नेचुरल एंड रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म इन इंडिया’ इवेंट के अलावा लीडरशिप कॉन्क्लेव के तहत अन्य लाइव सेशन जैसे – ‘फ्यूचर कॉम्पिटिटिवनेस ऑफ पैकेज टूरिज्म इन इंडिया’, ‘इंडियन कुजीन – द इमर्जिंग बैलेंस ऑफ पावर एंड टेस्ट’, ‘जॉयस ऑफ इंडियन जर्नी- सेफ एंड सीमलेस ट्रैवल’ और ‘कन्वेंशनल हॉस्पिटैलिटी एंड द बैलेंस ऑफ अल्टरनेटिव हाउसिंग’ भी आयोजित किए गए।
सुरक्षा संबंधी चिंताएं
वर्चुअल सेशन के दौरान नई दिल्ली स्थित पर्वतारोहण और संबद्ध खेलों के लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय निकाय, इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक आबे ने राज्य में पर्वतारोहण से जुड़ी सुरक्षा और चिंताओं के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, “सभी सावधानियों के बावजूद दुर्घटनाएं होना तय है। हमारा प्रयास है कि हर फॉरेस्ट एक्सपीडिशन में बातचीत के लिए एक सैटेलाइट फोन हो, और साथ ही इसके अपने रेडियो सेट हों।”
आबे ने कहा, “भले ही कोई दुर्घटना हुई हो, भले ही भारतीय वायु सेना के साथ या राज्य सरकार के साथ समन्वय करना हो, प्रतिक्रिया हमेशा त्वरित रही है। संकट के समय में तेजी के साथ काम करना होता है। इसलिए यह एक संयुक्त प्रयास है, हम इसे विस्तृत रूप में देख रहे हैं।”
अब्बे ने पर्वतारोहण पाठ्यक्रमों में पर्वतारोहियों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देने पर भी बात की। आयोजन के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि पर्वतारोहण के लिए राष्ट्रीय संस्थान, जैसे कि नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग पूरी क्षमता से कार्य कर रहे हैं।
अनुवाद- शुभम ठाकुर
इस स्टोरी को मूल रूप से अंग्रेजी में पढ़ें- With focus on rural tourism, Uttarakhand reviving the tourism sector post-pandemic: Dilip Jawalkar
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