मनरेगा के तालाबों में हो रही खेती

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बाराबंकी। मनरेगा के तहत सरकार ने हर ग्रामीण पंचायत में तलाब खुदवाएं और उनका सौंदर्यीकरण भी करवाया। लेकिन सरकार ने जिन तालाबों की देखरेख व निर्माण के लिए लाखों रूपए खर्च किए उनमें आज जल संरक्षण के बजाए खेती की जा रही है, तो कहीं घर बनाए जा रहे हैं। 

बाराबंकी जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा से 35 किमी की दूरी पर विकास खंड सूरतगंज की छेदा ग्राम पंचायत में सरैया तालाब एक एकड़ क्षेत्र में है, जिसकी खुदवाई व सौंन्दर्यीकरण पिछले पंचायत कार्य काल में किया गया था। इस तालाब को मुख्य रूप से जल संरक्षण व खेती में जल के प्रयोग के लिए किया गया था।

छेदा ग्राम सभा के पूर्व प्रधान रामलखन यादव 50 वर्ष बताते हैं, ”इस तालाब की खुदाई हमारे कार्य काल में मनरेगा के तहत की गई थी, जिसकी लागत तीन लाख आई थी। तालाब अब सिर्फ दो-ढाई बीघा बचा है। तालाब में एक-दो बार पानी भरवाया लेकिन उसमें पानी नहीं रुकता जिसके कारण हम खेती नहीं कर पा रहे,  इसलिए हमने गेहूं जैसी फसलें इस तालाब में बोना शुरू कर दिया।’’

जिला मुख्यालय से 49 किमी दूर हैदरगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत भिखरा के सुरेश कुमार बताते हैं, ‘‘तालाब पर कब्जा कर लिया जो डेढ़ एकड़ का है, जिसकी शिकायत तहसील में कई बार की और किसान दिवस पर मुद्दे भी उठाए पर कोई सुनवाई नहीं हुई।’’

इस पर ज़िला मुख्य विकास अधिकारी ऋषिरेन्द्र कुमार बताते हैं, ” ऐसे बहुत से तालाब हैं, जिन पर कब्जा हो रहा है, इस पर लगातार रोक लगाई जा रही है, जिनकी शिकायतें आती हैं, उन पर कार्रवाई की जाती है। इन तालाबों को मौके पर देखकर ही कुछ कह सकता हूं।’’

सुरजनपुर गाँव में गाँव कनेक्शन की मुहिम ‘स्वयं’ में स्थानीय कॉलेज के विद्यार्थियों ने बढ़चढ़ के हिस्सा लिया, जिसमें स्कूल के छात्र अन्नत कुमार ने बताया, ” तीन बार जीते प्रधान तालाब पर कब्जा किए हुए हैं और पहले खुदे तालाब को दुबारा खुदवा रहे हैं।’’

फतेहपुर ब्लॉक के बरेथी गाँव के हरनेश कुमार (26 वर्ष) बताते हैं, ”प्रधान ने तालाब पर कब्जा किया और तालाब पर यूकेलिप्टिस के पेड़ लगाए हैं, जिसके खिलाफ कई बार शिकायत कर मुकदमा भी किया गया है पर कोई फायदा नहीं हुआ।’’ 

वो आगे बताते हैं कि बेटा सचिवालय में चपरासी की नौकरी करता है इसलिए कोई कुछ नहीं कहता। पूर्व प्रधान ने जब तालाब के कब्जे हटाने की बात की थी तो सचिवालय से फोन करवा दिया गया था।

पंचायत के निवासी शफीक राईन (40 वर्ष) बताते हैं, ”तालाब की देख- रेख न होने के कारण तालाब के चारों-तरफ की बांउड्री टूट गयी है। सरकार की मंशा पर पानी फिरता नज़र आ रहा है और इस पंचायत में जो भी तालाब हैं, उन पर लोगों का कब्जा बढ़ता जा रहा है जिसके कारण तालाब सिमटते जा रहे हैं।’’

रिपोर्टर – स्वाती शुक्ला, वीरेन्द्र सिंह

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