लखनऊ। एक दलित बुजुर्ग के बुढ़ापे का सहारा 12 बिस्वा ज़मीन दबंगों ने हड़प ली, इसे पाने के लिए इन्होंने डीएम-एसडीएम से लेकर थानेदार तक लगातार चक्कर काटे, कार्रवाई का आश्वासन भी मिला। पर ये बुजुर्ग कार्रवाई की आस में अभी तक चक्कर ही काट रहे हैं।
दबंगई और लापरवाही का यह हाल है राजधानी लखनऊ सरकारी मशीनरी का। हताश बुजुर्ग के मुंह से बस यही निकल रहा है, “अगर जमीन नहीं मिली तो आत्महत्या कर लूंगा।” यही नहीं, क्षेत्र का लेखपाल शिकायत पर पीड़ित की आंखे फोड़ने की धमकी भी दे रहा है।
राजधानी के थाना कृष्णानगर क्षेत्र के अलीनगर सुनहरा निवासी सियाराम की ज़मीन खसरे में 1202 नंबर पर 0.0510 हेक्टेयर दर्ज़ है। इस पर भूमाफियाओं ने पुलिस और लेखपाल की मिलीभगत से कब्जा कर निर्माण कार्य शुरु करा दिया।”
सियाराम बताते हैं, “इसकी शिकायत थाने में भी की। इसके बाद एडीएम, एसडीएम, लेखपाल और डीएम को प्रार्थना-पत्र भी दिया। लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई।”
सियाराम 27 मई, 2015 को जब डीएम से मिले तो उन्होंने तत्कालीन थानाध्यक्ष कृष्णानगर को फटकार लगाते हुए नियमानुसार कार्रवाई करते हुए अवगत कराने के आदेश भी दिए। आगे बताते हैं, “जब हम डीएम साहब का साइन प्रार्थना पत्र लेकर थाने पहुंचे तो थानाध्यक्ष ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए मारा भी, और प्रार्थना-पत्र फाड़कर फेंक दिया।”
इस बारे में कृष्णानगर थाने के कोतवाल विजय कुमार यादव ने फोन पर कहा, “मामला संज्ञान में नहीं है। थाने पर पीड़ित को भेज दीजिए कार्रवाई होगी।” सियाराम के मुताबिक ज़मीन की इस समय कीमत सात लाख रुपए है, और यही उसने बुढ़ापे का सहारा थी। वह बताते हैं, “लेखपाल कह रहा है कि उस ज़मीन के बदले नज़ूल की ज़मीन ले लो। वह भी लिखित में नहीं मिल रही है।”
इस बारे में एसडीएम सरोजनीनगर प्रेम रंजन सिंह ने कहा, “मामला हमारी जानकारी में नहीं है। पीड़ित को कार्यालय भेज दीजिए। न्याय मिलेगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।”
वहीं, कोतवाल के व्यवहार और लापरवाही पर एएसपी पूर्वी शिवराम यादव ने भी आश्वासन देते हुए कहा, “इस मामले की जानकारी नहीं है। ऐसी बात है तो जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।”
रिपोर्टर – गणेश जी वर्मा