लखनऊ। केंद्र सरकार ने विद्युत दर नीति में संशोधनों को मंज़ूरी दे दी है। इसके बाद सरकार दूर-दराज के अलग-थलग गाँवों को माइक्रो ग्रिड्स के माध्यम से बिजली मुहैया करा पायेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ये सभी संशोधन विद्युत दर नीति 2006 में किए हैं।
संशोधन के बाद सभी उपभोक्ताओं और राज्य सरकारों को चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी और विनियामक इसे प्राप्त करने के लिए बिजली आपूर्ति प्रक्षेपपथ (ट्रजेक्टरी) विकसित करेंगे।
संशोधनों के लक्ष्य सबके लिए बिजली, किफायती शुल्क दर सुनिश्चित करने की दक्षता, स्थायी भविष्य के लिए पर्यावरण, निवेश आकर्षित करने और वित्तीय लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए कारोबार करने में सुगमता पर ध्यान केन्द्रित करना है।
प्रमुख संशोधन:
-कोल वाशरी रिजेक्ट आधारित संयंत्रों से बिजली की खरीद सक्षम बनाते हुए कोयला खदानों के समीप रहने वाले लोगों को किफायती बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।
-मौजूदा बिजली संयंत्रों के विस्तार के ज़रिए उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कीमत में कमी लाना।
-मांग रहित बिजली की बिक्री से होने वाले लाभ साझा किए जाएंगे, जिससे बिजली की समग्र लागत में कटौती होगी।
-प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के माध्यम से पारेषण परियोजनाएं विकसित की जाएंगी, ताकि उन्हें कम लागत पर तेजी से सम्पन्न किया जा सके।
-चोरी में कमी और नेट-मीटरिंग समर्थ बनाने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने के काम में तेजी।
-नवीकरणीय ऊर्जा दायित्व (आरपीओ) के तहत नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पनबिजली को छोड़कर कुल विद्युत खपत का आठ फीसदी मार्च 2022 तक सौर ऊर्जा से हासिल किया जाएगा।
-नवीकरणीय उत्पादन दायित्व (आरजीओ) के तहत निर्धारित तिथि के बाद कोयला/लिग्नाइट आधारित नये ताप संयंत्र भी नवीकरणीय क्षमता को स्थापित/हासिल/खरीदारी करेंगे।
-सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए कोई अंतर-राज्य पारेषण प्रभार और नुकसान नहीं डाला जाएगा।
-कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों में उत्पादित शत-प्रतिशत बिजली की खरीदारी से स्वाच्छ भारत मिशन को काफी बढ़ावा मिलेगा।
-शहरों के लिए स्वच्छ पेयजल जारी करने और गंगा जैसी नदियों का प्रदूषण कम करने के लिए सीवेज शोधन सुविधाओं के 50 किलोमीटर के दायरे में अवस्थित ताप संयंत्र शोधित सीवेज जल का इस्तेमाल करेंगे।