प्राथमिक शिक्षा तक पढ़ने में बहुत कमजोर थी और बस्ती के ही एक ग्रामीण विद्यालय में पढ़ी, कारण ये था कि में घर में सबसे छोटी थी। इसलिए माता-पिता ने भी कभी मेरे पढ़ाई पर ज़ोर नहीं दिया और सबसे अधिक लाड़-प्यार भी मुझे ही मिला। यही कारण था कि मेरा रिजल्ट भी उतना अच्छा नहीं आता था। मेरे बड़े भाई का गणित बहुत अच्छी था और मेरा सबसे कमजोर। कई बार मेरे रिशतेदार भी कहते थे कि पढ़ भी लिया करो।
फिर मेरा पढ़ने कि तरफ धीरे-धीरे रुझान बढ़ने लगा और जब में इंटर के लिए बेगम खेर इंटर कॉलेज पहुंची, वहां के अध्यापकों का जो साथ मिला वो मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुआ, फिर मैंने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। जो लोग कहते थे कि कभी पढ़ भी लिया करो वही लोग कहने लगे कि सो भी लिया करो, जो विषय मेरा सबसे कमजोर था गणित उसी में मैंने शिवहर किसान पीजी कॉलेज,बसती यूपी से सन् 2009 में बीएससी किया। एमएससी साल 2011 और गणित में पीएचडी साल 2018 में गोरखपूर विश्वविद्यालय से किया।
विश्वविद्यालय में भी मैंने हमेशा टॉप किया। साल 2021 में यूपी सरकार द्वारा गणित के लिए चालीस भर्ती लिकाली गई जिसमें मेरा चयन हो गया। 2021 से में अभी बी.एन.इंटर कॉलेज, अकबरपूर, यूपी में पढ़ा रही हूं।
मुझे पढ़ने-पढ़ाने में बहुत मजा आता है तो कोशिश मेरी यही रहती है कि बच्चे पढ़ते-पढ़ते बोर न हो ऐसा उन्हें पढ़ाया जाए। जब उन्हें मजा आयेगा पढ़ने में तो शोर भी नहीं होगा। बच्चे जो पढ़ना चाहे उन्हें पढ़ने दिया जाए उनको जोर-जबरदस्ती करके नहीं पढ़ाना चाहिए।
मेरे कॉलेज में आने वाले बच्चे काफी निम्न वर्ग से आते हैं तो वो मेरे से जो विषय कहते हैं मैं खाली समय में पढ़ा देती हूं और मैंने उनसे कह रखा है कि किसी भी तरह कि जरूरत हो तो बिना झिझक मेरे पास आ जाना, मुझे बच्चों के समस्या का समाधान निकालना बहुत अच्छा लगता है।
जैसे रीना श्रीवास्तव ने गाँव कनेक्शन के इंटर्न दानिश से बताया
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