ललितपुर (उत्तर प्रदेश)। “उसी रात गांव में भजन चल रहे थे हम और तीनों बच्चियां सो रहे थे वो गांव में पार्टी करने गया था। जब हमारी आँख खुली वो सजली नातिन राधिका (7 वर्ष) को मारकर रखे था, हमने उसे रोका और कहा मत मार उसने एक नहीं सुनी। हथौड़े से सो रही नातिन पुत्तू (3 वर्ष) और अंजली (11 वर्ष) की जान हमारे सामने ले ली फिर घर में आग लगा दी।”
उस रात का आँखों देखा हाल कहते हुए दोषी छिदामी उर्फ छिद्दू कुशवाहा की मां फुलियाबाई (75 वर्ष) का गला भर आया वो फफक-फफक कर रोने लगी। रूंझे गले से उन्होंने बुंदेली बोली में कहा, “चूहा मरने से पहले ची बोलता हैं लेकिन तीनों बच्चियां ची तक नहीं बोली।”
13 नवंबर 2018 की रात फुलियाबाई कैसे भूल सकती हैं, उनके ही बेटे ने उनका पूरा परिवार अपने हाथों से उजाड़ दिया। चेहरे की झुर्रियां और आँसुओं से भीगी आँखें तीन बच्चियों के जाने का दर्द भुला भी नहीं पाई थी, कि तीन साल बाद 12 नवंबर 2021 को फुलियाबाई के इकलौते बेटे छिदामी को न्यायालय ने मामले में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई।
अपनी पोतियों के हत्यारे और इकलौते बेटे की सजा पर फुलियाबाई ने सिसकियां लेते हुए कहा, “छिद्दू की याद हमें नहीं आती उसने बहुत बुरा किया हम भरे पूरे से कह रहे हैं वो बुरा ही भोगेगा उसने जो किया उसी की सजा मिली उसको।”
बुजुर्ग फुलियाबाई आगे कहती हैं,”उस रात छिद्दू शराब की पार्टी गाँव में कर रहा था, शराब ने हंसता खेलता परिवार बर्बाद कर दिया, उसनें शराब की संगत छोड़ दी होती तो हमारी बच्चियां नहीं मरती ना ही उसे फांसी होती।”
दोषी छिदामी उर्फ छिद्दू कुशवाहा गाँव वीर बानपुर थाना क्षेत्र में आता हैं जो ललितपुर में मुख्यालय से पूर्व-उत्तर दिशा में 48 किलोमीटर दूर है। कभी भरे-पूरे इस घर में अब दोषी छिद्दू की बूढ़ी मां फुलियाबाई, पत्नी राजपति, मझली बिटिया शिवानी (11 वर्ष) व छोटी बिटिया कविता (4 वर्ष) रहती हैं।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश निर्भय प्रकाश ने तीन बेटियों की हत्या के जुर्म में उनके पिता छिदामी को फाँसी की सजा सुनाई है। शासकीय अधिवक्ता (सरकारी वकील) राकेश तिवारी कहते हैं कि, “बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गई इसके बाद न्यायालय ने 13 नवंबर 2018 की रात घर में सो रही अपनी तीन नाबालिग बेटियों को हथौड़े से मारा फिर जिंदा जला देने के मामले में छिदामी उर्फ छिद्दू (35 वर्ष) को दोषी पाया। न्यायालय ने 12 नबम्बर 2021 को छिदामी को मौत की सजा सुनाई और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।”
घटना के बारे में सरकारी वकील ने कहा, “छिदामी उर्फ छिद्दू कुशवाहा ने शराब के नशे में 13 नवंबर 2018 की रात घर में तीनों लड़कियों पर हथौड़े से वार किऐ फिर रसोई गैस से घर में आग लगाई। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने तीन बच्चियों को मृत घोषित कर दिया, प्रकरण की प्राथमिकी छिदामी के खिलाफ गाँव के पूरन सिंह ने दर्ज कराई थी।”
गांव के चौकीदार पूरन सिंह को उस रात आग लगने की बात का पता चलने पर वो कहते हैं,” रात के करीब चार बजे जाकर देखा कि घर में आग लगी थी हमने छिद्दू से पूछा कि क्या हुआ वह बोला तीनों बच्ची मार डाली हमने। मैने कहा बुरा किया तूने। उस समय गैस सिलेंडर खुला था घर में आग लगी थी हमने गैस सिलेंडर को उठाकर बाहर रखा तीनों मोड़ी (बच्चियों) को उठाकर बाहर आँगन में रखी और पुलिस को बुलाया।”
शराब पीकर आए दिन घर में करता था मारपीट
घटना के एक माह पहले दोषी छिदामी की पत्नी राजपति (33 वर्ष) अपनी दो बेटियों शिवानी और कविता को लेकर मायके चली गई थी। राजपति का मायका मध्य प्रदेश के दतिया जिले के बिल्लारी गांव में है।
राजपति बताती हैं, “पहले सब ठीक था दो साल से पति शराब का आदी हो गया था, गाँव में पार्टियां होती थी। शराब पीकर घर पर लड़ना आय-दिन का काम था। शराब को लेकर पति से झगड़ा हुआ तो उसने छोटी बच्ची कविता जो एक साल की थी, उसे उठाकर फेंक दिया। और हम लोगों से कहा जहां जाना है जाओ, मुझे सकल न दिखाना।”
एक महीना पहले पत्नी चली गई थी मायके
झगड़े के बाद राजपति अपनी पांचों बेटियों को साथ लेकर मायके जाना चाहती थी लेकिन साल फुलियाबाई चाहती थी बच्चियां उनके पास रुक जाएं क्योंकि उन्हें भी शराबी बेटे के तांडव का डर था।
राजपति कहती हैं, “सास ने कहा था वह दारू पीकर उधम (हंगामा) करेगा बच्चियों को मेरे पास छोड़ जाओ। फिर तीन बच्चियों को छोड़कर 2 को साथ लेकर दीपावली के पहले मायके चले गये थे।”
वो उस दिन को कोसते हुए कहती हैं, “अगर बच्चियों को नहीं छोड़ा होता तो ये घटना नहीं होती।”
परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
इस दर्दनाक और शर्मसार करने वाले घटनाक्रम की उस वक्त काफी चर्चा हुई थी। घटना के बाद राजपति के परिवार के सब कुछ खो दिया। परिवार पर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
राजपति के मुताबिक हत्या छिद्दू ने की थी उसे जेल भी हुई लेकिन सभी लोग पूरे परिवार को हत्यारे की नजर से ही देखते हैं।
राजपति कहती हैं, “हमारी तीन बच्चियां मर गई, हमारा आदमी जेल चला गया, हमारे घर को लेकर हत्यारों की तरह देखने लगे। परिवार के लोगों ने हल्दी बांट (किनारा कर लिया)। अब हम अकेले हैं गांव के लोग शादी समारोह में नहीं बुलाते। पहले जैसा था अब वैसा नहीं है दूसरी सजा परिवार भोग रहा है।”
छिद्दू ने तीन बेटियों की जान ली, 2 अभी जिंदा हैं लेकिन वो भी अपने पिता से कभी नहीं मिलना चाहती। राजपति कहती हैं, पापा से मिलने की बात पर बड़ी बेटी रोने लगती हैं। वो कहती है, हमें नहीं मिलना है, जैसा हमारी दीदी को मार दिया वैसे हमें मार डाले।”
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) आंकड़ों के अनुसार, “31 दिसंबर 2019 तक देश की अलग-अलग जेलों में 4,78,600 लोग कैद थे, जिसमें उत्तर प्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा 1,01,297 लोग कैद थे। आंकड़ों के अनुसार जेल में बंद सबसे ज्यादा कैदियों की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। कुल कैदियों में से 2,07,942 यानी 43.4% कैदी 18 से 30 साल के लोग थे, जबकि 2,07,104 कैदियों की उम्र 30 से 50 के बीच थी।