मऊ (उत्तर प्रदेश)। जहां आज युवा खेती से दूर भाग रहे हैं, वहीं पर कुछ ऐसे भी युवा हैं जो नौकरी के साथ ही खेती में हाथ आजमा रहे हैं और बेहतर कमाई भी कर रहे हैं। इस युवा किसान ने अमरूद की ताइवन पिंक किस्म की बाग लगाई है।
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के कोपागंज ब्लॉक के रहने वाले युवा किसान धीरेन्द्र कुमार राय पारंपरिक खेती से हटकर व्यवसायिक खेती कर रहे हैं। धीरेंद्र ताइवान पिंक अमरुद की बागवानी करते हैं और जिस भूमि में ये खेती कर रहे हैं। वो भी उन्होंने बटाई पर ले रखी है।
धीरेन्द्र जिले के कोपागंज ब्लॉक के कृषि तकनीकी सहायक के रूप में कार्यरत हैं। वो बताते हैं, “मेरी बचपन से ही खेती में रुचि थी और बागवानी में सबसे ज्यादा इसलिए जहां रहता हूं। बागवानी का काम करता रहता हूं।”
अमरूद की खेती के बारे में वो बताते हैं, “ताइवान पिंक अमरुद की खेती करने का विचार यूट्यूब से आया। इसके बाद मैंने इसकी खेती शुरु की। व्यावसायिक और बेहतर मुनाफा देने वाली खेती में मेरी विशेष रुचि है। जिले के क्षेत्रीय किसानों को खेती की विभिन्न विधियों के तकनीकी पक्ष का प्रशिक्षण भी देता हूं। मैंने एग्रीकल्चर में परास्नातक की डिग्री ली हुई है।”
मोटी कमाई का है सफल रास्ता
एक वर्ष में कम से कम तीन बार फल लगते हैं। एक पौधा एक वर्ष में लगभग 30 किलो फल दे सकता है। जबकि एक बीघे में 500 तक पौधे लगाए जाते हैं। साल के डेढ़ सौ कुन्तल फल लग सकते हैं। हिसाब लगाया जाए तो 30 रुपए किलो से भी तो साल के 7 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई ही सकती है।
कैसे होती है ताइवान पिंक अमरूद की खेती
‘ताइवान पिंक ग्वावा’ के पौधों में भूमि से मात्र एक फीट के ऊपर से ही फल लगना शुरु हो जाता है। इस प्रजाति के पौधों को लगाने के बाद मात्र छह महीने के बाद से ही फल आने लगता है। धीरेन्द्र कुमार राय बताते हैं, “मैंने ‘ताइवान पिंक ग्वावा’ किस्म के अमरूद की सघन बागवानी की है। इसकी विशेषता है कि इसमें बारह महीने फूल और फल लगते रहते हैं। एक फल लगभग 150 ग्राम से 5 सौ ग्राम तक का होता है। इसका कच्चा फल भी खाने योग्य होता है, वहीं पकने पर फल का गूदा गुलाबी रंग का होता है।
उनके द्वारा बाग में 2.5×3 के मॉडल पर पौधों का रोपण किया है। इस तरह से एक बीघे में 400 से 500 पौधे लगाए जा सकते हैं। अभी जो अमरुद के पौधे इन्होंने लगाए है। वह 13 मार्च 2019 को लगाए थे। छह महीने होने के बाद से ही फल आने लगे। बाग में गोबर की जैविक खाद और थोड़ी बहुत डीएपी डाली गई है। एक-एक डाल पर 8-10 के गुच्छों में फूल और फल लगते हैं। यह फूल जितने होंगे उतने ही फल लगेंगे। यह इसकी विशेषता है। इस पौधे की तकनीकी जानकारी देते हुए कहते हैं, “पौधों में तने की नहीं बल्कि ज्यादा शाखाओं की आवश्यकता होती है। इसका फायदा यह होता है कि पैदावार ज्यादा होती है। फलदार पौधे में जितनी शाखाएं होंगी उतने ज्यादा फल लगेंगे। इनका लक्ष्य है साल में 150 शाखाएं लाना और हर पौधों की ऊंचाई 6 फिट से ज्यादा नहीं लेकर जाना।”
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