धधकती आग में हजारों सपने खाक

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लखनऊ। राजधानी में बालू अड्डे चौराहे के पास कबाड़ की दुकानों और झुग्गियों में भीषण आग लग गई। आग में 50 से ज्यादा झुग्गियां और हज़ारों रुपये का कबाड़ जलकर खाक हो गया। 

झुग्गियों के आस-पास रखे प्लास्टिक के चलते आस-पास के बड़े क्षेत्र में काला धुआं फैल गया। दमकल की 20 गाड़ियों ने डेढ़ घंटे की ज्यादा मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

शनिवार की शाम करीब पांच बजे 1090 चौराहे के सामने से अचानक काला धुआं उठता देख लोगों में हड़कंप मच गया। धुआं बालू अड्डे के पास बहुखंडी विधायक आवास के सामने कबाड़ के गोदामों और झुग्गियों में लगी थी। इन झुग्गियों में भारी मात्रा में प्लास्टिक का कचरा, पुराना फर्नीचर, शराब और बीयर की बोतलें भरी हुईं थी, इसलिए देखते ही देखते आग बेकाबू हो गई।

सामने की बिल्डिंग में काम कर रहे पुष्पेंद्र यादव (35 वर्ष) ने बताया, “एक झुग्गी से आग की लपटें देखी, फिर कोई धमाका हुआ। जब तक मैं अपनी बिल्डिंग से उतर कर नीचे आता, कुछ ही मिनटों में आग ने जोर पकड़ लिया था”। 

प्लास्टिक जलने से निकलने वाले धुएं के चलते दमकल कर्मचारियों समेत आग बुझाने में जुटे लोगों को को खासी परेशानी हुई। मौके पर मौजूद डीआईजी लखनऊ रेंज आरकेएस राठौड़ ने बताया, “आग बहुत भीषण थी, कबाड़ और प्लास्टिक के चलते आग बुझाने में करीब 45 मिनट लग गए। फिलहाल किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है”।

आग में अपनी सालों की कमाई और सामान गवां चुकीं तोशीमा (30 वर्ष) ने रोते हुए बताया, “सब खाक हो गया। ये जो पहने हैं (साड़ी) इसके अलावा कुछ बचा नहीं है। बस जान बचा कर भागे हैं”। तोशीमा गुवाहाटी असम की रहने वाली हैं। इनके परिवार में पांच लोग हैं, जो दिनभर शहर में कचरे से प्लास्टिक बीनते थे, उसे साफकर बेचते थे। 

मौके पर मौजूद एडीएम पूर्वी निधि श्रीवास्तव ने बताया, “बस्ती के काफी लोग प्रभावित हुए हैं, प्रशासन की पहली प्राथमिकता आग पर काबू पाने के बाद पीड़ितों को तत्कालिक सहायता उपलब्ध कराना है”।

बहुखंडी आवास के ठीक सामने बनी बालू अड्डा चौराहे से डीजीपी दफ्तर को जाने वाली रोड पर शनिवार को काले-काले धुएं के बीच कई घंटों तक कोहराम मचा रहा। 

आग की लपटों से दूर भागते लोग पीछे मुड़-मुड़ कर देख रहे थे। कूड़ा बीनने वाले, पुराना फर्नीचर बेचने वाली दुकानों और झुग्गियों में भीषण आग लगी थी।

जिलाधिकारी राजशेखर ने बयान जारी कर कहा,  “प्राथमिक जांच में पता चला है कि खुले में खाना बनाते वक्त आग लगी है। आग पर डेढ़ घंटे में काबू पा लिया गया। जिला प्रशासन ने फिलहाल 50 पीड़ित परिवारों की सूची बनाई है। मौके पर खाना, पानी, शौचालय और रहने का प्रबंध किया जा रहा है।”

असम से राजधानी में आकर बसे इऩ परिवारों का अशियाना झुग्गी में ही था, जो शुक्रवार को खाक हो गए। इऩ परिवारों के छोटे सदस्य और महिलाएं राजधानी की गलियों में प्लास्टिक और कबाड़ बीनते हैं तो घर के बड़े गोदाम चलाते हैं और दूसरे कबाड़ियों से भी रद्दी, प्लास्टिक, बोलतें आदि खरीदते बेचते हैं। आग की चपेट में सैकड़ों झुग्गियां आईं, गनीमत रहीं बीच में एक गली थी, जिससे उस पार की दूसरी सैकड़ों झुग्गियां और गोदाम बच गए। तरबकर की यहां 2 झुग्गियां थीं दोनों जल गईं। अपने दो साल के बच्चे को गोदी में उठाते रोते हुए वो बोलीं, वहां से (असम) से दो साल पहले आए थे, सोचा था कुछ काम मिल जाएगा, नहीं मिला तो कचरा बीनना शुरू कर दिया था, खाना-पीना चलने लगा था, लेकिन अब कुछ नहीं बचा।”  मौके पर आग में जलते अपने सामान को देखकर कई लोग बिलखते नजर आए।

आबादी के बीच ऐसे गोदाम क्यों? 

डालीबाग के पॉश एरिया और विधायक निवास समेत कई बड़े दफ्तरों और बिल्डिगों के बीच ऐसे कबाड़ के गोदाम होने पर लोगों ने हैरत जताई। काला धुआं देखकर लोग बाते कर रहे थे, अगर आग ज्यादा बढ़ी तो बहुत नुकसान होगा। आबादी के बीच इतनी प्लास्टिक और ज्वलनशील पदार्थों वाले गोदाम, दुकानें क्यों नहीं हटाई गईं इस पर एडीएम पूर्वी निधि श्रीवास्तव ने कहा, जमीन नगर निगम की है, फिलहाल हमारी प्राथमिकता आग पर काबू पाकर इन्हें राहत देने की है। बाकी बाद में देखेंगे। हालांकि इसी सवाल के जवाब में डीआईजी आरकेएस राठौड़ ने कहा, “मामला गंभीर है, वो इस बारें उच्च अधिकारियों से बात करेंगे।”

दमकल कर्मियों ने दिखाया साहस

आग की चपेट में आकर एक के बाद एक कई सिलेंडर एक के बाद एक फट रहे थे, लेकिन दमकलकर्मी आग बुझाने में जुटे रहे। स्थानीय लोगों ने भी उनकी हर संभव मदद की। कई दमकलकर्मी आग अपनी जान जोखिम में डालकर आग के बीच तक चले गए। जिलाधिकारी ने दमकल विभाग के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के जवानों की भी सराहना थी। जिला प्रशासन ने आग बुझाने में जुटे चार युवाओं को सम्मानित करने का फैसला किया है।

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