करोड़ों के टैबलेट बने खिलौने

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बछरावां, रायबरेली। मनरेगा योजना के तहत पंचायतों में किए गए विकास कार्यों का लेखाजोखा रखने के लिए ग्राम रोज़गार सेवकों को बांटे गए लाखों की कीमत के टैबलेट महज़ खिलौना बन कर रह गए हैं। पिछले वर्ष मनरेगा को नई तकनीक से जोड़ने के लिए चालू किए गए टैबलेट प्रोजेक्ट ने ज़मीनी स्तर पर दम तोड़ दिया है।

रायबरेली जिला मुख्यालय से करीब 36 किमी. उत्तर दिशा में बछरावां ब्लॉक में मनरेगा योजना के अंतर्गत टैबलेट प्रोजेक्ट के परियोजना अधिकारी अरविंद बाजपेई बताते हैं, पिछले वर्ष इस योजना के तहत ब्लॉक की 10 पंचायतों में टैबलेट बांटे गए थे और इन पर होने वाले काम और इसके इस्तेमाल के तौर तरीकों के बारे में भी ग्राम रोज़गार सेवकों को ट्रेनिंग दी गई थी। मगर बजट की कमी के कारण यह सुविधा अभी शुरू नहीं की जा सकी है।” उन्होंने बताया कि हर टैबलेट की कीमत करीब दस हजार रुपए थी। प्रथम चरण में प्रदेश की 4,030 ग्राम पंचायतों में टैबलेट बांटे जा चुके हैं।इस योजना के अंतर्गत रायबरेली जिले में पिछले वर्ष 90 ग्राम पंचायतों के रोजगार सेवकों को टैबलेट बांटे जा चुके हैं पर अभी भी यह योजना ठप है।

पंचायत स्तर पर बांटे गए टैबलेटों का योजना के तहत इस्तेमाल न किए जाने की बात पर मनरेगा उपायुक्त, उत्तर प्रदेश प्रतिभा सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, ‘मनरेगा में इस तकनीकी व्यवस्था को पिछले वर्ष 15 अगस्त से शुरू किया जाना था पर केंद्र सरकार से कोई भी आदेश न मिल पाने के कारण इस योजना को चालू नहीं किया जा सका है।’’

मनरेगा योजना के अंतर्गत इस सुविधा में टैबलेटों को इस्तेमाल करने के लिए सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित किया गया था, जिसमें मनरेगा में होने वाले काम और श्रमिकों की जानकारी रखी जानी थी। इसके संचालन का ज़िम्मा ग्रामसभाओं में तैनात पंचायत मित्र (ग्राम रोजग़ार सेवकों ) और ग्राम प्रधानों को दिया गया था। ‘इस प्रोजेक्ट को नए सिरे से पुनः चालू करने के लिए सरकार नई कार्ययोजना बना रही है, जिसमें पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश के एक जिले में इसका संचालन होगा फिर पूरे प्रदेश में यह योजना शुरू की जाएगी। पायलेट प्रोजेक्ट का काम अगले 15 दिनों में शुरू होगा।’’ मनरेगा उपायुक्त, प्रतिभा सिंह ने बताया।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

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