“कोरोना की वजह से मेरे फेफड़े काम नहीं कर रहे हैं, मेरी कर्ज़ से भरी जिंदगी सरकार माफ करती रहे। मैं किसी कर्मचारी को कष्ट में नहीं डालते .. अब मैं जीना नहीं चाहता। किसी का दोष नहीं। इस परिवार को बचाने में सरकार ध्यान दे। अलविदा भारत व गांव के लोगों” ये एक किसान का सुसाइड नोट है।
65 साल के बुजुर्ग किसान ने आत्महत्या से पहले इस तरह के टूटे और कुछ अधूरे शब्दों में दो नोट लिखे हैं। 29 अक्टूबर को उनका शव उनके ही खेत में पेड़ से लटका मिला था। परिजनों के मुताबिक उनके ऊपर दो बैंकों का करीब 2 लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज़ था। पिछले दिनों बारिश और बाढ़ से उनकी धान की फसल भी बर्बाद हो गई थी।
मृतक किसान अनिल कुमार सिंह दिल्ली से करीब 450 किलोमीटर दूर यूपी में लखीमपुर खीरी जिले की मितौली तहसील के संडिलवा गांव के रहने वाले थे।
अनिल सिंह के बड़े बेटे रविनेश सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, “कर्ज़ तो था ही पिछले दिनों फसल बर्बाद होने से वो परेशान रहते थे। 6-7 एकड़ जमीन उनके नाम पर है।” वो आगे बताते हैं, “एक सुसाइड नोट उनके बिस्तर पर मिला है। दूसरा उनकी जेब में था। जेब वाला हम लोगों को बाद में मिला। 2 साल से माता जी का कैंसर का इलाज चल रहा है 20-25 हजार रुपए उनके दवा पर खर्च होते हैं।”
17 अक्टूबर को हुई भारी बारिश में उनकी 2 एकड़ (खसरा संख्या 454) से ज्यादा धान की फसल बर्बाद हो गई थी, जिसकी उन्होंने 20 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी।
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परिवार के मुताबिक उनके पिता के नाम पर सहकारी समिति और पंजाब नेशनल बैंक में करीब 2 लाख रुपए का कर्ज था। 1 जुलाई 2021 को उनके पास सहकारी बैंक की कर्ज़ वसूली का नोटिस आया था, लिखा था कि 76410 रुपए का मूलधन और 43811 का सूद (ब्याज) को मिलाकर कुल 120221 रुपए बाकी है, जिसे आपके वायदे पर अदा नहीं किया है। इस नोटिस के 15 दिन के अंदर कुल धन जमा नहीं कराने पर आपको खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक ने 31 मार्च 2021 तक कुल 72902 रुपए किसान क्रेडिड कार्ड के लिए नोटिस जारी किया था।
जिलाधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह ने गांव कनेक्शन से कहा, “मुझे मामले की जानकारी नहीं है। जानकारी करके बताता हूं।”
अनिल सिंह के तीन बेटे हैं, जिनकी शादियां हो चुकी हैं। परिवार में कैंसर पीड़ित पत्नी के अलावा 3 बहुएं और 3 पोते-पोतियां हैं। रविनेश सिंह बताते हैं, “पिता जी के साथ हम लोग खेती-बाड़ी ही करते है। मई में उन्हें कोरोना हो गया था, फिर फसल खराब हो गई तो वो और परेशान हो गए।”
कन्नौज में आलू-धान बर्बाद होने से किसान ने की आत्महत्या
अनिल कुमार सिंह के गांव से करीब 150 किलोमीटर दूर कन्नौज जिले के तिर्वा तहसील के सगरा गांव के रहने वाले किसान नन्हेंलाल अपने ही घर में फांसी लगाकर जान दे दी थी। 17-19 अक्टूबर को हुई भारी से उनके 3 एकड़ में बोई गई आलू और तैयार होती धान की फसल बर्बाद हो गई थी। 29 नवंबर को उनके बेटे की शादी थे। परिजनों के मुताबिक फसल बर्बाद होने से परेशान होकर उन्होंने जान दे दी।
फसल बर्बादी से होने से किसान की आत्महत्या की जानकारी होने पर मौके पर एसडीएम और तहसीलदार समेत राजस्व के दूसरे अधिकारियों ने उनके खेत का मुआयना किया था। जिसके बाद उपजिलाधिकारी राकेश त्यागी ने कहा था, “मृतक नन्हेलाल की आलू व धान की फसलें करीब 80 प्रतिशत नष्ट हो गई थीं। फसलों के नुकसान की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है।”
उन्होंने आगे कहा था कि “डीएम की ओर से मृतक के परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद परिवार के लोगों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।” फसल बर्बादी के अलावा अगर यूपी की ही बात करें तो ललितपुर में 20 अक्टूबर के बाद 2 किसानों ने फांसी लगाई है। दोनों किसान खाद न मिलने की वजह से परेशान बताए जाते हैं। 25 अक्टूबर को सोनी अहिरवार (45 वर्ष) ने फांसी लगाई थी, जबकि पाली के किसान बल्लू पाल ने 26 अक्टूबर को फांसी लगा ली। संबंधित खबर
देश में रोजाना 30 किसान और खेतिहर मजदूर करत े हैं आत्महत्या- एनसीआरबी
अनिल कुमार सिंह, नन्हेलाल, सोनी अहिरवार, और बल्लू पाल की भारत में रोजाना 30 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में कृषि क्षेत्र में शामिल कुल 10,667 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें 5579 किसान और 5098 खेतिहर मजदूर शामिल हैं। साल 2020 में देश में कुल 153,052 लोगों ने आत्महत्या की थी, जिसमें से कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों का प्रतिशत करीब 7 है।
28 अक्टूबर को जारी हुई एनएनआरबी की रिपोर्ट ‘Accidental Deaths & Suicides in India – 2020‘ भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएं – 2020 ‘ के मुताबिक देश में कृषि मजदूरों की आत्महत्या की दर में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। साल 2019 में 4324 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी जबकि 2020 में ये संख्या बढ़कर 5098 हो गई है। हालांकि किसानों की आत्महत्या की दर में मामली गिरावट है। किसानों की आत्महत्या के मामलों की संख्या 2019 में 5957 से घटकर 2020 में 5579 हो गई, आंकड़ों के मुताबिक 6 फीसदी की गिरावट है।
साल 2020 में जिन 5579 किसानों ने आत्महत्या की उसमें से 95.6 फीसदी पुरुष और 4.4 फीसदी महिलाएं थी, जबकि खेतिहर मजदूरों की बात करें तो 5098 आत्महत्याओं में 90.6 फीसदी पुरुष और 9.3 फीसदी महिलाएं थी।
इनपुट- लखीमपुर खीरी से मोहित शुक्ला और कन्नौज से अजय मिश्रा