लखनऊ। घर में चूल्हा-बर्तन करने वाली लड़कियां अब सड़कों पर टैक्सी चला रही हैं। एक स्वयंसेवी संस्था के सहयोग से इंदौर की 80 लड़कियों को ड्राइविंग का प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें से 14 लड़कियां का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है।
इंदौर से पांच किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में देवनगर की आबादी 30 हज़ार है, यहां रहने वाली प्रभावती यादव (33 वर्ष) अभी एक मात्र महिला ड्राइवर हैं, जो पार्टटाइम गाड़ी चलाकर महीने में पांच हज़ार रुपए कमा रही हैं। प्रभावती बताती हैं, ‘’जब 100 की स्पीड में हमारी गाड़ी हाइवे पर दौड़ती है, तो कई बार खुद यकीन नहीं होता है कि हम वही है, जो बंगलों में बर्तन-पोछा किया करते थे।’’ उत्साह और खुशी से वो आगे कहती हैं, “13 मई 2014 से ड्राइविंग सीखी, दो महीने जूडो और अंग्रेज़ी सीखी, अगर रास्ते में गाड़ी पंचर हो जाए, तो स्टपनी खुद ही बदल लेते हैं।”
इंदौर की 65 गरीब बस्तियों की इन लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही गैर संस्कारी संस्था समान संस्था के डायरेक्टर राजेंद्र बन्धु बताते हैं,’’ अप्रैल 2015 में वुमेन ऑन व्हील्स नाम से महिलाओं को प्रोफेशनल ड्राइवर बनाने का प्रशिक्षण शुरू किया गया।
वर्तमान में 80 महिलाएं ड्राइविंग सीख रही हैं, जिनमें से 14 का प्रशिक्षण पूरा हो गया है।’’ राजेंद्र बन्धु आगे बताते हैं कि इस ट्रेनिंग में दो हज़ार रुपए शुरुआत में जमा कराए जाते हैं, जब कोर्स पूरा हो जाता है, तो उन्ही पैसों से महिलाओं को एक मोबाइल फ़ोन और दो ड्रेस देते हैं। ड्राइविंग सीख रहीं रेखा रूपारे (34 वर्ष) बताती हैं, ‘’जब मैंने ड्राइविंग सीखने की शुरुआत की, तो परिवार के सभी लोग मेरे खिलाफ थे। पहली बार मां को गाड़ी में बिठाकर छोड़ने गयी, तो वो बहुत खुश हुईं।’’
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क