साफ-सफाई और एहतियात बरतिए, स्वाइन फ्लू से बचिए

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लखनऊ। शुक्रवार को बरेली में एक महिला ने स्वाइन फ्लू से दम तोड़ दिया। पिछले दिनों कानपुर से आई एक महिला की लखनऊ की पीजीआई में मौत हो गई। जबकि अंबेडकरनगर से आई एक बच्ची की मौत केजीएमयू में हो गई। मौसम में आए बदलाव के बाद स्वाइन फ्लू ने तेजी से पांव पसारे हैं।

उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू के अब तक 25 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों के बारे में जानकारी नहीं है। स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसकी रोकथाम के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा है। अस्पतालों में कर्मचारियों के लिए जरूरी वैक्सीन व किट भी अब तक नहीं आई हैं। पूर्व में आइसोलेशन वार्ड बनाकर स्वाइन फ्लू से निपटने की घोषणाएं की गयी थीं। प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू परीक्षण शुरू करने की बात कही गयी थी, लेकिन एक में भी शुरुआत नहीं हुई है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और पीजीआई में ही स्वाइन फ्लू परीक्षण की व्यवस्था हो सकी है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू के लिए वार्ड बनाने की घोषणा तो हो गई, लेकिन उसमें तैनात होने वाले डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों के लिए जरूरी वैक्सीन अब तक नहीं खरीदी जा सकी हैं।

स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य निदेशालय ने सरकारी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया है साथ ही स्वाइन फ्लू के मरीज के अलग वार्ड तो होंगे ही निजी अस्पतालों में इसके लक्षणों वाले मरीजों अगर आते हैं तो इसकी जानकारी सूचना स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। डॉक्टरों के टीम का गठन कर दिया गया, जिसमें पैथालाँजिस्ट, फिजीशियन व एनेस्थेटिस्ट शामिल किए जाएंगे। भारत सरकार से मास्क व किट आदि मिलती है किन्तु अब तक उसका इंतजाम भी नहीं हुआ है। इस कारण आइसोलेशन वार्ड प्रभावी रूप से सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं।

इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. योगेंद्र कुमार का कहना है, ”सभी जिला अस्पतालों में अलग वार्ड बनाना सुनिश्चित किया जा रहा है। दवाएं उपलब्ध करा दी गयी हैं और वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया चल रही है।” लेकिन विभागीय दावे धरातल पर दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। बरेली में जिस अस्पताल में महिला की मौत हुई वहां सैनेटाइजर तक नहीं है।

चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी ने कहा कि छह मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू परीक्षण की सुविधा सुनिश्चित कराने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसा न करने वाले कॉलेजों के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सचिन वर्मा बताते है, स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए एक 50 बेड का एक वार्ड तैयार किया गया था पर अभी जनरल वार्ड के रूप में प्रयोग कर रहे है क्योकि वहां पर कोई स्वाइन फ्लू का कोई मरीज़ नहीं है। चार से पांच लोगों की जांच हुई पर स्वाइन फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है। इलाज के मरीजों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है।”

केजीएमयू में जांच शुरू

पैसे के अभाव में हाल में ही केजीएमयू में स्वाइन फ्लू की जांच कुछ दिन के लिए बंद हो गई थी लेकिन आलाधिकारियों के संज्ञान में मामला आने के बाद फिर से जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रभारी डॉ.अमिता जैन बताती हैं, ”स्टाफ के लिए प्रयास कर रहे हैं लेकिन बजट और अन्य संसाधनों के अभाव में फिलहाल बाहर से आने वाली जांचों को नहीं कर पा रहे हैं। केजीएमयू में भर्ती होने वाले मरीजों की जांच के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करेंगे। स्वाइन फ्लू की आशंका में पहुंच रहे मरीज स्वाइन फ्लू की आशंका में तमाम मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं।” 

अब तक देशभर में लोगों की 1,000 मौत

देशभर में स्वाइन फ्लू का कहर लगातार जारी है। स्वाइन फ्लू से मरने वालों की कुल संख्या 1000 तक पहुंच गई है, जबकि स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़कर 17,000 से ज्यादा है। देशभर के कई बड़ों राज्यों में स्वाइन फ्लू पैर पसार रहा है। स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा नए मामले जिन राज्यों से आ रहे हैं उनमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली राजस्थान, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, नागालैंड और बिहार शामिल हैं।

क्या है स्वाइन फ्लू

डॉ. दीपक आचार्य वनस्पति वैज्ञानिक बताते हैं, जिस स्वाइन फ्लू का जिक्र हम इस लेख के जरिए कर रहे हैं वो वास्तव में 2009 एच1 एन1 टाइप ए इन्फ्लूएंजा नाम का एक मानव रोग है जो सुअरों से संक्रमित होता हुआ मनुष्यों तक पहुंचा और अब मनुष्य इसकी संक्रामकता को और त्वरित गति देते हुए आपस में फैलाए हुए हैं। स्वाइन फ्लू रोग के लक्षण भी सामान्य इन्फ्लूएंजा की तरह ही होते हैं। जिनमें तेज बुखार, ठंड लगना, लगातार दस्त होना, शरीर में थकान, गले में खराश का आना, छींके आना और खांसी का बने रहना मुख्य हैं। 

कारण

स्वाइन फ्लू श्वसन से संबंधित एक बीमारी है जो स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस (एसआईवी) की वजह से फैलती है। एच1एन1 वायरस का पहला आक्रमण सुअर होते हैं और सुअरों के नजदीक में रहने वाले मनुष्यों पर इसका अगला आक्रमण होता है और फिर भयावह तरीकों से यह अन्य मनुष्यों को भी संक्रमित करता चला जाता है। जिस व्यक्ति को संक्रमण हुआ हो, उसके छींके जाने से थूक की बूंदें हवा में तैरती हुई या एक दूसरे के स्पर्श आदि से अन्य लोगों तक पहुंच जाती है और संक्रमण होना शुरू हो जाता है। जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह स्थान वायरस की चपेट में आ जाता है।

किन्हें ज्यादा खतरा है।

स्वाइन फ्लू हवा के माध्यम से एक से दूसरे मनुष्य तक पहुंच सकता है इसलिए ये उन लोगों को अपनी चपेट में आसानी से ले लेता है जो भीड़-भाड़ के इलाकों में रहते हैं। इसके अलावा जिन्हें निमोनिया या सांस से जुड़े विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकायटिस हो, गर्भवती महिलाएं, हृदय या डायबिटिस जैसे रोगों से जूझ रहे लोग, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग और दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस रोग से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। स्वाइन फ्लू से जुड़े जिन लक्षणों का हमने जिक्र किया वो जरूरी ही नहीं कि स्वाइन फ्लू होने की वजह से ही हों, वो साधारण फ्लू भी हो सकता है इसलिए यह जरूरी है कि किसी भी तरह के ऐसे लक्षणों के दिखायी देने पर अपने चिकित्सक की तुरंत सलाह लें। किसी भी व्यक्ति को स्वाइन फ्लू होने या न होने की बात प्रयोगशाला में पूर्ण परीक्षण के बाद ही संभव है। पीसीआर टेस्ट के बाद इस बात की पुष्टि की जाती है कि रोगी को स्वाइन फ्लू है या नहीं।

हमेशा रखें ख्याल

हमेशा रुमाल साथ लेकर चलें, छींक आए या खांसी, अपने रुमाल को अपने मुंह पर जरूर रखें।

-कोई छींक रहा हो तो कम से कम चार मीटर की दूरी बनाएंं।

-स्वयं सर्दी खांसी या बुखार जैसा लगे तो घर से बाहर जाना बंद करें। परिवार के सदस्यों से एक नियत दूरी बनाये रखें।

-बाजार या भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मजबूरन ही सही, जाना पड़े तो विशेषतौर पर ध्यान रखें कि आप आंखों, नाक और मुंह में उंगलियों का स्पर्श ना करें।

-घर पहुंचते ही हाथ को कम से कम 40 सेकेंड तक धो लें। चेहरे, नाक, और मुंह की भी सफाई जरूर करें।

-यदि आपके इलाके में स्वाइन फ्लू फैला हुआ है तो स्टैण्डर्ड मास्क (एच-95) पहनकर ही घर से बाहर निकलें, स्टैण्डर्ड मास्क ही स्वाइन फ्लू से बचा सकता है।

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