भारत में कोरोना के मामले फिर से लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। महाराष्ट्र और गोवा जैसे विभिन्न राज्यों में सरकार ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाया है। इसके अलावा कई जगहों पर कुछ प्रतिबंधों के साथ नाइट कर्फ्यू भी लागू किया जा रहा है। भारत में स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। विशेषज्ञों को डर है कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से भी अधिक खतरनाक हो सकती है।
एक अप्रैल को देश में कोविड-29 के 81,466 मामले दर्ज हुए। दो सप्ताह पहले देश में रोज औसतन सिर्फ 23,578 कोरोना के मामले आ रहे थे, लेकिन यह अब औसतन 50,000 से अधिक हो गया है। इस दौरान कोविड के कारण मरने वाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले 24 घंटों के दौरान कुल 469 लोगों की मौत कोविड के कारण हुई और भारत में कोविड के कारण कुल मरने वालों की संख्या 1,63,428 हो चुकी है। कुल मिलाकर, भारत वर्तमान में दुनिया में सबसे अधिक पांच प्रभावित देशों में से एक है। भारत में सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात हैं।
इस बीच एक नए डबल म्यूटेंट वायरस (जहां एक ही वायरस में दो म्यूटेंट्स एक साथ आते हैं) के वैरिएंट का पता भारत में एकत्रित किए गए नमूनों से पता चला है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और यूके में भी तीन अलग-अलग वैरिएंट प्रदर्शित हुए हैं।
COVID-19 की इस दूसरी लहर का सामना भारत सहित पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है। भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका सहित 77 देशों को सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीन मुहैया करा रहा था, जिसका दाम 250 रुपये (USD 3.40 प्रति खुराक) है। देश में बढ़ते कोरोना मामलों के मद्देनजर भारत सरकार ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए वैक्सीन के निर्यात को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इस वजह से कई अन्य देशों में टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है।
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469 deaths were reported in the last 24 hours.
Six States account for 83.16% of the new deaths. pic.twitter.com/omsXoZHPYJ
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) April 2, 2021
वहीं अगर भारत की बात करें तो कुल भारतीय आबादी के केवल 4.04 प्रतिशत लोगों को अभी तक टीके की एक खुराक मिली है, जबकि अन्य 0.7 प्रतिशत लोग ही पूरी तरह से वैक्सीनेट हो पाए हैं।
कोरोना की दूसरी लहर और टीकाकरण
सरकार के नए निर्देशों के अनुसार एक अप्रैल से 45 वर्ष की आयु से ऊपर के सभी लोग कोविड-19 टीकाकरण के पात्र हैं। इससे पहले केवल 60 वर्ष से ऊपर के नागरिकों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीकाकरण की अनुमति थी।
छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक स्वास्थ्य चिकित्सक और जन स्वास्थ सहयोग के सह-संस्थापक, योगेश जैन गांव कनेक्शन से कहते हैं, “अगर आप कोविड-19 के कारण हो रही मौतों की संख्या कम करना चाहते हैं, तो टीकाकरण की यह रणनीति ठीक है। लेकिन अगर आप कोरोना वायरस के प्रसार को कम करना चाहते हैं, तो आपको एक ही क्षेत्र में अधिक लोगों का टीकाकरण करने के बजाय कई जगहों पर छोटे-छोटे समूहों का टीकाकरण करना होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “जहां कहीं भी अधिक मामले सामने आ रहे हैं, वहां टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग को तेज किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस दूसरी लहर के कारणों के बारे में निश्चित नहीं हैं, क्योंकि हम इसकी अच्छी तरह से जांच भी नहीं कर रहे हैं।”
“लोग पुराने संकटों के लिए तैयार नहीं हैं। कोरोना ने कारण कोई भी नार्मल जिंदगी नहीं जी रहा है, लोग सामान्य रूप से न रह पाने के कारण थक चुके हैं। पिछले साल तो लॉकडाउन जैसे कठोर उपाय भी किए गए थे, लेकिन इस साल उसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है। कुल मिलाकर विकल्पों का अभाव सा है,” वह कहते हैं।
इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी है कि अगर लोग कोरोना वायरस से बचाव के लिए उपयुक्त नियमों का पालन नहीं करेंगे तो दोबारा लॉकडाउन जैसी पाबंदियों लगाई जा सकती हैं। राज्य में 28 मार्च से रात्रि कर्फ्यू लगाया जा चुका है।
भारत में कोरोना की दूसरी लहर का असर
भारत कोरोना वैक्सीन के सबसे बड़ा उत्पादक देशों में से एक है। हालांकि हाल ही में संक्रमण को बढ़ता देखकर अस्थायी रूप से भारतीय COVID-19 वैक्सीन एस्ट्रेजेनेका का दूसरे देशों में निर्यात रोक दिया गया है। 16 जनवरी से अब तक भारत में नागरिकों को 6 करोड़ 87 लाख से अधिक खुराक दी गई है, वहीं लगभग इतना ही खुराक भारत ने निर्यात किया है।
ऐसी खबरें हैं कि भारत द्वारा टीके के निर्यात पर अस्थायी रोक लगाने से इंग्लैंड में टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है। इंग्लैंड के अलावा 64 अन्य गरीब देशों में भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित होगा, जहां भारत, डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर वैक्सीन की आपूर्ति कर रहा था।
दुनिया की सबसे बड़े वैक्सीन निर्माण संस्था ने कोवैक्स की 2 करोड़ 80 लाख खुराक से ज्यादा की आपूर्ति की है, इसके अलावा अप्रैल में 5 करोड़ खुराक की आपूर्ति होनी है। 25 मार्च को कोवैक्स ने कहा, “भारत में कोविड-19 टीकों की बढ़ती मांग के कारण गरीब देशों को वैक्सीन की खुराक की आपूर्ति में देरी होगी।”
भारत के पड़ोसी और एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक नेपाल को अपने टीकाकरण कार्यक्रम को फिलहाल रोकना पड़ा है। नेपाल एस्ट्रोजेनेका वैक्सीन की खुराक पर बहुत अधिक निर्भर था, लेकिन इसकी कमी के कारण 17 मार्च से नेपाल में वैक्सीनेशन रोक दिया गया है।
हालांकि बेंगलुरु के सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सुरेश किशन राव ने गांव कनेक्शन से कहा, “दूसरे देशों में वैक्सीन की आपूर्ति को अस्थायी रूप से रोक देने का कारण राष्ट्रवाद नहीं बल्कि टीके से होने वाला रिएक्शन है। हमें यह खोजने की आवश्यकता है कि ये रिएक्शन किस वजह से हुए। जब तक इस पर जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक भारत इसका निर्यात नहीं करेगा।”
भारत में भी 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण अभियान के बाद कम से कम 65 लोगों की मौत हुई है। 16 मार्च को सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर होने वाली मौतों के कारण की जांच करने की मांग की थी।
भारत में वैक्सीन की कमी ?
राव ने बातचीत के दौरान बताया कि अभी हमारे पास देश की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त टीके नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हमने अभी तीन महीने पहले ही टीके का उत्पादन शुरू किया है। 2021 के अंत तक हमारे पास देश में आवश्यकता को पूरे करने लायक टीके होंगे। “
देश में अब तक कुल आबादी के केवल 4 प्रतिशत लोगों को ही टीका लग पाया है, इस सवाल पर टिप्पणी करते हुए राव कहते हैं, “देश की कुल आबादी का उपयोग करके चार प्रतिशत की गणना की गई है। यह कितना उचित है? अभी तक पहले 60 वर्ष से ऊपर और फिर 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को ही टीका लगाया जा रहा है। यदि हम इस डाटा का उपयोग करके गणना करते हैं, तो टीकाकरण कवरेज 20 से 25 प्रतिशत तक मिलेगा।”
अनुवाद- सुरभि शुक्ला