लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्य प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट में डाबर और पतंजलि के शहद में मिलावट की गाँव कनेक्शन की ख़बर के वायरल होने के बाद स्वामी रामदेव ने इसे फ़र्ज़ी बता दिया।
गाँव कनेक्शन द्वारा करवाई गई लखनऊ स्थित राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशला की जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए उन्होंने अपने शहद के पक्ष में एक जर्मन प्रयोगशाला की रिपोर्ट पेश की।
पतंजलि और डाबर से खरीदे गए शहद में मिलावट पाई गई थी जबकि एक ग्रामीण मौनपालक से लिए गया शहद मानकों पर खरा उतरा।
”बाबा जी के सामान झोपड़ी में नहीं बनते। जितना हमारे पास इफ्रास्ट्रक्चर है लोगों को हार्ट अटैक आ जाए।” बाबा रामदेव ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा। ”पिछले दिनों हमारे शहद में गड़बड़ी एक लैब की रिपोर्ट के आधार पर बताई गई है। एक झूठी लैब, झूठा मेल आईडी, सिर्फ पतंजलि लिख दिया। बैच नंबर है ही नहीं। कोई भी ऐसी लैब का एड्रेस डाल दिया।” इसके बाद जर्मनी की एक लैब की रिपोर्ट दिखाते हुए रामदेव ने कहा, ”जर्मनी की रिपोर्ट में शहद को सही बताया गया है। शुगर का प्रतिशत सही है।”
उधर, प्रदेश के खाद्य सुरक्षा अधिकारी सरकारी रिपोर्ट को आधार मानकर कार्रवाई न करके किसी के शिकायत करने का इंतजार कर रहे हैं। ”रिपोर्ट के अनुसार डाबर और पतंजलि का शहद मानकों पर खरा नहीं उतरा है। लेकिन अगर इसकी किसी के द्वारा शिकायत की जाती है तो हम अपने स्तर से जांच कराएंगे। जो भी कंपनी दोषी मिली, उस पर जिलास्तर पर अपर जिलाधिकारी की तरफ से मुकदमा दर्ज करेंगे और जुर्माना लगाएंगे।” खाद्य सुरक्षा विभाग के अपर आयुक्त राम अरज मौर्य ने कहा। वहीं, डाबर और खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारी इस उधेड़बुन में हैं कि जांच किया गया शहद आयुर्वेदिक है या खाद्य पदार्थ की श्रेणी का। सरकारी प्रयोगशाला द्वारा दी गई रिपोर्ट को देखने के बाद, नाम न
छापने की शर्त पर खाद्य एवं औषधि विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ”पतंजलि कंपनी का शहद आयुर्वेदिक है, पर रिपोर्ट साफ कह रही है कि इसमें मिलावट है। डाबर का शहद खाद्य पदार्थ का है, इसकी रिपोर्ट में भी मिलावट है। अगर कोई शिकायत करता है तो जांच की जाएगी।”
“शहद का प्रयोग सबसे ज्यादा बच्चों और मधुमेह रोगियों द्वारा किया जाता है। आयुर्वेद की अस्सी फीसदी दवाएं शहद के साथ खाई जाती हैं। अगर मिलावट है तो यह मधुमेह रोगियों के साथ-साथ किडनी और बच्चों के लिए हानिकारक है। बहुत सी आयुर्वेदिक संस्थाएं विभिन्न नामों से शहद बेचती हैं, जिनका न कोई मानक तय है न ही कोई इसकी जांच करने वाला। ऐसी कंपनियों के शहद में बहुत से ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदेह हैं।” जीसी नंदा, निदेशक, राजकीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, लखनऊ।
गाँव कनेक्शन भी स्वदेशी कम्पनी के पक्षधर है पर चाहते हैं कि स्वदेशी प्रोडक्टस मानक पर खरे उतरें। हम नहीं चाहते कि बच्चे और बूढ़े जो शहद का प्रयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए करते हैं उसमें किसी भी प्रकार की मिलावट हो और उससे उनका नुकसान हो। जनता के हित के मुद्दे को रखना हमारा कर्तव्य है।
बाबा रामदेव से गाँव कनेक्शन के सवाल
1. उत्तर प्रदेश सरकार की जिस सरकारी लैब की जांच की विश्वसनीयता पर रामदेव ने सवाल उठाए हैं, यह सरकारी लैब उसी विभाग का हिस्सा है, जिसकी रिपोर्ट पर उन्होंने मैगी पर जमकर निशाना साधा और अपनी कंपनी के नूडल्स लांच किए? अब क्या बदल गया?
2. मुद्दा बच्चों और मरीजों की सेहत से जुड़ा होने के कारण इसे स्वास्थ्य तक ही रखा जाए। यह कोई लाभ-हानि का मामला नहीं है। इसे स्वदेशी-विदेशी के मामले से क्यों जोड़ा जा रहा है?