भू-माफिया ने श्मशान को भी नहीं छोड़ा

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ददरौल (शाहजहाँपुर)। जहां एक तरफ प्रदेश सरकार पंचायती राज विभाग की मदद से हर वर्ष ग्राम पंचायतों में कराए जाने वाले विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है, वहीं दूसरी तरफ यह पैसा सिर्फ कागजों पर ही खर्च होता है। जमीनी तौर पर कोई भी कार्य नहीं किया जाता है। ऐसा ही एक मामला शाहजहांपुर की ग्राम सभा ककरघटा में भी दिखा। जहां भू-माफियाओं ने श्मशान घाट पर कब्जा कर लिया है।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर दक्षिण दिशा में ददरौल ब्लॉक की ग्राम सभा ककरघटा में पांच गाँव (परिसिनियां, कांकर, रामपुर, रामनगर व ककरघटा) हैं। ककरघटा ग्रामसभा की 70 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। 

परिसिनियां गाँव के निवासी 50 वर्षीय रामसरन ने बताया, ”गाँव में कोई भी सरकारी शौचालय नहीं है, बिजली नहीं है, और ना ही पक्के रास्ते और चकरोड हैं। श्मशान घाट की ज़मीन पर भी दबंगो का कब्जा है। रामेश्वर सिंह कुशवाहा तीन बार गाँव के प्रधान रह चुके हैं। लेकिन हमारे गाँव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ।” जब गाँव कनेक्शन संवाददाता ने ग्राम प्रधान रामेश्वर सिंह कुशवाहा के घर जाकर गाँव में मूलभूत सुविधाओं के बारे में जनना चाहा तो प्रधान के भाई रामस्वरूप ने ‘प्रधान जी तो बाहर गये हुए हैं’ यह कहते हुए कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।

”गाँव में अगर किसी की मौत हो जाती है तो उसका दाह-संस्कार भी रास्तों पर ही करना पड़ता है। नक्शे में तो श्मशान घाट है, लेकिन ज़मीन पर यह नदारत है। हमने फैसला लिया है कि इस बार हम लोग आने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।” रामसरन आगे बताते हैं।

ककरघटा ग्रामसभा की बदहाली के बारे में ग्रामीणों ने कई बार तहसील दिवस में ब्लॉक के अधिकारियों को सूचित किया है। इसके बाद भी ग्रामसभा के कच्चे रास्ते में एक पक्की ईंट भी नहीं लग पाई है।

गाँव परिसिनियां निवासी रामवीर कुशवाहा (45) बताते हैं, ”ग्रामसभा ककरघटा में न के बराबर विकास कार्य हुआ है, वहीं पंचायत के बाकी चार गाँवों में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। गाँव से पक्के मार्ग पर पहुंचने के लिए कोई कच्चा रास्ता भी नहीं है, बरसात के दिनों में गाँव वालों का जीना दूभर हो जाता है।”

रिपोर्टिंग – रमेश चन्द्र गुप्ता

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