तौकते से कोंकण के किसान-मछुआरों की टूटी कमर, भारी बारिश से फसलों को हुआ काफी नुकसान

तौकते चक्रवात के कारण महाराष्ट्र के समुद्री किनारे के एक बहुत बड़े क्षेत्र में मछुआरों के साथ-साथ किसानों और अन्य नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। रिहायशी इलाकों में भी जगह-जगह भरा पानी। कई जिलों में इमारतों को भी हुआ नुकसान।
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मुंबई (महाराष्ट्र)। अरब सागर में आए तौकते चक्रवात के कारण महाराष्ट्र के समुद्री किनारे के एक बहुत बड़े क्षेत्र में मछुआरों के साथ-साथ किसानों और अन्य नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा सड़क, पुल, बिजली के खंबे और कई सार्वजनिक भवनों को भी नुकसान पहुंचा है। राज्य को हुए कुल नुकसान का जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र के नगर-विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने जल्द ही सर्वे कराने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जल्दी ही दो दिनों के लिए कोंकण का दौरा कर सकते हैं।

यदि पुराने चक्रवातों का रिकॉर्ड देखें तो हर चक्रवात के सात से दस दिनों के बाद ही ऐसी स्थिति बनती है, जब इस तरह की प्राकृतिक आपदा के कारण जानमाल को हुए नुकसान की असल तस्वीर सामने आती है। इसके बावजूद राज्य पर बरपी इस तबाही को लेकर तेज हवाओं के साथ हुई भारी बरसात की जो शुरुआती तस्वीरें आ रही हैं, उनसे मोटे तौर पर यहां के किसान-मछुआरों और अन्य नागरिकों को हुए भारी नुकसान की तस्वीर सामने आ रही है।

सबसे पहले राज्य की राजधानी मुंबई की बात करें तो यहां वसई क्षेत्र में मछुआरों की कई नाव टूट गई हैं। इस क्षेत्र के 46 वर्षीय मछुआरे निनाद पाटिल गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “मछुआरों की आठ से दस नाव पूरी तरह से टूट चुकी हैं। इससे मछुआरों को लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है।” इसी तरह कुलाबा, मलबार हिल, ग्रांट रोड, ताडदेव, कुंभारवाडा, नागपाडा, अग्रिपाडा और माझगांव आदि कई इलाकों में पानी भरने से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा।

हर जिले में पड़ी तूफान की मार

सबसे बुरी हालत रायगड जिले की बताई जा रही है। यहां सबसे ज्यादा घरों के टूटने का अनुमान है। वहीं हजारों की संख्या में परिवार विस्थापित हुए हैं। इसके अलावा अलीबाग, पेण, मुरुड, पनवेल, कर्जत, महाड और पोलादपुर में बड़ी तादाद में पेड़ उखड़कर गिर गए।

इसी क्रम में रत्नागिरी जिले में मुख्य रूप से काजू और आमों के बागों में तबाही हुई है। गाँव कनेक्शन ने इस बारे में रत्नागिरी आम उत्पादक सहकारी संस्था के अध्यक्ष तुकाराम घावली (52) से बात की। तुकाराम घावली के मुताबिक, “आम उत्पादक किसान पहली और दूसरी फेरी में अपनी लागत निकलता है और तीसरी फेरी से मुनाफा कमाता है, लेकिन इस बार तूफान ने हमारी मुसीबत को बढ़ा दिया है। हमने अपनी लागत निकाल ली है, लेकिन जब मुनाफे का समय आया तो तूफान ने हमारे उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।”

रत्नागिरी जिले से लगे सिंधुदुर्ग जिला गोवा को छूता है और यहां तूफान के कारण हुई बर्बादी का जिक्र करें तो हजारों घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि कुल 172 गांवों के किसानों की फसल बर्बाद हुई है। यहां आम के अलावा काजू की फसल पर तेज हवाओं और बरसात का असर हुआ है और इससे काजू उत्पादक किसानों की पैदावार में काफी गिरावट आ सकती है। इसके साथ ही सिंधुदुर्ग जिले में नारियल, सुपारी, कोकम और केला का उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।

कोंकण क्षेत्र में अब तक इस चक्रवात के कारण काफी नुकसान हुआ है। कोंकण में मछलियों को बेचने से जुड़ी महिलाओं के बीच सामाजिक कार्य करने वाली ज्योति महर (50) गाँव कनेक्शन के साथ बातचीत में अपना अनुभव साझा करती हुई कहती हैं, “पिछले साल जून में आए चक्रवात और कोरोना महामारी के कारण कोंकण के किसान-मछुआरों की कमर पहले ही टूटी हुई थी। इस बार की इस प्राकृतिक आपदा ने उन्हें बर्बाद कर दिया। हालत यह है कि बरसात के पहले लोगों के घर टूट चुके हैं और कई परिवार सड़क पर आ गए हैं।”

ताउते चक्रवात का प्रभाव मुंबई से सटे नासिक जिले में भी देखा जा सकता है, जहां स्कूलों और घरों के अलावा जिले में किसानों को भी काफी नुकसान हुआ है। इसी तरह सांगली जिले में केले और आमों की फसल बर्बाद हो गई। सिंधुदुर्ग, सांगली और रत्नागिरी की सीमाओं से सटे कोल्हापुर जिले के गगनबावडा क्षेत्र में मक्का और सनफ्लावर की फसलों को नुकसान हुआ है। यहां के करीब 70 गांवों में बिजली व्यवस्था ठप हो गई है।

आगे सातारा जिले के महाबलेश्वर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्ट्राबेरी की फसल को नुकसान हुआ है। यहां कासगाव क्षेत्र के युवा किसान श्रीकांत पवार (30) गाँव कनेक्शन को बतातै हैं, “मैंने 2 हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई थी, लेकिन लगातार दो दिनों तक चली बरसात से फसल खराब हो गई है। 49-50 हजार रुपये का नुकसान हुआ है।”

इस चक्रवात का असर इतना अधिक रहा कि इसकी मार से समुद्री तट से दूर के कई इलाके भी नहीं बच सके। इनमें अकोला जिले के अकोट तहसील क्षेत्र भी है, जहां मूसलाधार बरसात से 82 गांवों में फसलों की बर्बाद हुई।

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