खुले में शौच पर लगाम के लिए टोका-टाकी अभियान की शुरुआत

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गोण्डा। खुले में शौच को रोकने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। इसी दिशा में गोंडा जिले में एक नई पहल टोका-टोकी अभियान की शुरुआत की गई है। जिससे गाँव वालों को खुले में शौच करने से रोका जा सके।

यह अभियान स्वच्छ भारत अभियान के तहत चलाया जा रहा है जिसमें जिले के चार ब्लॉक की एक-एक ग्राम पंचायत में टीमें बनाई गईं हैं। तरबजगंज ब्लॉक की खानपुर ग्राम पंचायत की रहने वाली सुशीला देवी (34 साल) बताती हैं, ”हमारे गाँव में महिलाओं और बच्चों की टीम बनाई गई है, जिसमें 12 लोग हैं। हम लोग सुबह पांच बजे और शाम सात बजे चक्कर लगाते हैं और जो लोग खेत में शौच करते हुए मिलते हैं उन्हें माला पहनाकर कहते हैं कि वो दोबारा अब ऐसा न करें। इस तरह लोगों को शर्म भी आती है और वो दोबारा ऐसा न करने की कसम भी खाते हैं।

गोंडा जिले के जिला पंचायत राज अधिकारी आर एस चौधरी बताते हैं, ”पंचायती राज विभाग ने वित्तीय साल 2014-15 में जिले के चार ब्लॉक तरबजगंज, परसपुर, हलधरमऊ और बभनजोत को खुले में शौचमुक्त बनाने का लक्ष्य बनाया है। इसके तहत ही ये अभियान चलाया जा रहा है। गाँव के लोगों को जिम्मेदारी दी जा रही है कयोंकि उन्हें अपने गाँव के बारे में ज्यादा पता होता है।

यूनीसेफ के मुताबिक खुले में शौच करने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं, सिर्फ इतना ही नहीं डायरिया और दूसरी कई बीमारियों का ख़तरा भी बना रहता है। डायरिया से भारत में हर साल तीन लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में पिछले 20 सालों के शौच जाने की प्रवृत्ति से जुड़े आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि सुधार हाल ही के सालों में हुआ है। इस नई पहल से गाँव के लोगों में बदलाव भी आया है। गाँव के प्रधान दीनदयाल बताते हैं, ”अभियान से  फर्क तो पड़ रहा है। अभी दिक्कत ये है कि शौचालय तो बने हैं लेकिन लोगों कि आदत नहीं है कि उनका इस्तेमाल करें। इस अभियान से लोगों में ये आदत बनेगी।

इन टीमों को डंडा, टॉर्च और सीटी भी दी जाती है। टीम जैसे ही किसी को खुले में शौच करते देखती है तेज से सीटी बजाती है और वहां जाकर उसे माला पहनाकर कहती हैं, दोबारा ऐसा न करें, इससे बीमारी फैलेगी, शौचालय का इस्तेमाल करें।

अभियान को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह है। खानपुर पंचायत के सुसेला गाँव की रहने वाली प्रीती तिवारी (26 साल) बताती हैं,  ”ये अच्छी पहल है। खुले में शौच से सबसे ज्यादा दिक्कत तो हम महिलाओं को ही होती है। शर्म के मारे सुबह चार बजे उठते हैं कि अंधेरे में ही हो आएं। अब सभी घरों के मुखिया को शौचालय बनवाना ही पड़ेगा और लोग खेतों में शौच जाना बंद करना करेगें।” 

गाँव के बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं सभी टीम में शामिल किये गए हैं जिससे सभी अपनी उम्र के लोगों को समझा सकें। अभियान से लोगों की आदतों में फर्क आएगा। 

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