लखनऊ। बम विस्फोटक दल के श्वानदल की डाबरमैन जिमली सुबह छह बजे से मुख्यमंत्री की रक्षा में ड्यूटी करके दोपहर में अपने विश्रामगृह में वापस आई थी। लेकिन वहां न तो ठण्डा पानी था, न ही कूलर की व्यवस्था जबकि तापमान कुछ दिनों से लगातार बढ़ रहा है और इन जानवरों को गर्मी बहुत लगती है।
ठीक इसी तरह मुख्यमंत्री सुरक्षा में लगे अश्वदल का घोड़ा और घोड़ी वाज़िर और रानी, सुबह से दोपहर तक मुख्यमंत्री अवास पर ड्यूटी करके आए, तो उनकी नांद में भी पानी की व्यवस्था नहीं थी, न ही पंखा था। मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे श्वानदल (कुत्तों का समूह) और अश्वदल में क्रमश: सात व 29 पशु हैं। ये सभी पशु अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से करते हैं, कई अपरिहार्य घटनाओं को टालने में मदद करते हैं लेकिन इनके रहन-सहन और खान-पान पर विभाग बहुत कोताही बरत रहा है। मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे डॉग स्कवॉड के एक सिपाही ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि इनके खाने का पैसा समय पर नहीं आता है। अभी तक इनके लिए मात्र ढाई सौ रुपये प्रतिदिन दिए जाते हैं। डॉग स्कावॉड दल में मानव गंध पहचानने के लिए पांच जर्मन शेफर्ड हैं और बम विस्फोटकों का पता लगाने के लिए दो डाबर मैन हैं।
गाँव कनेक्शन संवाददाता ने पड़ताल कि तो पता चला कि घोड़े व कुत्तों के कमरों के कूलर खराब पड़े थे। गन्दगी चारों तरफ फैली थी। यहां तक कि जानवरों के लिए डाक्टरों की सुविधा भी न के बराबर है। कमरों की स्थित के साथ-साथ घोड़ों के खान-पान की स्थिति भी कुत्तों के विश्रामगृह की तरह ही बदहाल है। इनके खान-पान पर रोज़ का 257 रुपये खर्च होता है। कर्मचारियों ने बाताया कि वो भी समय पर नहीं मिल पाता।
गाँव कनेक्शन ने पाया कि घोड़ों के अस्तबल के चारों तरफ गन्दगी व काई जमी हुई थी। मक्खी व मच्छर की भरमार थी। अस्तबल में 10 पंखे लगे जिसमें से दो पंखे चल रहे हैं। और पांच नये पंखे की मांग की गई है। घोड़ों के लिए बनाए गए अस्तबल भी अंग्रजों के ज़माने के हैं। दस नए कमरे बने हैं, बाकी की मरम्मत करके काम चलाया जाता है।