नई दिल्ली (भाषा) । थोक मुद्रास्फीति के जनवरी में ढाई साल के उच्चतम स्तर 5.25 प्रतिशत पर पहुंचने को लेकर भारतीय उद्योग जगत ने ब्याज दरों को कम करने के साथ ही नीति निर्माताओं से विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र को ऋण प्रवाह बढ़ाने और उसकी बेहतरी के लिए कदम उठाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2016 में यह आंकड़ा 3.39 प्रतिशत था। इससे पहले जुलाई 2014 में यह 5.41 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी।
औद्योगिक संगठन फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, ‘‘औद्योगिक अर्थव्यवस्था अभी भी कमजोर बनी हुई है और विनिर्माण एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र को ऋण प्रवाह बेहतर करने की जरुरत है।” उन्होंने कहा, ‘‘हमें आगे बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने की जरुरत है और हम उम्मीद करते हैं कि इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश बैंक अपनाएंगे ताकि कंपनियों के लिए ब्याज दर कम की जा सके।” इसी प्रकार एसोचैम ने नीति निर्माताओं से भविष्य में बढती ब्याज दरों की स्थिति और उद्योगों की भविष्य में निवेश करने की सीमित क्षमता को देखते हुए सही कदम उठाए जाने की मांग की है। एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने कहा कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के चलते पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर नीति निर्माताओं को ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आयात बिल पर दबाव पडता है और इससे विनिमय दर भी प्रभावित होती है। इसी प्रकार रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाद्यान्नों, वस्तुओं के दाम और विनिमय दर में संभावित तेजी से हमें फरवरी में भी थोक मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है।