खाड़ी देशों में कैद हैं सबसे ज़्यादा भारतीय

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लखनऊ। पंजाब के सरबजीत सिंह की पाकिस्तान की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उन्नाव का पवन कुमार पिछले कई महीनों से कुवैत की जेल में बंद है। पवन को कानूनी दांवपेंच के चलते अब तक छुड़ाया नहीं जा सका है। विदेशी जेलों में ऐसे 6,000 से ज्यादा पवन बंद हैं, जिनमें से 41 फीसदी अकेले खाड़ी देशों में हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी से हर साल सैकड़ों लोग खाड़ी देशों में कमाने जाते हैं।

उन्नाव के अंबेडकर नगर निवासी पवन कुमार 28 अप्रैल 2013 को अपने मौसेरे भाई अनिल के साथ ज्यादा कमाई के चलते कुवैत चले गए थे। कुवैत के जहरा शहर में शेख अब्दुल सेमरी की लॉन्ड्री में कई महीनों तक काम किया और जब सैलरी मांगी तो चोरी के इल्जाम में फंसाने की धमकी देकर उसका पासपोर्ट और वीज़ा ले लिया। 

पवन की पत्नी ममता ने गाँव कनेक्शन को बताया, “चोरी के इल्जाम की धमकी देकर शेख ने उन्हें बंधुआ मजदूर बना लिया है। कुछ दिनों बाद किसी तरह बच निकले पवन ने दूसरे शेख के यहां काम पकड़ लिया। इसके बाद शेख अब्दुल सेमरी ने सादे कागज़ पर दस्तख़त कराकर वीजा और पासपोर्ट जब्त कर लिया। कुछ दिनों शेख ने चोरी के इल्जाम में उन्हें जेल में बंद करवा दिया।”

वीजा-पासपोर्ट और विदेशी मालिकों की गुंडई और बदलसूलकी का शिकार पवन जैसे हजारों भारतीय हर साल होते हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक विश्व की 72 देशों की जेल में 6804 भारतीय नागरिक बंद हैं। इनमें से 41 फीसद से ज्यादा कैदी तो अकेले ही सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की जेलों में बंद हैं। 2013 से अभी तक विभिन्न देशों की जेलों में 49 भारतीयों की मौत हो चुकी है। 

भारतीयों के अपराधों की बात की जाए तो उनमें आप्रवासन, वीजा नियमों का उल्लंघन, अवैध रूप से रहना और अवैध प्रवेश, अवैध यात्रा दस्तावेज, आर्थिक अपराध, रोजगार अनुबंधों का उल्लंघन, बिना वीजा के काम करना जैसे अपराध शामिल हैं। कुछ शहरों में प्रतिबंध होने के बावजूद शराब का सेवन करने पर उन्हें जेलों में रखा गया है।

हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक पांडेय का कहना है, “इन देशों में जाने वाले ज्यादातर लोग कम बढ़े लिखे होते हैं। शेख और दूसरे मालिक उन्हें अपने देशों के सख्त कानून का हवाला देकर फंसा लेते हैं। वैसे भी भारतीय जिस विदेश की जेल में बंद होता है, वहां का नियम और कानून उसके ऊपर लागू होता है। सजा काटने के बाद ही वह वापस आ सकता है। इस दौरान कितना समय लगेगा इसका कोई तय समय नहीं होता है।” वो आगे बताते हैं, “क्योंकि शरई कानून लागू है जो बहुत सख़्त हैं। इसलिए वहां जाने वाले विदेशी कानून से बचने के जुल्म सहते हैं।” 

उन्नाव के पवन के कुवैत से अपना एक वीडिया बनाकर लोगों से उसे छुड़ाने की मदद मांगी है। आंकड़ों के अनुसार बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, यूएई और ओमान जैसे खाड़ी देशों में ही लगभग 60 लाख भारतीय प्रवासी रह रहे हैं। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने भर्ती एजेंटों के भरोसे भारत से तीन गुना ज्यादा तनख्वाह वाली नौकरी की खातिर अपने गाँव को छोड़ा। सऊदी अरब की जेलों में सर्वाधिक 1696 भारतीय कैदी हैं। उजबेकिस्तान, अर्मेनिया, फिजी, जॉर्जिया, हंगरी, माल्टा, नाइजर और सेनेगल के जेलों में भी एक-एक भारतीय हैं। पिछले साल की तुलना में पाक, बांग्लादेश, श्रीलंका, सिंगापुर में भारतीय कैदियों की संख्या में कमी आई है, लेकिन खाड़ी देशों में तेजी के साथ यह संख्या बढ़ी है। एक अनुमान के मुताबिक इन जेलों में रोज एक भारतीय कैदी पहुंच रहा है। 

इन भारतीयों की कानूनी मदद के लिए केंद्र सरकार ने विदेश और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालयों की अगुवाई में ई-योजना के तहत ‘मदद’ नामक जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं। सजायाफ्ता लोगों की स्वदेश वापसी के लिए भारत की पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों समेत 30 देशों के साथ एक-दूसरे देश के कैदियों के आदान-प्रदान करने के लिए संधि हो चुकी है। इसके बावजूद प्रवासी भारतीयों से मुसीबतें कम नहीं हुई हैं।

आईजी रूल्स एवं मैनुअल अमिताभ ठाकुर के सामने ऐसे कई मामले आ चुके हैं। वो बताते हैं, “विदेशी जेलों में बंद भारतीयों के परिजनों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है उनको भी वहीं जाकर पैरवी करनी पड़ती है। इससे रोजी-रोजगार के लिये गये लोगों के परिजनों को आर्थिक रूप का भी सामना करना पड़ता है। विदेश के नियमों, कानून और भाषाओं को भारतीय समझ नहीं पाता है। जब तक समझता है तब तक काफी समय निकल जाता है और भारतीय अपनी जिन्दगी का अमूल्य हिस्सा विदेश के जेलों में गुजारने पर मजबूर हो जाते हैं।”

कुवैत से 2,220 लोगों को भेजा गया भारत

कुवैत में लगातार हो रही गिरफ्तारियों को देखते हुए मई में भारतीय दूतावास एक बयान जारी में कहा था, कुवैत में काम करने की अनुमति वाला वीजा रखने वाले लोगों को वहां वैध तौर पर रहना चाहिए और वहां के नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।’’

दूतावास ने कहा कि वहां निर्वासन की समस्या का सामना कर रहे भारतीयों को यात्रा दस्तावेज (आपातकालीन प्रमाण पत्र) जारी करता रहेगा। विशेष रूप से उनके लिए जो अपने प्रायोजकों से पासपोर्ट प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। कुवैत में हिरासत में लिए गए भारतीयों की स्वेदश वापसी के लिए पिछले चार महीने (जनवरी-अप्रैल 2016) में कुल 2,220 अपातकालीन प्रमाण पत्र (यात्रा दस्तावेज) जारी किए गए हैं। पिछले साल भारतीय दूतावास की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक कुवैत में वैध तौर पर रह रहे भारतीयों की संख्या 800,000 है जो इस अरब देश में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।

रिपर्टर – गणेश जी वर्मा

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