किसान प्रकाश मारुति अरदवाड़ ने साल 2020 में अपनी अदरक 70 रुपए किलो से लेकर 20 रुपए किलो तक बेची थी, लेकिन 2021 में 5 रुपए से 7 रुपए किलो का रेट मिल रहा है। जिसके चलते वे अब खेत से अदरक खुदवा ही नहीं रहे हैं।
“50 गुंठे (सवा एकड़) में अदरक बोई है, लेकिन खुदवा नहीं रहा हूं। पिछले साल 70 क्विंटल अदरक 5,000 रुपए प्रति क्विंटल और 120 क्विंटल 2,000 रुपए क्विंटल के हिसाब से बेची थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते 500-700 रुपए का भाव है। लाखों रुपए का नुकसान हो जाएगा।” प्रकाश अरदवाड़ (42 वर्ष) मराठी-हिंदी की मिलीजुली भाषा में गांव कनेक्शन को बताते हैं।
प्रकाश अरदवाड़, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से करीब 550 किलोमीटर दूर लातूर जिले की चाकूर तालुका के देवांग्रा गांव में रहते हैं। उन्होंने 7500 रुपए प्रति क्विंटल का बीज लेकर अदरक की बुवाई की थी। पिछले साल पहले 5,000 रुपए क्विंटल अदरक बेची फिर भाव गिरने लगे थे। खेत के एक हिस्से से उन्होंने फसल की खुदाई ही नहीं कराई। बाद में पिछले साल नवंबर में मजबूरी में खुदवाई।
“पिछले साल रेट गिरने लगे थे खुदाई बंद करवा दी थी। बाद में 120 क्विंटल अदरक पिछले साल की बुवाई वाली 18 महीने बाद निकाली जो मजबूरी में 2,000 रुपए क्विंटल में बेचनी पड़ी।” प्रकाश आगे बताते हैं। प्रकाश के मुताबिक अदरक की खेती में प्रति एकड़ 10 क्विटंल बीज की लागत के अलावा 70-90 हजार रुपए के खाद और कीटनाशक के खर्च होते हैं। जबकि अच्छी पैदावार होने पर 100 क्विंटल तक उत्पादन हो जाता है।
लातूर में ही निलंगा तालुका में उस्तुरी गांव के किसान महारुद्र शेट्टे (42 वर्ष) पिछले कई वर्षों से अदरक की खेती कर रहे हैं। वे कहते हैं, “साल 2018 में अदरक का भाव 7,000 था, 2019-20 में 5,000 रुपए के आसपास था जबकि 2021 में 500 से 2,000 रुपए का मंडी में रेट है। मुनाफा दूर किसान की लागत नहीं निकलेगी।”
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भारत में अदरक का इस्तेमाल स्वादिष्ट चाय से लेकर मसालों और औषधियों तक में भरपूर किया जाता है। कोरोना की पहली लहर में अदरक की काफी मांग थी। कोरोना से बचने के लिए लोग अदरक का खूब काढ़ा भी पी रहे थे। उस वक्त शहरों में अदरक फुटकर में 100-120 रुपए किलो से ज्यादा में बिकने लगी थी, लेकिन कोविड की दूसरी लहर में फल, सब्जियों के साथ मसालों की खेती करने वाले किसानों पर भी असर पड़ा है।
लातूर में किसानों से अदरक लेकर बड़े कारोबारियों को देने वाले स्थानीय अदरक व्यापारी अशोक शाने फोन पर बताते हैं, “अदरक इस साल बहुत सस्ती है। पिछले साल 5,000-7,000 रुपए क्विंटल था, इस साल 7,00-1,500 रुपए (मंडी में) भाव है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन से मार्केट में उठाव नहीं है। एक तो माल बाहर नहीं जा रहा है और खेती भी ज्यादा हुई थी।”
अशोक के मुताबिक लातूर छोटा मार्केट है, लेकिन यहां से कई राज्यों को माल सप्लाई किया जाता है “हैदराबाद- चेन्नई समेत कई बड़े राज्यों के कारोबारी माल ले जाते थे लेकिन कोरोना के चलते उनती मांग नहीं रही। किसानों को नुकसान है।” वो आगे जोड़ते हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट की मार्च 2021 पहले अनुमान के मुताबिक 2020-21 में अदरक की खेती 171 हजार हेक्टेयर में हुई थी, जिसमे 1832 हजार मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान था जबकि साल 2019-20 में 179 हजार हेक्टेयर में खेती हुई थी जबकि 1884 हजार मीट्रक टन का उत्पादन हुआ था। इससे पहले 2018-19 में 164 हजार हेक्टेयर का रकबा था और 1788 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक पांच प्रमुख अदरक उत्पादक राज्यों में असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल शामिल है। साल 2017-18 की एपीडा की रिपोर्ट के अनुसार असम में 167.39 हजार टन का उत्पादन हुआ था तो महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर था यहां, 140.60 हजार टन ता जो पूरे देश में हुए अदरक उत्पादन का 14.72 फीसदी था।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की नवीन गल्ला मंडी में सब्जियों के फुटकार व्यापारी जसवंत सोनकर गांव कनेक्शन को बताते हैं, “हमारे यहां ज्यादातर माल महाराष्ट्र में औरंगबादा और सतारा जिलों से आता है। यहां पर फिलहाल 21-24 रुपए किलो का थोक भाव है, ये भाव पिछले 6 महीने ऐसे ऐसे ही हैं। फुटकर (कॉलोनियों में) 40-50 रुपए का भाव है।”
जसवंत के मुताबिक पिछले साल थोक मार्केट में यहां 38-40 रुपए का भाव था। लखनऊ की नवीन गल्ला गल्ला और सब्जी मंडी में रोजाना 40-45 टन अदरक का कारोबार होता है।
कोरोना और लॉकडाउन के अलावा ज्यादा खेती की वजह से गिरे रेट?
महारुद्र शेट्टे कहते हैं, पिछले 3 वर्षों में रेट अच्छा था, जिस का भाव बढ़ता है किसान उसकी खेती की तरफ आकर्षित होते हैं। ज्यादा उत्पादन भी एक वजह हो सकती है। फिर कोरोना में माल बाहर नहीं गया। ” शेट्टी आगे जोड़ते हैं, हमारे यहां कई जगह मीडिया में ये छपा कि अदरक की खेती में प्रति एकड़ 8 से 10 लाख का मुनाफा होता है। इस वजह से भी कई किसान इसकी खेती करने लगे हैं।
महाराष्ट्र में लातूर से सटे जिला उस्मानाबाद में उमरगा तहसील चिंचौली भुयार गांव के किसान प्रयोमद गायकवाड (35 वर्ष) ने पिछले साल पहली बार डेढ़ एकड़ में अदरक बोई थी। वो कहते हैं, “पहली बार खेती की थी लेकिन कोरोना के नुकसान हो गया।”
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अदरक की खेती मध्य प्रदेश में भी होती है, नरसिंहपुर जिले में करेली गांव के किसान जोगेंद्र दिवेदी (39वर्ष) लंबे समय से अदरक की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन पिछले साल उन्होंने बहुत कम खेती की थी।
जोगेंद्र फोन पर अदरक का हाल पूछने पर कहते हैं, ” पिछले साल बहुत लोगों ने अदरक की बुवाई की थी। मेरी बात कई राज्यों के किसानों से होती रहती है। उनसे बातों-बातों पर पता चला कि इस बार क्षेत्रफल बढ़ने वाला है। ऐसे में मुझे आशंका थी की रेट नीचे सकता है, इसलिए मैंने सिर्फ बीज के लिए बुवाई की थी लेकिन इस बार 2 एकड़ अदरक 15 मई को बो चुका हूं।”
अदरक सस्ती होने पर बुवाई कर रहे कई किसान
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पैठण तालुका में पारुंडी गांव के किसान जाकिर शेख (32 वर्ष) कहते हैं, “कोरोना महामारी ने मार्केट को ढीला कर दिया है। रेट बहुत डाउन है, बीज सस्ता है, इसलिए हमारे यहां कुछ किसान अदरक लगा रहे हैं। मेरे गांव में 5 एकड़ लगाई गई है और 5 एकड़ और लगाई जाएगी।”