इलाहाबाद। एबीसीडी से लेकर अंग्रेजी साहित्य तक का ज्ञान देने वाले गुरु जी को पढ़ाने की तैयारी है। मास्साब को अंग्रेजी का व्याकरण या फिर साहित्य नहीं पढ़ाया जाना है, बल्कि उन्हें रोजमर्रा की जरूरतों के लिहाज से अंग्रेजी पढ़ाई एवं बुलवाई जाएगी। ऐसा होने पर ही उसका छात्र-छात्रओं में सकारात्मक असर पड़ेगा। साथ ही अंग्रेजी स्कूलों की तर्ज पर परिषदीय या फिर राजकीय स्कूलों के बच्चों के बोलचाल में अंग्रेजी शामिल हो जाएगी।
शिक्षकों को दिए जाने वाले विशेष प्रशिक्षण का पूरा खाका खींच लिया गया है, जल्द ही यह शुरू किया जाएगा। आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान उत्तर प्रदेश प्राथमिक स्कूलों से लेकर इंटरमीडिएट तक के शिक्षकों को समय-समय पर अंग्रेजी का प्रशिक्षण देता है। साथ ही प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाए जाने वाली अंग्रेजी की किताबों का पाठ्यक्रम तय करने से लेकर उसमें निरंतर संशोधन किया जाता है। इतना ही नहीं संस्थान में कई डिप्लोमा कोर्स भी चलते हैं।
शिक्षण संस्थान के प्राचार्य राजेन्द्र सिंह ने बताया, “यह दक्षता संवर्धन का विशेष प्रशिक्षण पहले अक्टूबर एवं नवंबर माह में चलाया जाना था, लेकिन पंचायत चुनाव के कारण उसे टाल दिया गया था, क्योंकि आम तौर सभी शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में लगी थी। अब यह कार्यक्रम जनवरी में पूरा होगा। इसमें अब इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशांबी एवं फतेहपुर जनपदों में प्रशिक्षण की कार्यशालाएं आयोजित होंगी।” उन्होंने आगे बताया, “यह प्रशिक्षण जूनियर, हाईस्कूल एवं इंटर के शिक्षकों के लिए अलग-अलग आयोजित होगा और इस तरह से तैयारी की गई है कि शिक्षकों पर उसका बेहतर असर पड़ेगा।”
इस समय कक्षा छह से बारह तक के शिक्षकों का दक्षता संवर्धन किए जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसमें शिक्षकों को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अंग्रेजी का साथ लेने पर जोर देना है। मसलन यात्रा करते समय, बाजार में खरीदारी, अस्पताल एवं अन्य कामकाज को निपटाने में प्रयोग होने वाले शब्दों को अपने बोलचाल में शामिल करने पर जोर दिया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि यदि शिक्षक रोजमर्रा में अंग्रेजी बोलने लगेंगे तो छात्र-छात्राएं भी उनका अनुसरण करेंगे और अंग्रेजी स्कूलों के बच्चों की तर्ज पर छात्रों के जुबान पर अंग्रेजी होगी।