शहरी विकास मंत्रालय के सर्वे में मिला पहला स्थान, काशी सबसे पीछे
रिपोर्टर – मसूद तैमूरी
इटावा। केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के सर्वे में इटावा सबसे साफ शहरों में अव्वल पाया गया है। मंत्रालय ने प्रदेश के एक लाख से अधिक आबादी वाले सौ शहरों की स्वच्छता अभियान से सरोकार रखने वाले 61 शहरों का सर्वेक्षण कराया था।
मंत्रालय की इस रिपोर्ट में खासी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा ने इन शहरों के सर्वे में 85 अंक हासिल कर प्रदेश टॉप करने में महारत हासिल कर ली। जबकि स्वच्छता अभियान को गति देने की पहल करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस सफाई एवं स्वच्छता अभियान के मामले में काफी पिछड़ते हुए महज 417 अंक हासिल कर गंदगीयुक्त शहरों में शुमार हो गया। इसके अलावा देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र भी लखनऊ भी महज 220 अंक ही हासिल कर अपनी इज्जत बचा पाने में ही कामयाब हो सका।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब देशवासियों से स्वच्छता अभियान को गति देते हुए इसको सार्थकता देने की अपील की तो गैर भाजपाई दलों ने अपने-अपने तरीकों से इस पर प्रतिक्रिया की थीं। प्रदेश के मुख्यमंत्री व सपा के प्रांतीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मखौल उड़ाया था, परंतु इसके बावजूद जनपदवासियों ने मोदी के अभियान से प्रेरणा ली और जनपदवासी इस अभियान से शिद्दत से जुड़ गए। नरेंद्र मोदी सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने इस अभियान की समीक्षा कराने की मंशा से प्रदेश के 61 उन शहरों का स्वच्छता अभियान से जुड़े एक लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों का सर्वे कराया तो प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव का गृह जनपद मुख्यालय ने इस सर्वे में सर्वाधिक अंक हासिल कर प्रथम स्थान हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली।
सर्वे की रिपोर्टों में जो तथ्य सामने निकल कर आये हैं बेहद ही चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं। मसलन इलाहाबाद और कानपुर प्रदेश के सर्वाधिक गंदे शहरों के रूप में सामने आये। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा एक साथ देश के बीस राज्यों के 476 शहरों का सर्वे कराया गया था। रिपोर्टों के मुताबिक ताजमहल की खूबसूरती के लिए विख्यात आगरा 145वें, सूबे की राजधानी लखनऊ 220वें, इलाहाबाद 383वें, कानपुर 241वें, बुलंदशहर 240वें तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र रायबरली 240वें स्थान पर रहा। सर्वे की इन रिपोर्टों में प्रत्येक शहर को सौ अंकों में से परिणाम तलाशना था।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सपा नेता डॉ. रामगोपाल यादव ने पालिकाध्यक्ष को दी बधाई
शहरी विकास मंत्रालय द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में इटावा को प्रथम पायदान पर लाने में मुख्य योगदान नगर पालिका परिषद का ही माना जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा संसदीय दल के नेता डॉ. रामगोपाल यादव ने जनपद के नाम को सूबे में ऊंचा कराने में अहम किरदार निभाने वाले नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष कुलदीप गुुप्ता ‘संटू’ को फोन कर इस उपलब्धि के लिए बधाइयां दीं हैं। उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान के आह्वान के बाद पालिकाध्यक्ष संटू के प्रयासों का ही यह परिणाम रहा कि इटावा ने बनारस को भी सफाई के मामलों में काफी पीछे छोड़ सूबे के शहरों में प्रथम स्थान हासिल कर जनपद को गौरवान्वित किया है।”कुलदीप गुुप्ता ‘संटू’ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष
चेयरमैन ने आमजनों के सहयोग को सराहा
शहरी विकास मंत्रालय के सर्वेक्षण की आई रिपोर्टों में इटावा को प्रथम स्थान दिलाने में अव्वल बनाने में अहम भूमिका का निर्वाहन करने वाले नगर पालिका अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता ‘संटू’ ने इस मुकाम को हासिल करने में कामयाबी हासिल कराने में सहयोग करने पर शहरवासियों को भी शुभकामनाएं दीं हैं। संटू ने कहा कि हमार प्रयास तभी सार्थक रूप में सामने आ सके हैं क्योंकि आमजनों ने हमारे प्रयासों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। यदि शहरवासी हमारे प्रयासों के साथ असहयोगात्मक रवैया अपनाते तो यकीनन हम भी गंदे शहरों में ही शामिल होते।
इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भी आभार जताया कि उन्होंने हमें पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए और हमारे द्वारा तैयार की गईं योजनाओं के लिए पर्याप्त धन दिया। इसके साथ ही सफाई व्यवस्था के लिए पालिका परिषद की टीम भी विशेष बधाई की पात्र है, जिसके प्रयासों ने हमें इस मुकाम पर पहुंचाया और हम इस उपलब्धि को हासिल करने में कामयाब हो सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए पालिका के सफाईकर्मियों को जल्द ही एक समारोह में सम्मानित करेंगे। इसके बावजूद हमें और अधिक काम करने की जरूरत है। हम इसके लिए अपने संसाधनों से और एेसी सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास करेंगे ताकि जनपद देश में प्रथम स्थान हासिल कर देश भर के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन सके।
किन आधारों पर तय की गई रिपोर्ट
केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने देश के 476 शहरों में यह जानने का प्रयास किया था कि इन शहरों में खुले स्थान पर शौच क्रिया करने, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सीवेज मैनेजमेंट, प्रदूषित जल के शोधन, पेयजल की व्यवस्था, जल स्त्रोतों की शुद्धता के साथ ही पेयजल से होने वाली बीमारियों से निपटने आदि के प्रबंधों की स्थित क्या है? ताकि केंद्र सरकार और शहरी विकास मंत्रालय इन शहरवासियों की समस्याओं का निस्तारण कर उन्हें मूलभूत और स्थायी सुविधाएं मुहैया कर सके।
अभी भी है सफाईकर्मियों की आवश्यकता
नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता ‘संटू’ का मानना है कि वर्तमान में वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक नगर पालिका परिषद से जुड़े शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 256790 है। जिसमें कुल 36 वार्ड शामिल हैं। समूचे शहरी क्षेत्र की सफाई व्यवस्था पर नजर रखने के लिए पालिका ने 30 सफाई नायकों को लगा रखा है। पालिका के पास स्थाई 160 सफाई कर्मचारी हैं जबकि पालिका ने अपने संसाधनों से 133 सफाई कर्मियों को संविदा पर जबकि ठेकाप्रथा पर 336 सफाईकर्मियों की संख्या है। अभी पालिका को सफाई व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए 150 और सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता है।