रिपोर्टर – वसंत जोशी
बरेली। गोविंदपुर गांव के मिशरयार खान मंडलभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। क्योंकि जरी-ज़रदोजी के प्रति जुनून ने महज पांच साल में ही 28 वर्षीय मिशरयार को एक आम दिहाड़ी पर काम करने वाले कारीगर से करोड़पति कारोबारी बना डाला है। आज मिशरयार अपने एक्सपोर्ट हाउस राबिया इंटरनेशनल में जरी-ज़रदोजी का काम करते हैं। यहां पर विभिन्न प्रकार की साडिय़ां, सूट, लहंगा, चुन्नी, टोपियां, शेरवानी तथा खाड़ी के देशों को आपूर्ति किए जाने वाले परिधान तैयार किए जाने के साथ ही डिजाइनर पीस भी तैयार किए जाते हैं।
गोविंदपुर गांव दिल्ली-लखनऊ राजमार्ग पर दिल्ली से 245 किलोमीटर तथा बरेली के सीबी गंज थाना से लगभग पांच किलोमीटर दक्षिण की ओर बसा हुआ है। गांव तक पहुंचने के लिए टूटे-फूटे रास्तों व दर्जनों बार रेल की पटरियों को पार करना पड़ता है लेकिन मिशरयार के एक्सपोर्ट हाउस में देश एवं दुनियाभर से एक्सपोर्ट के कारोबारी लगभग हर रोज आते हैं।
मेहनत को सफलता का मूल मंत्र बताते हुए मिशरयार खान कहते हैं, ”मैंने स्कूल के समय से ही अपनी मां-बहनों के साथ जरी-ज़रदोजी का काम प्रारंभ कर दिया था। हम लोग अपने घर में ही मजदूरी पर काम किया करते थे। मैं हर रोज 16 से 18 घंटों तक काम किया करता था जिस कारण पढ़ाई के लिए टाइम नहीं निकल पाता था। इसलिए बहुत थोड़े नंबरों से हाईस्कूल में पास होने से रह गया। घर की माली हालत खराब थी इसलिए स्कूल छोड़ काम के लिए बाहर निकलना पड़ा।”
उन्होंने कहा कि आज मेरी कंपनी का टर्न ओवर आठ करोड़ रुपए के आस पास पहुंच चुका है और काम की दुनियाभर से इतनी डिमांड है कि फैक्टरी में दिन-रात काम चलता रहता है।
यूरोपीय देशों में भी होता है माल सप्लाई
मिशरयार की कंपनी आगरा, दिल्ली, जयपुर, महाराष्ट्र, हैदराबाद और लखनऊ के अलावा दुबई, सउदी अरब, मोरक्को, इंडोनेशिया तथा कनाडा सहित अनेक यूरोपीय देशों को भी माल की सप्लाई कर रही है। मिशरयार के एक्सपोर्ट हाउस में आज 700 से अधिक लोग काम करते हैं जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक महिला करीगर हैं। महिलाओं को वे उनके घरों में ही जरी-जरदौजी का काम भी देते हैं।