भारत में खेती को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने सुझाए सात रास्ते

स्मार्ट एग्रीकल्चर को लेकर आयोजित चर्चा में प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती, हर्बल मेडिसिन, आधुनिक टेक्नॉलॉजी, खाद्य तेलों की खेती को बढ़ावा जैसे कई मुद्दों पर बात की।
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देश में स्मार्ट एग्रीकल्चर, प्राकृतिक खेती सहित कई मुद्दों पर गुरुवार 24 फरवरी को विस्तृत चर्चा की गई। इस वेबिनार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य रूप से संबोधित किया।

इस वेबिनार में प्राकृतिक खेती व इसकी पहुंच, उभरता हुआ हाई-टेक व डिजिटल एग्री इकोसिस्टम, मिलेट्स के महत्व के मद्देनजर इसका उपयोग व्यापकता से वापस किया जाना व खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता बढ़ाना जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “बीते 7 सालों में हमने बीज से बाज़ार तक ऐसी ही अनेक नई व्यवस्थाएं तैयार की हैं, पुरानी व्यवस्थाओं में सुधार किया है। सिर्फ 6 सालों में कृषि बजट कई गुणा बढ़ा है। किसानों के लिए कृषि लोन में भी 7 सालों में ढाई गुणा की बढ़ोतरी की गई है। कोरोना के मुश्किल काल में भी स्पेशल ड्राइव चलाकर हमने 3 करोड़ छोटे किसानों को KCC की सुविधा से जोड़ा है।”

केसीसी के विस्तार पर पीएम ने कहा कि इस सुविधा का विस्तार Animal Husbandry और Fisheries से जुड़े किसानों के लिए भी किया गया है। माइक्रो इरीगेशन का नेटवर्क जितना सशक्त हो रहा है, उससे भी छोटे किसानों को बहुत मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने सुझाए ये रास्ते 

इस वर्ष का एग्रीकल्चर बजट बीते सालों के इन्हीं प्रयासों को आगे ले जाता है, उनको विस्तार देता है। इस बजट में कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए गए हैं।

  • पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। उसमें हर्बल मेडिसिन पर भी बल दिया जा रहा है। फल-फूल पर भी बल दिया जा रहा है।
  • दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।
  • तीसरा- खाद्य तेल के इंपोर्ट को कम करने के लिए मिशन ऑयल पाम के साथ-साथ तिलहन को जितना हम बल दे सकते हैं, उसको सशक्‍त करने का हम प्रयास कर रहे हैं और इस बजट में इस पर बल दिया गया है।
  • इसके अलावा चौथा लक्ष्य है कि- कि खेती से जुड़े उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पीएम गति-शक्ति प्लान द्वारा लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी।
  • बजट में पांचवां समाधान दिया गया है कि एग्री-वेस्ट मेनेजमेंट को अधिक organize किया जाएगा, वेस्ट टू एनर्जी के उपायों से किसानों की आय बढ़ाई जाएगी।
  • छठा सॉल्यूशन है कि देश के डेढ़ लाख से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस में रेगुलर बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी, ताकि किसानों को परेशानी ना हो।
  • और सातवां ये कि – एग्री रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट में आज के आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया जाएगा।

साल 2023 रहेगा अंर्तराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के नाम

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने देखा है कि कोरोना काल में हमारे यहां के मसाले, हल्दी जैसी चीजों का आकर्षण बहुत बढ़ा है। साल 2023 International Year of Millets है। इसमें भी हमारा कॉरपोरेट जगत आगे आए, भारत के Millets की ब्रैंडिंग करे, प्रचार करे। हमारा जो मोटा धान है और हमारे दूसरे देशों में जो बड़े मिशन्स हैं, वो भी अपने देशों में बड़े-बड़े सेमीनार करे, वहां के लोगों को जो importers हैं वहां, उनको समझाएं कि भारत के जो Millets हैं, जो भारत का धान है वो कितने प्रकार से उत्‍तम है। उसकी tasting कितनी महत्‍वपूर्ण है। हम हमारे मिशनों को लगा सकते हैं, हम सेमिनार, वेबिनार, importer-exporter के बीच हमारे Millets के संबंध में कर सकते हैं। भारत के Millets की Nutritional Value कितनी ज्यादा है, इस पर हम बल दे सकते हैं।

सॉयल हेल्थ कार्ड क्यों है जरूरी

कृषि में मिट्टी की जांच की उपयोगतिता समझाते हुए पीएम ने कहा, “आपने देखा है कि हमारी सरकार का बहुत ज्यादा जोर सॉयल हेल्थ कार्ड पर रहा है। देश के करोड़ों किसानों को सरकार ने सॉयल हेल्थ कार्ड दिए हैं। जिस तरह एक जमाना था न पैथोलॉजी लैब होती थी, न लोग पैथोलॉजी टेस्‍ट करवाते थे, लेकिन अब कोई भी बीमारी आई तो सबसे पहले पैथोलॉजी चैकअप होता है, पैथोलॉजी लैब में जाना होता है। क्‍या हमारे स्‍टार्टअप्‍स, क्‍या हमारे private investors स्‍थान-स्‍थान पर प्राइवेट पैथोलॉजी लैब्‍स जैसी होती हैं वैसे ही हमारी धरती माता, हमारी जमीन उसके सैंपल को भी पैथोलॉजिकल टेस्‍ट कर-करके किसानों को गाइड कर सकते हैं। सॉयल हेल्‍थ की जांच, ये लगातार होती रहे, हमारे किसानों को अगर हम इसकी आदत डालेंगे तो छोटे-छोटे किसान भी हर साल एक बार सॉयल टेस्‍ट जरूर करवाएंगे। और इसके लिए इस प्रकार की सॉयल टेस्टिंग लैब्‍स का एक पूरा नेटवर्क खड़ा हो सकता है। नए equipment बन सकते हैं। मैं समझता हूं एक बहुत बड़ा क्षेत्र है, स्टार्ट-अप्स को आगे आना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “हमें किसानों में भी ये जागरूकता बढ़ानी होगी, उनका सहज स्वभाव बनाना होगा कि वो हर एक-दो साल में अपने खेत की मिट्टी का टेस्ट कराए, और उसके मुताबिक उसमें कौन सी दवाइयों की जरूरत है, कौन से फर्टिलाइजर की जरूरत है, किस फसल के लिए उपयोगी है, उसका उनको एक साइंटिफिक ज्ञान मिलेगा आपकी जानकारी में है कि हमारे युवा वैज्ञानिकों ने नैनो फर्टिलाइजर develop किया है। ये एक गेम चेंजर बनने वाला है। इसमें भी काम करने के लिए हमारे कॉरपोरेट वर्ल्ड के पास बहुत संभावनाएं हैं।”

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