उत्तर प्रदेश रेशम विभाग ने दिया पांच गाँवों के 70 किसानों को रोजग़ार
बहराइच। केशवराम कुमार पिछले 16-17 वर्षों से रेशम कीट पालन से हर महीने हज़ारों कमा लेते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी सुधरी है।
बहराइच जि़ला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर दूर नसुतिया कल्पीपारा गाँव के केशवराम (30 वर्ष) उत्तर प्रदेश रेशम विभाग फॉर्म में रेशम कीट पालन करके उससे धागा बनाने का काम करते हैं। केशवराम बताते हैं, ”फॉर्म में ही हमको रेशम कीट पालन प्रशिक्षण मिला था तब से इस फॉर्म में ही काम कर रहे है।”
बहराइच में स्थित उत्तर प्रदेश रेशम विभाग ने केशवराम को ही रोजगार नहीं दिया बल्कि बहराइच जिले के आसपास के 5 गाँवों के 70 किसानों को रोजगार का साधन उपलब्ध कराया है।
नसुतिया कल्पीपारा गाँव की मालती देवी (38 वर्ष) लगभग साढ़े छह वर्षों से रेशम कीट पालन कर रही है। मालती देवी बताती हैं, ”इन कीटों को पालने में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है और इससे अच्छा मुनाफा भी होता है। मेरे साथ-साथ गाँव की कई महिलाएं है जो घर के कामों के साथ-साथ अतिरिक्त रुपए कमा लेती हैं।”
इस फार्म में तीन भारतीय प्रजाति मल्टी बाई वोल्टेज, ऐफोन ए1 सफेद कीड़ा के कीट पाले हुए हैं जो लगभग 29 दिन में तैयार हो जाते हैं। फॉर्म में किसानों की देखरेख के लिए तैनात बाबू राजेंद्र प्रसाद (45 वर्ष) बताते हैं, ”कई किसान हैं जिनको कीट घर के लिए ही दे दिए जाते हैं ताकि वह घर में रहकर अन्य कामों के साथ रेशम का काम भी कर सकें।”
अपनी बात को जारी रखते हुए राजेंद्र प्रसाद बताते हैं, ”कीटों को खिलाने के लिए फॉर्म के 20 एकड़ में हजारों शहतूत के पेड़ लगे हुए हैं। किसान इनको समय-समय पर तोड़ कर ले जाते हैं और जब 29 दिन के बाद कीट धागा बनाने योग्य हो जाता है तो वह उसे फॉर्म में ले आते है।” फॉर्म में हैचरी के साथ साथ धागा बनाने की मशीन भी उपलब्ध है। कीट को तैयार करके फॉर्म में धागा भी बनाया जाता है। कीट से बने धागों और कीटों को पश्चिम बंगाल में भेजा जाता है।
नसुतिया कल्पीपारा गाँव के नियतराम सिंह (29 वर्ष) रेशम कीट रोजगार का अच्छा साधन बताते हुए कहते हैं, ”यह कीट 29 दिन में तैयार हो जाते है जो 300 रुपए किलो में बिकते हैं और जिससे 15-20 हज़ार रुपए मिल जाते हैं।”