दिल की बीमारियों से बचना है तो ये वीडियो देखिए, जानिए क्या होता है कार्डियक अरेस्ट ?

#heart disease
  • दिल की बीमारियों से बचना है तो ये वीडियो देखिए
  • कार्डियक अरेस्ट क्या होता है?
  • साइलेंट किलर यानि कार्डियक अरेस्ट से कैसे बचें?
  • ‘कार्डियक अरेस्ट’ और ‘हार्ट अटैक’, में क्या है अंतर
  • ‘कार्डियक अरेस्ट’ और ‘हार्ट अटैक’, किसमें है खतरा ज्यादा?
  • हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह
  • कार्डियक अरेस्ट‘ एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया। इससे पहले बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत में ‘कार्डियक अरेस्ट’ के कारण मौत हो गई थी। श्रीदेवी की अलावा बॉलीवुड की ‘फेवरेट मां’ कहीं जाने वाली रीमा लागूकी मौत भी कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी। उनके अलावा साउथ की एक्ट्रेस और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की मौत भी इसी वजह से हुई थी। लोग कार्डियक अरेस्ट और दिल के दौरे को एक ही चीज मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है।

कार्डियक अरेस्ट के बारे में विस्तार से जानने के लिए हम पहुंचे डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और वहां पर बात की ह्रदय रोग विभाग के डॉ. भुवन चन्द्र तिवारी से।

डॉ. भुवन चन्द्र तिवारी ने बताया, “कार्डियक अरेस्ट, कार्डियक मतलब दिल और अरेस्ट मतलब रुक जाना। किसी भी वजह से अगर हार्ट रुक जाता है तो वह कार्डियक अरेस्ट है। इसकी वजह बहुत सारी वजह हो सकती हैं जैसे कि ह्रदयघात होना, हार्ट अटैक होना और उसके बाद कारियक अरेस्ट होना। हार्ट की रिदम गढ़बढ़ हो जाना, जिसे हम एल्दिमिया कहते हैं इससे हार्ट बीत उल्टी-सीधी होने लगती है तो इससे भी कार्डियक अरेस्ट हो जाता है और तीसरी वजह होती है कि हार्ट ब्लॉक हो गया है उसमें करंट ही नहीं जनरेट हो रहा है, जिसकी वजह से हार्ट रुक गया इन वजहों से कार्डियक अरेस्ट हो जाता है।”

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डॉक्टर भुवन तिवारी, हृदय रोग विशेषज्ञ

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दिल के दौरे से हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है और हर साल करीब 20 लाख लोग दिल के दौरे से पीड़ित हैं, जिनमें ज़्यादातर युवा हैं। शहर में रहने वाले पुरुषों को, गाँव में रहने वाले पुरुषों से दिल के दौरे की संभावना तीन गुणा अधिक होती है।

इस बीमारी से बचने के लिए कारण को हमें पहचानना पड़ेगा। अगर कार्डियक अरेस्ट की वजह हार्ट अटैक है तो यह उन लोगों को हो सकता है जिन्हें पहले से दिल की बीमारी हुई हो और उनका ट्रीटमेंट इन्जोप्लास्टी हुआ हो या बाई पास सर्जरी हुआ हो उसके लिए कुछ दवाइयां होती हैं नियमित रूप से खून पतला करने वाली उन दवाइयों को नियमानुसार खाते रहें। इससे हार्टअटैक पड़ने से या दोबारा पड़ने से बचा जा सकता है। कुछ अलग-अलग कैटेगरी के मरीज होते हैं, जिनको सुगर, ब्लडप्रेशर, सीने में भारीपन के लक्ष्ण और कई बीमारियाँ होती हैं जिनका सीधा दिल की बींरी से साथ जुड़ाव होता है उसे खुद को बचाते रहें।

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इंडियन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत हार्ट अटैक भारतीय पुरुषों में 50 साल तक की उम्र में आते हैं और 25 प्रतिशत हार्ट अटैक भारतीय पुरुषों में 40 साल तक की उम्र में आते हैं।

पोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 12 प्रतिशत दिल के मरीजों की उम्र 40 वर्ष से कम है। यह आंकड़ा पश्चिम के देशों से दोगुना है। बीते सालों में 15-20 प्रतिशत हृदयाघात के पीड़ित 25 से 40 साल के रहे हैं। 2005 में लगभग 2.7 करोड़ भारतीय दिल की बीमारी से पीड़ित थे, जो कि 2010 में बढ़कर यह संख्या 3.5 करोड़ और 2015 तक 6.15 करोड़ पर पहुंच गई है।

बदलती जीवनशैली का बीमारी में योगदान

इस बीमारी में जीवनशैली का एक बहुत बड़ा योगदान है जैसे कि आजकल हमारी जीवन शैली है भागदौड़ वाली या तनाव वाली है या शारीरिक व्यायाम के लिए खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, हमारे खान-पान में बदलाव होना, जंक फूड का इस्तेमाल ज्यादा करना जैसे फ़ास्ट फ़ूड, बर्गर, पिज़्ज़ा, चिप्स इनका प्रयोग करना या सॉफ्ट ड्रिंक का प्रयोग ज्यादा करना ये सब हार्ट के लिए बहुत खतरा बढ़ाता है। इसके अलावा आजकल के बच्चे पान-मसाला, तम्बाकू, गुटखा और स्मोकिंग की तरफ उनका रुझान बढ़ रहा है।

जर्नल लेंसेट और इससे सम्बद्धजर्नलों में प्रकाशित हुए नए अध्ययनों से यह बात सामने आई है। भारत के हर राज्य में हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारियों, मधुमेह, सांस संबंधी बीमारियों, कैंसर और आत्महत्या के वर्ष 1990 से 2016 तक के विस्तृत आंकलन दर्शाते हैं कि ये बीमारियां बढ़ी हैं परंतु अलग अलग राज्यों में इनके प्रसार में काफी भिन्नता है। पिछले 25 वर्षों के दौरान भारत में हर राज्य में हृदय संबंधी बीमारियां और पक्षाघात के मामले 50% से अधिक बढ़े हैं। देश में हुईं कुल मौतों और बीमारियों के लिए इन रोगों का योगदान 1990 से लगभग दोगुना हो गया है। भारत में अधिकांश बीमारियों में हृदय रोग प्रमुख है, और वहीं पक्षाघात पांचवां प्रमुख कारण पाया गया है।

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लगातार घट रही बीमारी की उम्र

यह बहुत ही दुःख की बात है कि आजकल 20-25 वर्ष के बच्चे को हार्टअटैक पड़ रहा है। इसे हमें सुधारना होगा वरना आने वाले समय में हमारी पीढ़ी को बहुत सारी दिक्कतें होने वाली हैं। पहले दिल के दौरे की उम्र 50-60 वर्ष मानी जाती थी फिर उम्र कम होते-होते 30-40 वर्ष हो गयी और आज की स्थिति यह है कि यह उम्र घटते-घटते 20-25 वर्ष हो गई है।

खुद को ऐसे बचाएं

अगर बीमारी से बचना है तो अपने स्वास्थ्य के लिए आपको समय निकालना पड़ेगा। आपको सही समय पर सोना पड़ेगा, जिससे कि आप छह से आठ घंटे की पूरी अच्छी नींद ले पायें। सुबह फ्रेश होकर उठकर 30-40 मिनट का समय निकाल कर किसी पार्क में जाकर व्यायाम करें या रेगुलर वाक करें, जिसमें आपका कोई पैसा भी खर्च नहीं होगा और आप एकदम स्वस्थ रहेंगे। घर पर बना हुआ साधारण भोजन ही लेने की पूरी कोशिश करें। धूम्रपान, तम्बाकू, गुटखा और किसी भी प्रकार के नशे से खुद को बचाएं।

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