मौत का घूंट: मिर्जापुर में दूषित पानी पीने से कोल जनजाति की एक बच्ची और उसकी दादी की मौत, कई बीमार

मिर्जापुर के कोल आदिवासी बहुल ददरा गांव लोग के इन दिनों पानी पीने से पहले कई बार सोचते हैं। गांव में दूषित पानी पीने से एक परिवार के दो लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 2 साल की एक बच्ची भी है।
#water pollution

ददरा (मिर्जापुर, यपी)। तबीयत बिगड़ने से पहले 2 साल की आसमा ने अपनी मां से पानी मांगा। पानी पीने के कुछ देर बाद उसे पेट दर्द और उल्टियां शुरू हो गईं। घर-वाले उसे इलाज के लिए लेकर अस्पताल भागे लेकिन वह बच नहीं सकी।

“पानी और दाना (खाना) तो वह रोज ही खाती थी लेकिन उस दिन अचानक उसके पेट में दर्द हुआ। बोली की मम्मी पानी पिलाओ।” 2 साल की बेटी की मौत से सदमे में आई शिवानी देवी (20 वर्ष) बेसुधी की हालत में बताती हैं।

परिवार और गांव के लोगों के साथ ही जिले के अधिकारी भी हैंडपंप के दूषित पानी को बच्ची की मौत की वजह मानते हैं।

कोल आदिवासी बाहुल ददरा गांव की आसमा अकेली नहीं है, जिसकी पानी के चलते मौत हुई है। आसमा की मौत के एक दिन बाद 23 जून की उसकी 70 साल की परदादी दादी भागेसरी देवी की मौत हो गई। 23 जून को ही आसमा के पिता अजय कुमार (28 वर्ष) को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। दूसरे दिन वे तबीयत सुधरने पर घर वापस आ गए लेकिन आसमा की मां शिवानी को डायरिया के चलते भर्ती कराना पड़ा है। शिवानी और अजय कुमार दोनों दिहाड़ी मजदूर कर गुजर बसर करते हैं।

लखनऊ से करीब 338 किलोमीटर दूर मिर्जापुर जिले के राजगढ़ ब्लॉक में ददरा गांव में पिछले एक पखवाड़े में एक दर्जन के करीब लोगों को डायरिया जैसे लक्षण उल्टी-दस्त की शिकायत हुई है। इनमें से कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। ग्रामीणों के मुताबिक उनके गांव में लगे हैंडपंप और एक बोरिंग, जो पानी के एकमात्र जरिया है, से मटमैला और दूषित पानी निकलता है। कई ग्रामीणों ने एक हैंडपंप से कीड़े निकलने की भी शिकायत की है।

मिर्जापुर के ददरा गांव के हैंडपंप का पानी, जहां दूषित पानी से 2 लोगों की मौत हुई। फोटो गांव कनेक्शन

गांव में एकाएक हुई दो मौतों और कई लोगों को डायरिया होने के से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। “ददरा गांव में कुछ लोग बीमार हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां गई तो पाया गया कि एक हैंडपंप के पास एक शौचालय है, संभवतः जिसका पानी रिस-रिस कर जा रहा था जिसकी वजह से फूड प्वाइजनिंग हुई। बीमारी की वजह दूषित पानी प्रतीत होता है, जिसकी वजह से दो लोगों की मौत हो गई है।” डॉ पी डी गुप्ता, मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) बताते हैं। उन्होंने आगे कहा, “वहां (गांव) कुछ और लोग बीमार थे, जिन्हें अस्पताल लाया गया है।”

दो लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग और जल निगम समेत कई विभागों के कर्मचारियों ने गांव का दौरा किया। पानी की जांच के लिए नमूने लेकर भेजे गए हैं। गांव में साफ-सफाई कराई गई है, क्लोरीन की गोलियां बांटी गई हैं। हालांकि ग्रामीणों को अभी यही पानी पीना है क्योंकि पेयजल के दूसरे किसी वैकल्पिक स्रोत की कोई व्यवस्था नहीं है।

ददरा गांव जिस इलाके में स्थित है वो एक पहाड़ी इलाका है, जहां कोल आदिवासी समुदाय के करीब 150 लोग रहते हैं। मिर्जापुर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर इस गांव में 3 हैंडपंप और एक बोरवेल है। कोल समुदाय को उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है।

ग्रामीणों के मुताबिक ये पहली बार नहीं है जब गांव में दूषित पानी से कोई बीमार हुआ हो, अब दो लोगों की मौत हो गई है इसलिए इस पर चर्चा हो रही है।

शिवानी देवी, जिनकी 2 साल की बेटी और 70 साल की सास की मौत हुई। पहले पति को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, बाद में उनकी खुद की तबियत खराब हुई। फोटो- गांव कनेक्शन

डायरिया की शिकायत के बाद आसमा की मां शिवानी अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी पांच महीने की एक बेटी और है। इससे पहले 24 जून को उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया था कि कैसे बच्ची की तबीयत खराब होने के बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती करने से मना कर दिया गया।

“जब उसने (22 जून को) पेट में दर्द की शिकायत की, तो हम उसे रात करीब दस बजे अस्पताल ले गए। वहां के डॉक्टर ने हमें बताया कि इतनी रात में उसे भर्ती करना संभव नहीं है। घर लाते वक्त रास्ते में उसकी मौत हो गई।”

इस संबंध में बात करने पर राजगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ, डीके सिंह ने गांव कनेक्शन से कहा, ” हमें बताया गया कि बच्ची की रास्ते में ही मौत हो गई थी। वह अस्पताल तक नहीं पहुंच पाई थी। इससे पहले उसके पिता की तबीयत बिगड़ी थी तो उन्हें मिर्जापुर रेफर किया गया था।” आसमा के पिता अजय कुमार को मिर्जापुर के बैरिस्टर यूसुफ इमाम डिवीजनल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, स्वस्थ होने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई है।

ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक और स्वास्थ्य केंद्र लोगों के लिए इलाज का सहारा होते हैं लेकिन इनकी स्थिति कैसी है, कोरोना काल में उनकी व्यवस्था और संसाधन पर गांव कनेक्शन ने विस्तृत रिपोर्ट की थी।

मंगला प्रसाद, जिनके मुताबिक 25 साल की उम्र में उन्होंने कभी नहीं देखा और सुना की गांव में पानी की जांच हुई हो।

संबंधित खबर- गांवों में पांव पसार रहा है कोरोना संक्रमण, बिस्तर और वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहे हैं जिला अस्पताल

24 जून को जब गांव कनेक्शन इस गांव पहुंचा तो कई जगह जलभराव और गंदगी दिखी। हैंडपंप के आसपास भूरे रंग की परत जमा हुई थी।

24 जून को गांव में पानी का नमूना लेने पहुंचे उत्तर प्रदेश जल निगम के कर्मचारी राम कुमार सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया कि ददरा का पानी पीने लायक नहीं है। “यहां लाल रंग का गंदा पानी आ रहा है। नमूनों का परीक्षण किया जाएगा फिर ज्यादा जानकारी होगी।”

मिर्जापुर में मड़िहान तहसील में जल निगम में जूनियर इंजीनियर (जेई) अरुण प्रभाकर ने फोन पर बताया कि बरसात के सीजन में पहाड़ी इलाकों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है।

“बारिश के सीजन में जब भूमिगत जलस्तर बढ़ता है तो ये समस्या आती है, क्योंकि ये पहाड़ी और चट्टानी इलाका है। यहां मैदानी इलाकों की तरह सतह का पानी प्राकृतिक रूप से फिल्टर नहीं हो पाता है।” प्रभाकर ने आगे कहा। जल निगम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ददरा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

जिस घर में 2 लोगों की मौत हुई और दो लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उस परिवार के सदस्य राजेश कुमार कहते हैं, “ये पहली बार नहीं है, जब पानी पीने से लोग बीमार हुए हैं। तीन साल पहले भी ऐसा ही पानी निकला था, कई बार लाल पानी के साथ कीड़े भी निकलते हैं लेकिन कभी कोई जांच नहीं हुई।”

इसी गांव के निवासी मंगला प्रसाद (25 वर्ष) कहते हैं, “पानी को गर्म करके रखने बावजूद भी पूरा पानी तेल जैसा ऊपर छाछ की तरह हो जा रहा है। जिसको पीने के बाद पेट में दर्द हो रहा, उसके बाद उल्टी दस्त शुरू हो जा रही। मेरी उम्र 25 साल है मैंने कभी नहीं देखा कि यहां पानी की जांच हुई हो।”

शिवानी की पड़ोसी छुहारा देवी को अपनी उम्र नहीं पता लेकिन वो ये जरूर जानती हैं जब बीमारी फैली है उसके बाद गांव में सफाई हुई है। इससे पहले कोई जांच के लिए नहीं आया था। वो कई पूर्व प्रधानों को भी गांव में गंदगी के लिए जिम्मेदार ठहराती हैं।

मिर्जापुर उत्तर प्रदेश का कोई पहला जिला नहीं है जहां पेयजल की दिक्कत या लोग पानी के चलते बीमार होते हैं। गांव कनेक्शन सोनभद्र से लेकर मथुरा और शामली से लेकर उन्नाव तक ग्रामीण इलाकों में पेयजल संकट की खबरों को गंभीरता से उठाता रहा है। 19 जून को गांव कनेक्शन ने लखनऊ के पड़ोसी जिले उन्नाव से खबर की थी कि कैसे साफ पानी न होने से लोग अपने पैतृंक घरों को छोड़कर जा रहे हैं।

गांव कनेक्शन द्वारा एकत्रित राज्य स्तरीय भूजल गुणवत्ता के आंकड़ों से पता चला है कि उत्तर प्रदेश के कुल 75 जिलों में से 63 जिलों में फ्लोराइड तय सीमा से अधिक है तो 25 जिले आर्सेनिक से अधिकता से प्रभावित हैं।

ये खबर अंग्रेजी में यहां पढ़ें- 

Recent Posts



More Posts

popular Posts