रणविजय सिंह/मिथिलेश धर दुबे
बनासकांठा (गुजरात)। “एक जगह से गुजर रहा था, बहुत से लोग कांटों के बीच पत्थर मार रहे थे। पास जाकर देखा तो कांटों के बीच एक कोबरा सांप था। वो लहूलुहान था। तड़प रहा था। इस एक सीन ने मेरी सोच बदली दी। ये देखने के बाद मुझे लगा कि हमें सांपों को बचाने के लिए कुछ करना चाहिए। तब से मैं लोगों को जागरूक कर रहा हूं। सांपों को नया जीवन दे रहा हूं।” मोक्ष माली कहते हैं।
मोक्ष अब 24 साल के हो चुके हैं। ये घटना तब की है जब वे 9वीं क्लास में थे और उनकी उम्र 12-13 साल थी। मोक्ष को लोग गोगा वाला (नाग देवता) कहते हैं।
गुजरात के बनासकांठा जिले में किसी के घर के सांप निकलता है तो लोग उसे मारते नहीं, बल्कि गोगा वाला मोक्ष माली को फोन करते हैं। महज 24 साल का यह युवा बनासकांठा जिले के डीसा ब्लॉक का रहने वाला है। जिस उम्र में करियर को लेकर परेशान रहते हैं, उस उम्र तक मोक्ष अब तक 12 हजार से ज्यादा सांपों को नया जीवन दे चुके हैं और सांपों को नया जीवन देना अब उनका जुनून बन चुका है। डीसा में जब हमारी मुलाकात मोक्ष माली से हुई तब वे किसी के घर सांप बचाने जा रहे थे।
जिनसे सब डरते हैं उन्हें अगर कोई अपना दोस्त बना ले तो अचरज तो होगा ही। फिर हम यह भी सोचते हैं कि टेक्टनोलोजी के दौर में सांपों को किसी यंत्र द्वारा बचाया जाता है होगा, या पूरा रेस्क्यू कैसे किया जाता है, लोग यह भी जानना चाहते हैं।
इस मोक्ष गांव कनेक्शन को बताते हैं “मैंने सांपों को बचाने के लिए आज तक किसी भी तरह के यंत्रों का प्रयोग नहीं किया। एक छोटी लाठी होती वो भी इसलिए कि ताकि सांप उन्हें ही न डस ले।”
क्या आपको सांपों से डर नहीं लगता या घर वालों ने कभी रोका नहीं, इस सवाल पर मोक्ष कहते हैं “मुझे तो कभी डर नहीं लगा। हां घर वाले जरूर डरते हैं। शुरू-शुरू में जब कहीं जाता था तब मम्मी-पापा ये कहना नहीं भूलते थे कि अपना ख्याल रखना। पापा ने इसका विरोध भी किया, बोले कि तुम पढ़ लिखकर अच्छा काम कर सकते हो।”
“लेकिन मुझे तो यही अच्छा लगा। अब पापा खुश होते हैं जब उन्हें लोग देखते ही कहते हैं कि ये मोक्ष माली के पापा हैं। कभी किसी से सीखा भी नहीं, डिस्कवरी चैनल पर देखता था तब पता चला कि सांपों को बचाया भी जाता है।” मोक्ष आगे कहते हैं।
मोक्ष और उनके साथी दीपक खत्री ने मिलकर वाइल्ड लाइफ स्नेक रेस्क्यू टीम बनायी है जो जंगली जानवरों को बचाने का काम करती है। दीपक बीकॉम करने के बाद नौकरी कर रहे थे लेकिन अब वे भी मोक्ष के साथ है। वे बताते हैं, “पहले मैं और मेरे कुछ साथी मोक्ष के साथ जाते थे जहां से भी कॉल आती थी। बाद हमें लगा कि वो अच्छा काम कर रहा है। इसके बाद ही हमने अपनी टीम को को नाम दिया। मैं पिछले 4 साल से इस टीम का हिस्सा हूं और 4000 से ज्यादा सांपों को हमने मिलकर बचाया है।”
मोक्ष को अब तक 6 बार सांप डस चुके हैं। इस पर वे कहते हैं “ऊपर वाले का आशीर्वाद है। इतनी बार सांप ने काटा लेकिन मैं बच गया। ऐसा इसलिए भी है कि शायद मैं उनकी जान बचाता हूं इसलिए उनका जहर मेरे ऊपर ज्यादा असर नहीं करता।”
घर का खर्च कैसे चलता है, कमाई का जरिया क्या है। इस बारे में मोक्ष कहते हैं “कभी-कभार हमें कुछ पैसे भी मिल जाते हैं। लेकिन हम किसी से पैसे नहीं मांगते। हम अपना व्यापार भी करते हैं जिससे हमारा खर्च चलता है। लेकिन हमें यह अच्छा लगता है कि लोग जब देखते हैं तो कहते हैं वो देखो गोगा वाला मोक्ष माली जा रहा है।”
मोक्ष अपील भी करते हैं कि सांपों को मारना नहीं चाहिए। ये धरती जितनी हमारी है उनकी भी उतनी ही है, इसलिए उन्हें भी बराबर जीने का अधिकार है।