वो महिलाएं जिनकी बदौलत एक बड़ी आबादी की थाली में चावल होता है

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धमतरी (छत्तीसगढ़)। हमारी और आपकी थाली में जो चावल, बिरयानी, खिचड़ी, या पोहा होता है, उसके पीछे दूर कहीं खेत से लेकर खलिहान तक किसी न किसी महिला की मेहनत होती है। धान (चावल) भारत की प्रमुख फसल है। एक बड़ी आबादी का मुख्य भोजन चावल है।

छत्तीसगढ़ उन राज्यों में शामिल है जहां की मुख्य फसल धान है। यहां बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। लेकिन ये पूरी तरह महिलाओं के जिम्मे है। धान की रोपाई से लेकर निराई और कटाई तक सब काम महिलाओं को करने होते हैं। महिलाएं अपने खेतों में धान की रोपाई करती हैं और दूसरों के खेतों में भी काम करती हैं। कई सारी महिलाएं ठेका लेकर 20-50 महिलाओं के समूह में खेती करती हैं। यहां कई ऐसे इलाके भी हैं जहां साल में दो बार धान की खेती होती है।


पिछले दिनों गांव कनेक्शन की टीम जब छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में थी तो ऐसे ही महिलाओं के एक समूह से मुलाकात हुई। इनका रोपाई का ढंग भी बहुत खास होता है। यहां खेती हसते गुनगुनाते होती है। गर्मियों और खरीफ दोनों फसलें होने के कारण धान की बंपर पैदावार होती है। इसीलिए छत्तीसगढ़ से सटे धमतरी जिले में धान की सैकड़ों मिल भी हैं।

छत्तीसगढ़ में जून-जुलाई के अलावा फरवरी मार्च में भी धान की रोपाई होती है। पिछले दिनों में जब मैं धमतरी पहुंचा तो उमरदा गांव में धान की रोपाई हो रही थी। किसान ब्रह्मानंद साहू ने धान लगाने के लिए पार्वती देवी को ठेका दिया था। जीवन के चार दशक देख चुकी पार्वती देवी का बहुत सारा समय खेतों में ही गया है। उन्होंने अपने गांव की 25 महिलाओं को लेकर इस सीजन में काम शुरु किया था।


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पार्वती बताती हैं, “4000 रुपए प्रति एकड़ में रोपाई का ठेका लिया है। अगर शाम तक सवा से डेढ़ एकड़ खेत लग जाएगा तो हर महिला को 200 रुपए मिल जाएंगे।” पार्वती ठेकेदार हैं, लेकिन जो मजदूरी मिलती है वो सब में बराबर बंटती है। पार्वती के मुताबिक जब खेतों में काम होता है काम लगातार मिलता है वर्ना बाद में मुश्किल हो जाता है।

धमतरी में हमारे साथी, सारथी और वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्म ठाकुर बताते हैं, “रोपाई का काम यहां महिलाओं को ही करना है। इसलिए नहीं की महिलाएं ये काम अच्छे से कर पाती हैं कि छत्तीसगढ़ में रोपाई को पुरुष अपने लिए बहुत छोटा काम मानते हैं। वो बाहर जाकर मजदूरी कर लेंगे लेकिन रोपाई नहीं करेंगे।”

हमने कई पुरुषों से बारे में पूछा लेकिन वो कुछ बोले नहीं, बस इतना ही कहा कि “वो शुरु से करती आ रही हैं..” कोई पुरुष हां करता तो समझाते जरुर कि पानी भरे खेत में ऊपर से पड़ती धूप के बीच लगातार कई कई घंटे झुके रहना आसान नहीं होता।

रोपाई को दरकिनार करें तो पुरुष खेतों में खूब पसीना बहाते हैं। धान, गेहूं, मक्का और चना यहां बहुतायत होती है। गर्मियों में भी धान की खेती के बारे में पूछने पर खेत के मालिक ब्रह्मानंद साहू बताते हैं, “हमारे खेत की जो मिट्टी है इसमें चने और गेहूं का पौधा अच्छे पनपता नहीं है। धान अच्छा हो जाता है। इस सीजन में धान की फसल में रोग भी कम लगते हैं। मैंने मिट्टी की जांच भी कराई थी।” ब्रह्मानंद ने इस बार 4 एकड़ में धान लगाए हैं। वैसे तो धमतरी में पिछले कई दशकों से साल में दो बार धान की खेती होती आ रही है। यहां की जलवायु और गगरेल डैम की वजह से पानी की उपलब्धता बड़ी वजह है।

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धमतरी के अलावा छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्र सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर के एक बड़े हिस्से में साल में दो बार धान की खेती होती है। बस्तर में जगदल कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक धर्मपाल क्रिकेटा बताते हैं, छत्तीसगढ़ का बड़ा हिस्सा लो लैंड (जलभराव) वाला है। जिसके चलते गर्मियों में कई इलाकों में खेतों में पानी रहता है। अब लगातार दलदोहन के चलते जलस्तर नीचे जा रहा है। लेकिन कुछ हिस्सों में हालात वैसे ही है। धमतरी के साथ एक प्लस प्वाइंट ये है कि यहां गगरेल डैम है, जहां नहरों का जाल है और पानी की उपलब्धता धान की खेती को बढ़ाती है।’

प्राकृतिक हालातों के अलावा इस साल जो सबसे बड़ा कारण धान की बंपर रोपाई का रहा वो धान छत्तीसगढ़ की नई सरकार में धान का 2500 रुपए कुंतल का रेट। तीन बार के सीएम रहे डॉ. रमन सिंह को मातदेकर सत्ता में आए भूपेष बघेल ने आते ही धान की सरकारी कीमत 2500 रुपए करदी। ये केंद्र सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से 750 रुपए यानि करीब 42 फीसदी ज्यादा है।

पूरे देश में धान की सबसे ज्यादा कीमत के फैसले को ब्रह्मानंद किसान के हित में बताते हैं, लेकिन सरकार से उपज खरीद की बढ़ाने की सलाह देते हैं। “सरकार एक एकड़ से किसान से 14 कुंतल 80 किलो ही खरीद रही है। जबकि पैदा होता है 30-21 कुंतल है। ऐसे में जो बाकी 12-15 कुंतल बचाता है वो उसे मंडी में 1600-1700 में बेचना पड़ता है। सरकार को खरीद बढ़ाकर प्रति एकड़ 22-23 कुंतल करनी चाहिए।”

स्थानीय पत्रकार पुरुषोत्तम खेतों से लौटते वक्त कई मिल दिखाते हुए कहते हैं, “अकेले धमतरी में ही 150-200 धान मिल होंगी। आप अगर बोरी में धान लाते हैं या सरकारी कोटे से धान लेने जाते हैं तो एक बार उसकी बोरी पर ध्यान दीजिएगा शायद उसमें धमतरी की मुहर लगी हो।”


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छत्तीसगढ़ में करीब 43 लाख किसान परिवार हैं और धान यहां की मुख्य फसल है। छत्तीसगढ़ में करीब 3.7 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती होती है। जिसमें ज्यादा एरिया वर्षा की खेती पर आधआरित है। धान यहां की मुख्य फसल है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार भी धान के प्रति कुंतल पर 200 रुपए प्रति कुंतल का बोनस देती थी। हालांकि लगातार जलदोहन के चलते और कई जिलों में 2017-18 में सूखे जैसे हालातों के चलते पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने गर्मियों के धान पर प्रतिबंध भी लगाया था। उस वक्त कांग्रेस विधेयक और अब वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार पर आड़े हाथ लिया था, उनका कहना था कि जब तक किसानों को वैकल्पिक फसलें, नई तरह की खेती न बताई जाए धान लगाने से नहीं रोका जाना चाहिए। 

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