लखनऊ। गन्ना बकाया का भुगतान न मिलने से भड़के प्रदेश के हजारों किसानों ने गन्ना आयुक्त का घेराव किया। किसानों ने सरकार को भुगतान के लिए नौ जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया है।
28 दिसबंर को भारतीय किसान यूनियन ने लखनऊ के डालीबाग स्थित गन्ना आयुक्त कार्यालय पर धावा बोल दिया। मेरठ, मुरादाबाद, शामली, शाहजहांपुर, सहारनपुर, बस्ती और गोरखपुर समेत प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा जिलों के किसानों ने धरना-प्रदर्शन किया। किसानों को संबोधित करते हुभा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्ररीय उपाध्यक्ष दीवान चन्द्र चौधरी ने कहा, “सरकार के घोषणा पत्र के अनुसार किसानों की फसलों की लागत में 50 प्रतिशत जोड़कर वादे के अनुसार इस वर्ष गन्ने का मूल्य 425 रुपए प्रति कुंटल घोषित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद हमें गन्ना मिलों की मनमानी झेलनी पड़ रही है। प्रदेश के किसान अपना गन्ना 150 से 180 रुपए की मामूली कीमत पर बेंचने को मजबूर हैं।”
मुरादाबाद से आए रामवीर त्यागी (46 वर्ष) ने गांव कनेक्शऩ को बताया, “दो वर्ष से भुगतान नहीं हुआ है। पैसा न होने से खेती चौपट हो रही है। बच्चों की फीस देना मुश्किल है। कई लोग बेटियों की शादी नहीं कर पा रहे हैं। कितनी बार तो धरना दे चुके हैं।”
वहीं बस्ती जिले से आये गन्ना किसान बलजीत (35 वर्ष) बताते हैं, ”चीनी मिल मनमानी कर रही हैं। हमारे सामान्य किस्म की गन्ना फसल को भी सूखा बताकर लेने से मना कर रही है, जिससे हमें बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।”
भारतीय किसान यूनियन के अनुसार, प्रदेश में पिछले वर्ष 118 चीनी मिलें कार्यरत थीं, जिनमें अब सिर्फ 110 ही चालू हैं। किसान यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में खलीलाबाद, बस्ती, मुंडेरवा, बुंलदशहर, बिडवी की बंद चीनी मिलों को दोबारा चलाया जाए। चीनी मिलों की मनमानी के चलते किसानों को अगैती, सामान्य प्रजाति के साथ रिजेक्ट प्रजाति की भी पर्ची दी जा रही है, जिससे किसानों का सामान्य प्रजाति का गन्ना भी रिजेक्ट मानकर तौला जा रहा है, इसे तुरंत बंद कराया जाए ।
मौजूदा समय मे किसानों को राहत की सांस न मिलने की बात पर प्रादेशिक गन्ना आयुक्त सोसाइटी बीबी सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, ”प्रदेश के हर जिले में गन्ना किसानों की हालत के सुधार के लिए हमने समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए सभी दस्तावेज सरकार को सौंप दिए हैं जैसे ही सरकार की अनुमति मिलेगी हम इन मूल्यों को जारी कर देगें।”
पिछले सत्र में प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को लाभ देते हुए 280 रुपए प्रति कुंतल समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 425 रुपए प्रति कुतंल करने की घोषणा की थी लेकिन वर्तमान समय में गन्ना मिलें किसानों को उनकी उपज 200 रुपए प्रति कुतंल की दर से भी कम में खरीद रही हैं।
”इस समय गन्ना किसानों का 1500 करोड़ रुपए ब्याज का पैसा बाकी है, जो अभी तक मिल जाना चाहिए था। अगर आगामी 9 जनवरी तक हमारी मांगों को न पूरा किया गया तो हम प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों की घेराबंदी कर अपनी मांगों को पूरा कराएंगें।” दीवान चन्द्र ने आगे बताया।