गाँवों में तेज़ी से बढ़ता एचआईवी

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लखनऊ/सीतापुर। सीतापुर जिले में मिश्रिख के पास एक गाँव में 28 साल के एक युवक की पिछले दिनों मौत हो गई।  समय तक घरवालों को ये पता नहीं था कि युवक को एड्स है। मृतक कई वर्षों से भोपाल में काम कर रहा था।

यूपी में ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी)/एड्स के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें अधिकांश वे लोग हैं जो बड़े शहरों, खाड़ी देशों में काम करते हैं या फिर सेक्स वर्कर हैं। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसायटी के ताजा अनुमानित आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अब तक 9,436 लोगों मौत हुई है।

हालांकि एड्स पीडि़त मरीजों की संख्या बढऩे की मुख्य वजह लोगों में जागरूकता आना बताया जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (यूपीएसएसीएस) के अपर परियोजना निदेशक राकेश कुमार मिश्रा बताते हैं, ”लोग जागरूक हुए हैं। अब वो छिपाते नहीं हैं। दूसरी बीमारियों की तरह इसे भी बीमारी मानकर जांच और इलाज कराते हैं। ज्य़ादातर केस उन इलाकों से आते हैं जहां के लोग या तो बाहर काम करने जाते हैं या फिर वे इलाके हैं जहां बड़ी संख्या में लोग बाहर से आए हैं। हम लोग इन पर पूरी नज़र रखते हैं।”

राकेश मिश्रा के जागरूकता वाले दावे पर गौर किया जा सकता है। उन्नाव समेत दूसरे जिलों में कई मामले ऐसे सामने आए हैं जब खाड़ी देशों से लौटे पतियों को महिलाएं खुद जिला अस्पताल ले गईं और उनकी जांच करवाई।

भारतीय उद्योगों के संगठन ‘फिक्की’ अपनी फाउंडेशन संस्था के तहत एचआईवी और एड्स के खिलाफ अभियान चलाता है। फिक्की फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. रोमा अग्रवाल भी मानती हैं कि महिलाएं आगे आ रही हैं। वो बताती हैं, “अधिकतर मामले ऐसे रहते हैं, जिसमें पत्नियां ही पतियों को लेकर जांच के लिए आती हैं।”

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) द्वारा वर्ष 2015-16 में एक लाख 22 हज़ार लोगों को एचआईवी संक्रमण होने का अनुमान लगाया था, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (यूपीएसएसीएस) ने एचआईवी प्रभावित 90,000 लोगों को अपने केंद्रों द्वारा चिन्हित कर लिया है।

यह आंकड़े इसलिए भयावह हैं क्योंकि 2013 में जारी यूनाइटेड नेशन ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक लाख तीस हजार लोगों की मौत एड्स से हुई थी। इनमें नागालैंड, मिज़ोरम समेत आंध्रप्रदेश का नाम सबसे ऊपर था, जबकि यूपी का नाम काफी नीचे था। लेकिन मौजूदा हालात में यूपी के हालात बिगड़े हैं।

राकेश मिश्रा आगे बताते हैं, “एड्स के खिलाफ सरकारी और निजी संस्थाएं मिलकर काम कर रही हैं। अगर यूपी से बड़ी संख्या में लोग मुंबई जाते हैं तो हम वहां कार्यरत संस्थाओं को इसकी ख़बर दे देते हैं। इसी तरह अगर त्योहार के दौरान किसी इलाके में प्रवासी भारी संख्या में आते हैं तो हम वहां कैंप लगा देते हैं।”

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