‘एग्रीहार्टी टेक यूपी’ में किसानों-कृषि अधिकारियों में हुआ सीधा संवाद

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लखनऊ। ”इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्येश्य है कि हम इसके माध्यम से किसानों तक अच्छी तकनीकों की जानकारी पहुंचाएं। शुद्ध आय जो होती है उसको कैसे बढ़ाएं? खेती करने में समस्याएं बहुत हैं, उन सबका निदान शायद न हो सके लेकिन कुछ समस्याएं जिनका निदान किया जा सकता है उस पर चर्चा होनी चाहिए।” राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के प्रबन्धक केके गुप्ता ने लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजि तीन दिवसीय एग्रीहार्टी टेक यूपी प्रदर्शनी में किसानों को संबोधित करते हुए कहा।

उन्होंने कहा, ”इस तरह की हमने छह गोष्ठियां रखी हैं और हम सभी गोष्ठियों में खेती से जुड़ी तरह-तरह की चीजों के बारे में बात करेंगे, जिसमें हम सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि से संबन्धित योजनाओं के बारे में बताएंगे।”

उन्होंने कहा कि जहां तक खद्यानों की बात है तो हमारा प्रदेश पिछले तीन वर्षों से खाद्यानों के उत्पादन में प्रथम स्तर पर है पूरे देश में, इसका प्रथम पुरस्कार पिछले तीन वर्षों से मिल रहा है। लेकिन साथ ही साथ समस्याएं भी हैं, उन समस्याओं पर बात होनी चाहिए। हमारी करीब 23 फीसदी खेती परती पड़ी हुई है और करीब 90 फीसदी किसान छोटे और मझोले किसान हैं, जिनके पास पांच एकड़ से कम ज़मीन है। ऐसी छोटी-छोटी ज़मीनों पर हम किस प्रकार से मशीनीकरण करें, अधिक से अधिक उत्पादन करें, उस उत्पादन से कैसे धन कमाएं? इन बातों पर विचार करना चाहिए। कई बार उत्पादन अधिक हो जाता है, तो दाम कम मिलता है, ऐसी समस्याओं से कैसे निजात पाई जाए, क्या प्रयास किये जा सकते हैं? इस पर विचार करने की जरूरत है।

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश बीज एवं प्रक्षेत्र अनुभाग के अपर कृषि निदेशक सन्तोष कुमार खरे ने किसानों को अनुदान पर मिलने वाले बीजों के बारे में बात करते हुए कहा, ”किसानों को अनुदान पर बीज दिया जाता था, उसमें तरह-तरह की शिकायते आती थीं, इसलिये ये निर्णय लिया गया कि किसानों को दी जाने वाली अनुदान की राशि सीधे उनके खातों में दी जाएगी, ताकि किसान खुद अपनी मर्जी का बीज खरीद सके। इसके लिए एक पारदर्शी किसान योजना चल रही है, जिसमें किसानों का पंजीकरण कराया गया। इस समय हमारे प्रदेश में दो करोड़ तैतीस लाख किसान हैं, जिसमें से चालीस हज़ार किसानों का पंजीकरण हो चुका है।” उन्होंने आगे कहा, ”इस व्यवस्था से एक लाभ ये भी हुआ है कि अभी तक जो प्रगतिशील किसान थे वही बार-बार लाभ लिया करते थे, लेकिन हमारे पास कोई ऐसी व्यवस्था नहीं थी कि हम उनको रोक पाते। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब जिसको एक बार बीज मिलेगा उसे अगले तीन वर्षों तक अनुदान पर बीज नहीं दिया जाएगा, उस बीज की उत्पादन छमता तीन वर्षों तक नहीं घटती उसके बाद उसमें कमी आती है। इससे सभी किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा।”

कृषि निदेशक मुकेश कुमार श्रीवास्तव ने बेरोजगार युवाओं से संबन्धित जानकारी देते हुए कहा, ”कृषि विभाग से तीन तरह के लाइसेंस दिये जाते हैं। एक ऊर्वरक लाइसेंस, दूसरा पेस्टीसाइड का लाइसेंस और तीसरा बीज का लाइसेंस। ये लाइसेंस बेरोजगार स्नातक को मुफ्त दिये जाते हैं, जिसने कृषि से पढ़ाई की हो।” उन्होंने कहा, ”अब अगर कोई व्यापार शुरू करेगा तो सबसे पहले उसके लिए उसे दुकान चाहिए होगी तो उसके लिए 1000 रुपए प्रति माह किराए की भी व्यवस्था है उसके लिए और फिर व्यवसाय को शुरू करने से पहले उसको दो हफ्ते का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। ताकि उसको किसी भी तरह की परेशानी न हो।” उन्होंने कहा कि जो भी युवा इसका लाभ लेना चाहते हैं वो जि़ले के उपनिदेशक से सम्पर्क कर सकते हैं। इस योजना के लाभार्थियों की आयु सीमा अधिकतम 40 वर्ष रखी गई है।

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