फसलों को बचाने के नाम पर जानवरों से क्रूरता

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लखनऊ। जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए किसान हिंसक उपाय आजमा रहे हैं। कहीं घास और आटे में छिपा कर विस्फोटक रखे जा रहे हैं तो कहीं नंगे तारों में हाई वोल्टेज करेंट छोड़ा जा रहा है। लखनऊ में चरने गई एक गाय सुलती बम के विस्फोट से गंभीर रुप से घायल हो गई।

लखनऊ जिले के गोसाईंगंज ब्लॉक के धरहरा गाँव के रहने वाले जयराम ( 33 वर्ष) रोज की तरह अपने पशुओं को पिछले दो दिन पहले चराने के लिए ले गए थे। जयराम बताते हैं, ”हमारे पशु चर रहे थे, तभी धमाके की आवाज आई। जब जाकर देखा तो गाय का जबड़ा फट गया था और खून से लथपथ गाय वहीं छटपटा रही थी, उसकी हालत देखी नहीं जा रही है। गाय का जीवाश्रय के अस्पताल में इलाज चल रहा है। देखो क्या हो?”

आवाज़ में भर्राहट के साथ वो आगे बताते हैं, “ये पहला मौका नहीं है जब पालतू जानवरों के साथ ऐसा हुआ है। पहले भी कई जानवर इस तरह घायल हो चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारे जानवर तो किसी के खेत में भी चरने नहीं जाते।”

बेसहारा पशुओं के आश्रम जीवाश्रय में गाय का इलाज कर रहे डॉ सूर्यप्रकाश मिश्रा बताते हैं, ”कुछ दिन पहले ही एक और ऐसा ही मामला आया था जिसमें हम उस भैंस को बचा नहीं पाए थे। गंभीर हालत में आई इस भैंस की स्थिति भी काफी खराब है बचाना काफी मुश्किल है।”

पिछले दिनों मरने वाली भैंस धरहरा गांव के शिवनंदन की थी। उन्होंने फोन पर बताया, “मेरी भैंस तड़प-तड़प कर मर गई। कुछ नहीं हुआ।”

इस बारे में बात करने पर थानाध्यक्ष गोसाईगंज अरविंद पांडेय बताते हैं, मामला संज्ञान में है जांच जारी है। आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी।”

जीवाश्रय के सचिव यतींद्र त्रिवेदी बताते हैं, ”गाय का जबड़ा बुरी तरह बेकार हो चुका है, बचा पाना मुश्किल है फिर भी हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। पशु की देखभाल के लिए दो 2 सहायक और एक चिकित्सक 24 घंटे गाय के पास हैं।”

हादसों को रोकने के लिए यतींद्र बताते हैं ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सुतली बम, जानवरों को आग से जला देना और खेतों में करंट दौड़ाना आम बात हो गई है। “ये ठीक है कि कुछ जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हें बचाने के सही तरीकों के बारे में किसानों को जागरुक करना होगा, ताकि बेजुबान पशुओं को मरने से रोका जा सके।” यंतीद्र बताते हैं।

सिर्फ लखनऊ ही नहीं प्रदेश के कई जिलों में पशुओं के साथ क्रूरता हो रही है। शाहजहांपुर जिले के खुटार वनक्षेत्र इलाके में कई किसानों ने खेतों के किनारे तार लगा रहे हैं, जिनमें रात में करंट छोड़ देते हैं। बिजली का झटका लगने अब तक कई पशुओं की मौत चुकी है।

पुलिस और वनविभाग से बचने के लिए किसान इन शवों को या तो नदीं में फेंक देते हैं या फिर रेत में दफना देते हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूर उत्तर दिशा में खुटार जंगल से सटे सैकड़ों एकड़ खेत हैं। जनवरी माह में ग्राम नरौठा हंसराम के पास गुलदार शावक का शव मिला, जिसकी नाक से खून बह रहा था। मौत का कारण करेंट लगना बताया गया था।

मलिका गाँव के निवासी महिपाल सिंह (70 वर्ष) बताते हैं, ”हमारे जानवर सुरक्षित नहीं है। कई बार जानवरों को करंट लगने की बात सामने आई है। स्थानीय अधिकारियों और वनविभाग को भी बताया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब चराने के लिए जगह नहीं है तो हमने अपनी गायों को जंगल में ही छोड़ दिया है।”

इस बारे में गाँव कनेक्शन रिपोर्टर ने खुटार रेंज के वन संरक्षक शिवाजी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया, ”खुटार जंगल क्षेत्र बहुत बड़ा है, इसमें अलग-अलग हिस्सों पर कई लोगों की तैनाती है। जानवरों की हत्या हमारे क्षेत्र की नहीं है। इसलिए हम कुछ भी नहीं बता सकते।’’

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