एयर इंडिया की जॉब छोड़कर जब केंद्रीय विद्यालय ज्वाइन किया तो पहली पोस्टिंग पंजाब के पठानकोट में केंद्रीय विद्यालय (2017) में हुई हुई। वो मेरा पहला स्कूल था, और मेरे लिए सारे बच्चे नए थे, लेकिन कितनी जल्दी बच्चे मुझसे घुल मिल गए, ऐसे लगने लगा हम सब एक दूसरे को काफी पहले से जानते हों।
बच्चों के साथ उनके कल्चर को भी समझने में समय नहीं लगा, क्लास में बच्चों के साथ माहौल काफी सुन्दर रहता था। बच्चे भाँगड़ा और स्पोर्ट्स में काफी अच्छे थे। बच्चों के साथ मेरी ख़ूब बनती थी, कोविड महामारी के समय बच्चों के घर जाकर पढ़ाते थे ताकि बच्चे शिक्षा से दूर ना रह सकें लेकिन फिर मेरा ट्रान्सफर (2021) ओड़िशा में हो गया।
ओड़िशा आने के बाद पता चला बच्चे तो वही हैं बस जगह और वेशभूषा बदली है। वही बच्चे, वही उनकी शरारत और उनकी वही परेशानियाँ, देखते ही देखते उनसे जुड़ाव हो गया। धीरे-धीरे पता चला कि यहाँ के बच्चों को हिंदी पढ़ाना एक बड़ा टॉस्क था, क्योंकि यहाँ ज़्यादातर लोग उड़िया और तेलगू ही समझते हैं। इस जगह को मिनी इंडिया भी कहते हैं, क्योंकि यहाँ पर हर एक राज्य के लोग रहते हैं। इसलिए पूरे भारत की झलक यहाँ देखने को मिलती है।
लेकिन बच्चों ने भी अपना झुकाव हिन्दी की तरफ बढ़ाया और फिर मेरी ये समस्या भी सुलझ गयी। बच्चों को हिन्दी बोरिंग ना लगे इसलिए बच्चों को हिंदी का प्ले करना शुरू किया। बच्चे हिंदी में महाभारत पर प्ले (नाटक) करते हैं उन्हें बहुत अच्छा लगता हैं साथ ही साथ नेचर के साथ कैसे जुड़कर रहना है, इसलिए पेड़ों से बाते करके उनकी भावनाओं को लिख कर हिन्दी में भी दर्शाते हैं।
एक बार मैं कक्षा 6 की क्लास में रानी लक्ष्मी बाई का चैप्टर पढ़ा रहा था, तभी मेरे पास क्लास में पढ़ रहीं कृतिका आईं, कृतिका बोल नहीं सकतीं, लेकिन हम उनके इशारे समझ सकते हैं। कृतिका इशारे से बोलीं मुझे डांस करके रानी लक्ष्मी बाई को दर्शाना है, तो हमने भी उन्हें मौका दिया और कृतिका ने ऐसा डांस किया कि पूरी क्लास तलियाँ बजाती रह गयी।
कृतिका ने अपने डांस के ज़रिए रानी लक्ष्मी बाई को दर्शाया। अच्छे डांस के साथ पढ़ाई में भी काफी अच्छी छात्रा हैं । ये देखकर मुझे बड़ा ही अच्छा महसूस हुआ, कृतिका अपनी सारी बातें मुझसे बताती हैं।
बच्चे डांस बहुत बढ़िया करते हैं। उनको डांस सिखाना था, क्योंकि मैं पंजाब से आया था तो मैंने सोचा कि बच्चों को पंजाबी डांस सिखाऊँगा, और जब बच्चों ने डांस किया तो हर कोई देखता रह गया। बच्चों को देखकर लगा ही नहीं कि वे ओड़िशा के हैं।
अजीत सिंह ने जैसा गाँव कनेक्शन की इंटर्न अंबिका त्रिपाठी से बताया
आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें connect@gaonconnection.com पर भेजिए
साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।