बिहार: बाढ़ग्रस्त गांवों में टीका वाली नाव कर रही है टीकाकरण

बिहार में मुजफ्फरपुर जिला बाढ़ से खासा प्रभावित है। जमीनी स्तर पर काम करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता नाव से बाढ़ प्रभावित गांवों में जाकर लोगों को टीका लगा रहे हैं। जिला प्रशासन की इस पहल को स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और सामुदायिक संगठनों का सहयोग मिल रहा।
#flood

कोविड-19 के टीकों से भरे छोटे से बक्से के साथ सहायक नर्स दाई (एएनएम) और स्वास्थ्य कार्यकर्ता लालता कुमारी बिहार के बाढ़ प्रभावित गांवों में कोरोना वायरस के खिलाफ मोर्चा सभांले हुए हैं।

जहां प्राथमिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण आबादी का टीकाकरण करने के लिए सड़क मार्ग से या पैदल चलकर लोगों तक पहुंच रहे हैं, वहीं लालता इस काम के लिए नाव का सहारा ले रही हैं। इस नाव को स्थानीय भाषा में डेंगी कहते हैं।

बिहार भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। राज्य के कुल 38 जिलों में से मुजफ्फरपुर समेत कम से कम 14 जिलों के कई हिस्से जलमग्न हैं। लाखों लोग बाढ़ के शिकार हैं। तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए लोगों का यहां युद्ध स्तर पर टीकाकरण करने की जरूरत है। लालता से बेहतर इस बात को कौन जानता है। वह पिछले कुछ दिनों से काफी सक्रिय हैं और मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों को टीका लगा रही हैं।

टीका वाली नाव के रूप में जानी जाने वाली दो नावों को टीकाकरण अभियान के तहत जिले में इस काम के लिए लगाया गया है। हर नाव में दो एएनएम, एक डेटा कलेक्टर या जांचकर्ता और एक गोताखोर होता है।

यह अनूठी पहल नौ जुलाई को शुरू हुई और यह जिला मजिस्ट्रेट प्रणव कुमार के दिमाग की उपज है।

जिला मजिस्ट्रेट ने गांव कनेक्शन को बताया, “बड़ी चिंता थी नदी के तटबंधों के आसपास रहने वाले लोगों का टीकाकरण करना। यहां लोग एक साथ आसपास ही रहते हैं। इस कारण कोविड फैलने की संभावना ज्यादा है इसलिए हम उन्हें जल्द से जल्द टीका लगाना चाहते हैं। तब हमारे दिमाग में टीके वाली नाव का विचार आया।”

प्राथमिक कार्यकर्ताओं ने संभाली कमान

36 वर्षीय लालता कुमारी का दिन जल्दी शुरू हो जाता है। वह मुजफ्फरपुर जिले के एक उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, “हम सुबह आठ बजे पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) पर पहुंच जाते हैं। वहां से एक एम्बुलेंस हमें नाव तक ले जाती है और फिर हम बाढ़ प्रभावित गांवों में जाते हैं।”

टीकाकरण अभियान के तहत टीका वाली नाव लोगों को टीका लगाने के लिए गांव-गांव घूमती रहती है। 12 जुलाई को यह नाव बागमती नदी के पास बसे भवानीपुर गांव पहुंची। यह नदी बिहार में भारी बारिश के कारण उफान पर है।

बाढ़ के पानी में नाव से एक जगह से दूसरी जगह जाकर लोगों का टीकाकरण करना आसान नहीं है। हालांकि महामारी भी लालता जैसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह कठिन कार्य करने से रोक नहीं पाई है।

तीसरी लहर को देखते को गांवों में टीकाकरण अभियान को गति देने की कोशिश हो रही है। (फोटो- अरेंजमेंट)

लालता कहती हैं, “आज (12 जुलाई को) टीका नाव पर मेरा दूसरा दिन है। मैंने एक दिन में लगभग सवा सौ (125) लोगों को टीका लगाया है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाने की कोशिश कर रहे हैं।”

टीका नाव रोजाना 100-200 ग्रामीणों का टीकाकरण कर रही है

स्वास्थ्यकर्मी रोजाना सुबह दस बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक औसतन 100 से 200 लोगों का टीकाकरण करते हैं। टीकाकरण अभियान के पहले दिन 9 जुलाई को केवल 20 लोगों को ही टीका लग पाया था। अगले दिन स्वास्थ्यकर्मियों ने 50 लोगों का टीकाकरण किया। और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़कर एक दिन में 100 से 200 तक पहुंच गई।

जिला प्रशासन के अनुसार, 12 जुलाई तक टीका वाली नाव के जरिए मुजफ्फरपुर के बाढ़ प्रभावित गांव में 500 से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है।

Also Read:गर्भवती महिलाओं को भी लग सकती है कोविड-19 वैक्सीन, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस

इस बीच, जिले में अब तक कुल 827,473 लोगों को टीके की डोज दी जा चुकी है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में लगभग 48 लाख लोग हैं।

जिला मजिस्ट्रेट कुमार बताते हैं, “हमारे यहां पांच पंचायतें हैं जो पूरी तरह बाढ़ प्रभावित हैं। ग्रामीण टीकाकरण केंद्रों पर नहीं आ पा रहे हैं। हम नावों के जरिए उन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।”

वह आगे कहते हैं, “दो नाव पहले से ही इस काम में लगी हैं। इस बीच, जिले में ऐसी तीन और नावों की व्यवस्था की गई है, ताकि बाढ़ प्रभावित पंचायतों में हर जगह टीकाकरण के लिए नाव भेजी जा सके।”

साथ से बनती है बात

टीके वाली नाव अभियान की शुरुआत जिला प्रशासन, राज्य स्वास्थ्य विभाग और केयर इंडिया के संयुक्त प्रयास से की गई है। केयर इंडिया एक गैर लाभकारी संस्था है जो स्वास्थ्य, शिक्षा, अधिकार, आपदा की तैयारी और उससे निपटने जैसे विषयों पर काम करती है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, मुजफ्फरपुर जिले के कटरा और औराई ब्लॉक बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। इन इलाकों में हर साल बागमती और बूढ़ी गंडक नदियों के कारण बाढ़ आती है। ये दोनों गंगा की सहायक नदियां हैं। ग्रामीणों ने बताया कि मुजफ्फरपुर के सभी ब्लॉक में से कटरा सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित है। इससे राज्य में टीकाकरण की चुनौतियां और बढ़ गई हैं।

हर नाव पर स्वास्थ्यकर्मी होते हैं। (Photo: @DM_Muzaffarpur/twitter)

केयर इंडिया टीम का नेतृत्व कर रहे सौरभ तिवारी ने गांव कनेक्शन को बताया, “कटरा ब्लॉक में 26 पंचायतें हैं। इनमें से 14 पंचायतें बाढ़ के पानी के चलते बाकी 12 पंचायतों से पूरी तरह कट गई हैं। जाहिर सी बात है कि लोग टीका लगाने के लिए नदी में आई बाढ़ में तैरकर तो नहीं आ सकते। इसलिए हमने यह पहल शुरू की।” वह कहते हैं, “इसके अलावा, हम छोटी बस्तियों तक पहुंचने के लिए स्टीमर तो इस्तेमाल नहीं कर सकते, लेकिन बाढ़ में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए नाव का इस्तेमाल कर सकते हैं।”

केयर इंडिया नाव पर एएनएम के साथ जाने वाले जांचकर्ता को तकनीकी सहायता मुहैया कराता है।

Also Read:वाराणसी: आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र नहीं होने से विधवा आश्रमों में नहीं लग पा रही कोरोना वैक्सीन

तिवारी बताते हैं, “स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों पर काम का अधिक दबाव न पड़े, इसके लिए उनसे बारी बारी काम करने को कहा गया है।” वह कहते हैं, “कटरा की 16 पंचायतों में लगभग एक लाख चालीस हजार लोग हैं। हमारा लक्ष्य एक दिन में कम से कम 100 लोगों को टीका लगाना है। हम जल्द ही अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी इस पहल को शुरू करेंगे।”

जीविका दीदी के अथक प्रयास

बाढ़ प्रभावित जिलों में चल रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान में सामुदायिक भागीदारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं टीकाकरण के लिए जमीनी स्तर पर सहायता कर रही हैं, जिन्हें आमतौर पर जीविका दीदी के नाम से जाना जाता है।

जीविका मुजफ्फरपुर की जिला कार्यक्रम प्रबंधक अनीशा ने गांव कनेक्शन को बताया, “जीविका दीदी कोविड- 19 टीकाकरण के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता फैला रही हैं। जीविका सदस्यों की भागीदारी जमीनी स्तर पर व्यवस्थित तरीके से टीकाकरण और लोगों के बीच इस बारे में जागरूकता को सुनिश्चित करती है।” वह कहती हैं कि ये महिलाए जानकारी दर्ज करके इस बात पर नजर रखती हैं कि गांव में कितने लोगों का टीकाकरण हो गया है और कितने लोग अभी बचे हैं।

अनीशा ने बताया, “स्वयं सहायता समूह के एक संघ में, जिसे आमतौर पर ग्राम संगठन के रूप में जाना जाता है, लगभग तीस स्वयं सहायता समूह होते हैं। प्रत्येक स्वयं सहायता समूह में कम से कम दस से पंद्रह महिला सदस्य होती हैं।” उन्होंने बताया कि अगर हम उनकी मदद लेते हैं तो जिले की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कोकवर कर पाएंगें।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीका लगाने आसान नहीं है। (Photo: @DM_Muzaffarpur/twitter)

जमीनी स्तर पर सहजता से कोविड टीकाकरण अभियान चलाने के अलावा ये महिलाएं टीकाकरण अभियान की लाभार्थी भी हैं

केयर इंडिया से जुड़े तिवारी कहते हैं, “इन गांवों में टीकाकरण अभियान चलाना आसान काम नहीं है। लोग टीका लगवाने में हिचकिचाते हैं। यहां विरोध की संभावना अधिक है।” वह कहते हैं, “ये जीविका दीदी लोगों को टीके के बारे में पहले से जानकारी देती हैं। वे लोगों को प्रेरित करती हैं। टीम को कोई असुविधा न हो, इसके लिए वे उस क्षेत्र में पूरी व्यवस्था करती हैं।”

एएनएम को प्रोत्साहन राशि?

प्राथमिक स्वास्थ्यकर्मियों ने टीका नाव के जरिए लोगों का टीकाकरण करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रखी है। उनकी शिकायत है कि उन्हें उनके काम का उचित मेहनताना नहीं दिया जाता। उन्हें कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती। तिवारी ने बताया, “जांचकर्ता और एएनएम वेतन पाने वाले कर्मचारी हैं जिस कारण उन्हें अब तक अलग से कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई है।”

लालता कुमारी ने बताया कि 25,500 रुपये के मासिक वेतन के अलावा उन्हें इस खास काम के लिए कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिल रही है। तिवारी कहते है, हालांकि नाविकों और गोताखोरों को रोजाना कम से कम 200 से 300 रुपये अतिरिक्त दिए जा रहे हैं।

Also Read:कर्नाटक के चामराजनगर में आदिवासी समुदाय की सक्रिय भागीदारी से आगे बढ़ता टीकाकरण अभियान

पूछे जाने पर जिला मजिस्ट्रेट ने गांव कनेक्शन को आश्वासन दिया कि जल्द ही एएनएम को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय ले लिया जाएगा। वह कहते हैं, “जहां ये लोग टीकाकरण करने के लिए जा रहे हैं, वह काफी मुश्किल भरे इलाके हैं। हम उनके योगदान को पहचानेंगे और उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।”

इस बीच, एक और सुबह है और टीके वाली नाव यानी डेंगी मुजफ्फरपुर के अगले बाढ़ प्रभावित गांव में लोगों को टीका लगाने के लिए तैयार खड़ी है।

अनुवाद- संघप्रिया मौर्य

इस खबर को अंग्रेजी में यहां पढ़ें- 

Recent Posts



More Posts

popular Posts