गाँव कनेक्शन सर्वे : टीचर बनना चाहती हैं प्रदेश की ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं

Gaonconnection survey

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। आज के दौर की ज्यादातर महिलाएं चाहती हैं कि वे आत्मनिर्भर बनें और नौकरी कर खुद के साथ परिवार की जरूरतों में उनका सहयोग करें। लेकिन आत्मनिर्भर बनने के लिए काम करने की चाह रखने वाली ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है जो टीचर बनना चाहती हैं। यही नहीं, घरों में वधू के तौर पर भी उन युवतियों की तलाश की जा रही है जो टीचर हों।

गाँव कनेक्शन ने 25 जिलों में 5000 ग्रामीण महिलाओं से बात कर उनके मन की बात जानी। सर्वे से पता चला कि 56 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी बनना चाहती हैं जिसमें से सबसे अधिक 45 प्रतिशत टीचर बनना चाहती हैं। ऐसा तब है जब शिक्षामित्रों का मामला इन दिनों गरमाया हुआ है।

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बहराइच जिले के राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली रजिया खातून 17 वर्ष कहती हैं, “मैं इंटर की पढ़ाई कर रही हूं और आगे बीटीसी, बीएड करना चाहती हूं जिससे टीचर बन सकूं। मैंने देखा है टीचर की नौकरी सबसे अच्छी है। बहुत ज्यादा काम नहीं करना पड़ता है और इज्जत भी खूब मिलती है। मैं अपने स्कूल में देखती रहती हूं कि सारे बच्चे और उनके मम्मी-पापा लोग भी टीचर की बहुत इज्ज्त करते हैं।”

लखनऊ के एक दैनिक अखबार में काम कर रहीं पत्रकार (नाम न लिखने को कहा) कहती हैं, “मैं अपने काम से खुश हूं लेकिन मेरे काम में सुकून की कमी है और दिन भर दौड़भाग है। इसलिए मैंने पत्रकारिता में रहते हुए दो वर्ष पहले बीएड किया। मैं सरकारी टीचर बनना चाहती हूं। इसलिए इंतजार में हूं कि कब भर्ती निकलेगी। टीचर की नौकरी बहुत सुकून की है। सुबह से दोपहर तक काम करने के बाद अपने पति और परिवार को आसानी से संभाला जा सकता है। और इस नौकरी में छुट्टी भी खूब मिल जाती हैं। दो महीने की गर्मी की छुट्टी के साथ और भी बहुत सारी छुट्टी मिलती रहती हैं।”

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के शिप्रा सन सिटी में रहने वाली वीना सक्सेना (50 वर्ष) कहती हैं, “मैं अपने बेटे साहिल के लिए लड़की देख रही हूं। चाहती हूं कि वह कामकाजी हो और घर में अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। लेकिन ऐसी बहू भी नहीं लाना चाहती जो काम के चलते सुबह से देर शाम तक ऑफिस में काम संभालने के बाद जब घर लौटे तो घर के काम भी न संभाल सके। पति को और ससुराल वालों को समय न दे सके। इसलिए मैं ऐसी लड़की की तलाश कर रही हूं जो किसी स्कूल में टीचर हो। वह घर में आर्थिक मदद में भी हाथ बटा सकेगी और दोपहर घर वापस आकर घर को भी संभाल सकेगी।”

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