भुखमरी के कगार पर अंजली का परिवार

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रायबरेली। अंजली के परिवार ने अपनी रोज़ी-रोटी चलाने के लिए जब गंगागंज गाँव में गैस एजेंसी खोलने के लिए आदित्य फ्यूल्स नाम की एक निजी गैस कंपनी से अनुबंध किया तो उन्हें यह पता नहीं था कि उनके साथ एक बड़ा धोखा होने वाला है।    

पिछले चार वर्ष से इस निजी गैस कंपनी की धोखाधड़ी का शिकार अंजली का परिवार भुखमरी के कगार पर है। अपने परिवार की इस हालत को बयां करते हुए अंजली बताती हैं, “गैस ऐजेंसी लेने में कंपनी ने हमसे सात लाख सेक्योरिटी, 35 हज़ार रुपये

लाइसेंस में लिए। गंगागंज गाँव में गैस का गोदाम भी बनाने में 10 लाख रुपए खर्च हो गए। जब ऐजेंसी पूरी तरह खुलने को तैयार थी तो कंपनी ने निरीक्षण कर गोदाम के गलत नक्शे का बहाना बता हमें एजेंसी देेने से मना कर दिया और सारे पैसे जब्त कर लिए।” जहां पहले अंजली का परिवार हंसता-खेलता परिवार था, वहीं अब एकाएक 20 लाख की धोखाधड़ी होने के कारण परिवार की हालत दयनीय हो गई है। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में 12वीं कक्षा में पढ़ रही अंजली के ऊपर पूरे परिवार की जि़म्मेदारी है। अंजली के पिता अपने साथ इतना बड़ा धोखा होने से बुरी तरह से टूट चुके हैं और शारीरिक रूप से अक्षम हैं।

“मैंने अपने परिवार की समस्या को जिलाधिकारी समेत सीओ व महिला आयोग तक बताई है पर हमें अभी तक कहीं से भी न्याय नहीं मिल पाया है। यहां तक की मैंने अपनी समस्या को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल रामनाइक व राजनाथ सिंह को फैक्स भेज कर बताई है पर अभी तक किसी ने भी मेरी नहीं सुनी।” अंजली आगे बताती हैं। 

अंजली के स्कूल को इस बार दो दिसम्बर को गाँव क नेक्शन एवार्ड में आने का मौका मिला, अंजली की आंखों मेें आशा की चमक थी जब उसने पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने सामने देखा था। अंजली बताती हैं, “गाँव कनेक्शन की स्वयं मुहिम की बदौलत मैंंने अपने परिवार की हालत मुख्यमंत्री जी से बताई थी। मुझे बहुत अच्छा लगा जब वो मुझे रोता हुआ देख खुद चलकर मेरे पास आए और मेरा पत्र लिया। मुझे पूरी उम्मीद है कि वो मुझे इंसाफ दिलाएंगे।”

अचानक इतने बड़े आर्थिक नुकसान से अंजली के परिवार के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है। परिवार की देखरेख के अलावा बोर्ड परिक्षा की तैयारी में जुटी अंजली के सामने आई इस परेशानी को बताते हुए उसके फूफा अखिलेश मिश्रा बताते हैं, “परिवार को संभालते हुए भी अंजली ने 10वीं में 80 फीसदी अंक पाए थे। इस बार भी हमें उससे यहीं उम्मीद है। मैं उसके परिवार की हर संभव सहायता कर रहा हूं। पर जल्दी ही न्याय ना मिला तो परिवार टूट जाएगा।”

आदित्य फ्यूल कंपनी दिल्ली व इलाहाबाद में अभी भी कार्यरत है। गाँव कनेक्शन ने कई बार कंपनी से संपर्क साधने की कोशिश की पर कंपनी प्रशासन इस मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं है। अंजली पिछले तीन वर्षों से हर दिन आदित्य फ्यूल कंपनी गैस कंपनी में फोन करती हैं पर फोन की दूसरी तरफ से कोई भी जवाब नहीं मिलता है तो निराशा के काले बादल फिर उसके आँखों में छा जाते हैं। हालत यह है कि अगर जल्दी ही इंसाफ ना मिला तो परिवार आत्महत्या की कगार पर खड़ा है।

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