खाद की कमी से बुंदेलखंड में अब तक तीन किसानों की गई जान, सरकार ने कहा- उपलब्ध है पर्याप्त खाद

बुंदेलखंड के ललितपुर में एक सप्ताह से मची डीएपी खाद की किल्लत कम होती नजर नहीं आ रही है। खाद के चलते तीन किसानों की जान जा चुकी हैं। वहीं कृषि मंत्री की रहे हैं कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद है, जिन जिलों में कमी है वहां तुरंत आपूर्ति कराई जा रही है।
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ललितपुर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में डीएपी और एनपीके के चक्कर में तीन किसानों की जान जा चुकी है। दो किसानों की मौत खाद के लिए लाइन में लगने के दौरान बीमार होने से हुई जबकि एक किसान ने फांसी लगा ली। 18-19 तारीख की बारिश के बाद से हजारों किसानों की भीड़ सरकारी और निजी दुकानदारों के सामने उमड़ रही है।

36 साल के महेश बुनकर खाद के लिए 3 दिन से लाइन में लग रहे थे। सोमवार (25 अक्टूबर) को दोपहर 12.30 बजे उनकी तबीयत बिगड़ी उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

महेश दिल्ली से करीब 600 किलोमीटर दूर यूपी के बुंदेलखंड में ललितपुर जिले के नाराहट थाना क्षेत्र में बनयाना गांव के रहने वाले थे। इससे पहले 22 अक्टूबर को ललितपुर जिले में ही जाखलौन थाना क्षेत्र के नया गांव के रहने वाले किसान भोगीलाल की ऐसे ही मौत हो चुकी है। वो दो दिन से खाद के लिए दिन रात लाइन लगा रहे थे, अचानक बेहोश होकर गिए और जिला अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जिला प्रशासन पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिलाने का भरोसा दिया था। खाद को लेकर हंगामा और किल्लत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 

बनयाना गांव के प्रधान खूब चन्द्र गाँव कनेक्शन से फोन पर कहते हैं, “महेश बुनकर तीन दिन से खाद की लाइन में लगे थे सोमवार का दिन था, ललितपुर की गल्ला मंडी के पास खाद की दुकान पर साढे़ बारह बजे चक्कर आया मुंह से खून का कुल्ला निकला और वो बेहोश हो गऐ। जिला अस्पताल में इलाज हो रहा था मंगलवार को तीन बजे जानकारी लगी उनकी मौत गई।”

महेश दो भाई थे, पिता के नाम पर डेढ़ एकड़ जमीन है। महेश अपने हिस्से की 80 डिसमिल जमीन पर खेती करते थे, वो अपने पीछे पत्नी, दो लड़के और एक लड़की को छोड़ गए हैं।18 अक्टूबर को ललितपुर जिले में हुई बारिश से किसानों को रबी की बुवाई करने लायक खेत में नमी मिल गई, वर्ना उन्हें डीजल या बिजली से खेत का पलेवा करके बुवाई करनी पड़ती।जिले के तमाम दूसरे किसानों की तरह महेश का भी खेत सूख रहा था इसलिए वो लगातार खाद के लिए लाइन में लगे थे। 

एक तरफ जहां हजारों किसान रोज खाद के लिए लाइन में लग रहे हैं वहीं कई बार सड़क पर हंगामा भी हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ किसान गुस्सा और मायूस भी हैं। ललितपुर में खाद न मिलने से परेशान मैलवारा खुर्द गांव के किसान सोनी अहिरवार (40 वर्ष) ने फांसी लगा ली। परिजनों के मुताबिक वो तीन दिन से रोज जिला मुख्यालय (ललितपुर) जा रहे थे, लेकिन पूरा दिन लाइन में लगने के बाद एक बोरी डीएपी नहीं मिल पा रही थी।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ललितपुर से वापस आने के बाद सोमवार की रात उनका शव खेत में लगे महुआ के पेड़ से लटका मिला। वो सोमवार की शाम बिना कुछ कहे खेत पर गए थे। सोनी अहिरवार की पत्नी की कैंसर से मौत हो चुकी है। सोनी अहिरवार के एक लड़का और लड़की है।

प्रशासन के मुताबिक किसान की मौत की वजह खाद नहीं है। ललितपुर के जिलाधिकारी अन्नावि दिनेश कुमार ने कहा,”मैलवरा खुर्द गांव के किसान द्वारा लगाई फांसी के अन्य कारण सामने आ रहे हैं, जिसकी जांच कराई जायेगी। किसान ने खाद से परेशान होकर फांसी नहीं लगाई हैं।”

खाद को लेकर जारी हंगामे के बीच मंगलवार को झांसी मंडल के मंडलायुक्त अजय शंकर पांडेय ललितपुर पहुंचे। मंडलायुक्त की प्रशासनिक अधिकारी के साथ बैठक के बाद जिला प्रशासन ने जारी प्रेस रिलीज में कहा कि “28 अक्टूबर को जिले में चार रेक खाद की उपलब्ध हो जायेगी! आरपीएफ की रेक में 1800 मीट्रिक टन खाद लदी हैं, जो मुंद्रा पोर्ट से चलकर अहमदाबाद पहुँच चुकी हैं। इफको की रैक पारादीप बंदरगाह से निकल चुकी हैं, उसमें 2800 मीट्रिक टन खाद लदी हैं। इसके अतिरिक्त देवरिया को भेजी जाने वाली आईपीएल की खाद ललितपुर के लिए डायवर्ट हुई हैं, जिसमें 2800 मीट्रिक टन खाद लदी हैं। ऐसे में अक्टूबर तक किसानों के लिए पर्याप्त खाद उपलब्ध हो जाएगी।”

वहीं लखनऊ में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रदेश में यूरिया, एनपीके और डीएपी का पर्याप्त स्टॉक है। कहीं भी उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।कृषि मंत्री शाही ने 27 अक्टूबर को अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी उर्वरक कंपनियों से आवंटित लक्ष्य के अनुरूप शेष उर्वरक की आपूर्ति तुरंत करवाई जाए। प्रदेश के जिन जनपदों में उपलब्धता कम है, वहां प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। किसी भी जनपद में उर्वरक की कमी के कारण किसानों को कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।

समीक्षा बैठक में बताया गया कि अनुसार 27 अक्टूबर तक प्रदेश में रबी सीजन 2021 के लिए 3.36 लाख मीटन डीएपी, 1.91 लाख मीट्रिक टन एनपीके और कुल 5.27 लाख मीट्रिक टन फास्फेट खाद की उपलब्ध है। आगामी 10 नवम्बर, 2021 तक 3 लाख मीट्रिक डीएपी एवं 0.50 लाख मीट्रिक टन एनपीके की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का आश्वासन दिया गया है।

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