आंखों से दिखायी नहीं देता, फिर भी बनाती हैं खूबसूरत राखियां

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अहमदाबाद (गुजरात)। ये आंखों से देख नहीं सकती, लेकिन फिर भी इतनी खूबसूरत राखियां बनाती हैं कि जिन्हें देखकर आप तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे।

गुजरात के अहमदाबाद में मेमनगर विस्तार में अंध कन्या प्रकाश गृह की ये महिलाएं पिछले 20 वर्षों से राखियां बना रही हैं। इनके द्वारा बनायी गई राखियों को देखकर आपको नहीं लगेगा की इसे किसी नेत्रहीन ने बनाया है।

राखी बनाने की शुरूआत के बारे में अंध कन्या प्रकाश गृह की प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर स्मिता शाह बताती हैं, “आज से 20 साल पहले एयर इंडिया का राखी बनाने का टेन्डर आया और हमने उस टेंडर को भरा जिसके बाद हमें टेंडर मिला, मगर हमारे सामने यह बड़ा सवाल था की आखिर हम राखी इन दिव्यांग बहनों से कैसे बनवा पाएंगे। मगर ये खुद सामने आयी और कहीं की हम यह काम कर सकते हैं। बस हम पर आप विश्वास रखिये, जिसके बाद हमने इनको राखी बनाना सिखाया और यह उस समय से अब तक राखी बना रही हैं।”


शुरूआत में यह कम राखी बना पाती थी मगर आज हर एक दिव्यांग 100 से ज्यादा राखी बना लेती हैं। इनकी राखी को बेचने के लिए इनको किसी की जरूरत नहीं है, क्योंकि अंध प्रकाश गृह में ही शॉप बनाया गई है, जहां लोग आते हैं और अपनी पसंद की राखी खरीदते हैं।

राखी बनाने वाली नेत्रहीन सुधा बताती हैं, “हम जनवरी से ही राखी बनाने की शुरूआत करते हैं, अलग-अलग मटेरियल लेकर अलग-अलग डिजाइन बनाते हैं, एक दिन में एक लड़की 100 राखी बना लेती है। मैं पिछले कई साल से राखी बना रही हूं, अलग-अलग देश से लोग हमारी राखियां लेने आते हैं।”


इन राखियों की कीमत 10 रुपए से लेकर 30 रुपए तक रखी गई है, जिससे आसानी से कोई भी खरीद सकता है। राखियों को खरीदने आयी एक महिला से हमारी बात हुई वह कहती हैं, मैं पिछले तीन साल से यहां राखी खरीदने आ रही हूं। जब पहली बार मैं यहां आयी इन सुंदर राखियों को देखी तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ की नेत्रहीन दिव्यांग बहनों ने बनाया है।

शुरुआती समय में यह ज्यादा लोगों को नही पता था लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया के सहारे इन दिव्यांग महिलाओं की काबलियत जन जन तक पहुंच रही है। वैसे तो यहां 150 से ज्यादा महिला रहती हैं। मगर 15 महिलाओं का ग्रुप राखी बनाता है।

ये राखी बनाने का काम यह जनवरी से ही शुरू कर देती हैं और इस बार इन्होंने अब तक 35000 से ज्यादा राखी बना चुकी हैं। जो 15 अगस्त यानी रक्षाबंधन के दिन देश से लेकर विदेशों तक भाइयों के कलाई पर बांधी जाएगी। वहीं इस संस्थान का मकसद है इनकी छिपी हुई प्रतिभा को निखारना है और समाज के मुख्यधारा में लाकर खड़ा करना।

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